दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष, पर इलेक्ट्रिक चाक का पता नहीं, कुम्हार हाथ से चाक घुमाकर बना रहे दीये

Vishwakarma Shram Samman Scheme दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के हाथ वाले चाक घूमने लगे हैं। इसकी वजह है कि उद्योग विभाग के विश्वकर्मा श्रम योजना के तहत चिह्रित 25 कुम्हारों को दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक चाकों का अभी वितरण नहीं हो सका है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 06:39 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:39 PM (IST)
दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष, पर इलेक्ट्रिक चाक का पता नहीं, कुम्हार हाथ से चाक घुमाकर बना रहे दीये
उद्योग विभाग की विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत जिलेभर में इस वर्ष 25 कुम्हारों को दिए जाएंगे इलेक्ट्रिक चाक

बरेली, जेएनएन। Vishwakarma Shram Samman Scheme :  दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के हाथ वाले चाक घुमने लगे हैं। बड़ी संख्या में अभी हाथ के चाक से ही मिट्टी के दीये बनाने का कार्य कुम्हारों ने शुरू कर दिया है। इसकी वजह है कि उद्योग विभाग के विश्वकर्मा श्रम योजना के तहत चिह्रित 25 कुम्हारों को दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक चाकों का अभी वितरण नहीं हो सका है। नतीजन चिह्रित कुम्हार इलेक्ट्रिक चाक की बजाय हाथ वाले ही चाक से दीपों से रोशनी जगमग कराएंगे।उम्मीद है कि नंबवर के शुरुआत में ही कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक वितरण किए जाएगा।

दीपावली चार नंबवर है। इस जगमग त्योहार के बस कुछ ही दिन शेष है। बाजारों में खरीददारी के भीड़ उमड़ रही है। इस पर्व पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी में लोगों ने रंगरोबन करना शुरू कर दिया है। बाजार में रंगरोबन के सामान की खूब बिक्री हो रही है। वहीं, कुम्हारों के चाक भी घूमने लगे है। कोरोना की मार से तबाह हुए चाक के धंधे पर इस दीपावली खुशहाली आने की उम्मीद है। कुम्हारों ने भारी तदाद में दीये बनाने शुरू कर दिए है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं।

पिछले साल चाइनीज झलर समेत रोशनी के सामानों का बहिष्कार होने के कारण स्थानीय सामान की मांग बढ़ी है। जिससे मिट्टी के दीयों की भी मांग बढ़ी है। इस समय कुम्हारों के हाथ वाले चाक ने ही रफ्तार पकड़ रही है। इसकी वजह है कि अधिकांश कुम्हारों पर इलेक्ट्रिक चाक उपलब्ध नहीं है। दीया, मिट्टी की घरिया और खेल-खिलौने बनाने का काम विश्वकर्मा पूजा से ही कुम्हारों के बीच शुरू हो जाता है। शहर के पनबड़िया निवासी कुम्हार भगीरथ प्रजापति और वीरपाल प्रजापति ने बताया कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रानिक अभी तक उन्हें नहीं मिल सकी है। यदि चाक मिल जाएं तो कार्य जल्दी होगा। विश्वकर्मा पूजा से अब तक हजारों की संख्या में दीपक बनाकर रख दिए हैं और पकाने की तैयारी की जा रही है।

25 कुम्हारों को उपलब्ध कराएं जाएंगे इलेक्ट्रिक चाकः उद्योग विभाग की ओर से विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत इस वर्ष जिले के 25 कुम्हारों को चिह्ति कर उन्हें इलेक्ट्रिक चाक चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। यह ट्रेनिंग छह की रही। जिसमें इलेक्ट्रिक चाक चलाने के साथ ही मार्केटिंग भी ट्रेनिंग दी गई। विभाग की ओर से इन छह दिनों के एवज में मानदेय के रूप में चिह्रित प्रत्येक कुम्हार को 1500 रुपये भी प्रदान किए। हालांकि अभी इलेक्ट्रिक चाक का विरतण नहीं हो सका है। नंबवर माह के शुरुआत में कुम्हारों को चाक उपलब्ध कराने की उम्मीद है। पिछले वर्ष भी विभाग की ओर से 25 कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक उपलब्ध कराएं गए थे।

मिट्टी महंगी, पर पुश्तैनी कार्य को दे रहे बढ़ावाः कुम्हार भगीरथ प्रजापति ने बताया कि महंगाई के दौर में अब मिट्टी की भी कीमत आसमान पर है । पहले मिट्टी काफी सस्ती मिलती थी जो अब 250 रुपये क्विंटल है। इस वजह से चाक के कार्य में ज्यादा मुनाफा नहीं है। लेकिन पुश्तैनी काम होने की वजह से इसको बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे पुश्तैनी काम आगे बंद नहीं हो सके। इस समय दीये 60 रुपये सैकड़ा के हिसाब से बिक रहे है। मिट्टी को खरीदने से लेकर दीये आदि पकाने में लगने वाला ईधन महंगा हो चुका है। लगत के अनुपात में 10 फीसद ही मुनाफा होता है।

क्या कहते हैं अधिकारीः उद्योग उपायुक्त जैस्मीन ने बताया कि विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत विभाग की ओर से इस वर्ष जिले के 25 कुम्हारों को छह दिन की इलेक्ट्रिक चाक चलाने और मार्केटिंग करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। संस्था की ओर से सभी 25 कुम्हारों को नवंबर माह तक इलेक्ट्रिक चाक उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

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