Fight Against Covid 19 in Bareilly : भगवान ने नहीं टूटने दिया मनोबल, संक्रमितों के लिए करती रहीं प्रार्थना

Fight Against Covid 19 in Bareilly लाकडाउन के दौरान हर रोज कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही थी। कोविड लैब में जांच के लिए आने वाले सैंपल की लाइन लग रही थी। इसे देख अमूमन घबराहट होती लेकिन हौंसले को कभी टूटने नहीं दिया।भगवान में आस्था गहरी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 07:04 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 07:04 AM (IST)
Fight Against Covid 19 in Bareilly : भगवान ने नहीं टूटने दिया मनोबल, संक्रमितों के लिए करती रहीं प्रार्थना
हर रोज पूजा-पाठ कर संक्रमितों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती थीं प्रियंका।

बरेली, जेएनएन। Fight Against Covid 19 in Bareilly : लाकडाउन के दौरान हर रोज कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही थी। कोविड लैब में जांच के लिए आने वाले सैंपल की लाइन लग रही थी। इसे देख अमूमन घबराहट होती, लेकिन हौंसले को कभी टूटने नहीं दिया। भगवान में आस्था गहरी है। यही कारण था कि उन्हें याद करते ही मनोबल खुद-ब-खुद बढ़ जाता था। उन दिनों काम ज्यादा होने की वजह से लैब टेक्निशियन प्रियंका दिन-रात ड्यूटी कर ईमानदारी से अपनी सेवाएं देती रहीं।

प्रियंका जिला महिला अस्पताल में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि हर रोज दोगुनी संख्या में संक्रमितों के सैंपल आने पर अमूमन घबराहट सी होती थी। कुछ समझ में न आने पर भगवान को याद करतीं तो साकारात्मक की लहरें बहनी शुरू हो जातीं। बताया कि स्थिति दिन-प्रतिदिन नाजुक होती जा रही थी। आलम यह था कि किसी का पिता, बेटा, मां बहन संक्रमित होकर अस्पताल आते तो उनके परिजनों का दुख देखा न जाता। ऐसे में हर रोज एक घंटा निकालकर भगवान की पूजा-पाठ करना शुरू किया और सिर्फ यही कामना रहती कि हे प्रभु यह महामारी का मंजर अब देखा नहीं जाता। खैर, सैंपल के लिए घबराकर आने वाले मरीजों का हर पल मनोबल बढ़ाया।

हर रोज जाते हुए भी होती थी घबराहट

प्रियंका ने बताया कि ड्यूटी के बाद घर जाने पर घबराहट होती थी। जैसे-जैसे घर पास आता, धड़कने बढ़नी शुरू हो जाती थीं। मन में यही सोच चलती कि वह ऐसी जगह से आ रही हैं, जहां सामान्य मरीजों से अधिक संख्या संक्रमितों के आने वालों की है।

परिवार वालों को भी होने लगी थी चिंता

प्रियंका ने बताया कि वह घर में सबकी लाडली हैं। यही कारण था कि हर दिन बेकाबू होते हालात को देखते हुए परिवार वालों को भी उनकी चिंता सताने लगी थी। लेकिन, पिता ने हर बार अपने काम को ईमानदारी के साथ करने की सीख दी। वहीं जब से अस्पताल से घर लौटती तो मां गर्म पानी रख कर तैयार रहतीं। इस प्यार को देख फिर अगले दिन उत्साह के साथ काम करने का जज्बा पैदा हो जाता था।

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