सजा के खौफ से कम होगा 'तलाक' का गुनाह

एक बार में तीन तलाक बोलकर किसी औरत को घर से निकाल देना शरई तौर पर भी गलत है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 07:40 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 02:22 AM (IST)
सजा के खौफ से कम होगा 'तलाक' का गुनाह
सजा के खौफ से कम होगा 'तलाक' का गुनाह

जागरण संवाददाता, बरेली : एक बार में तीन तलाक बोलकर किसी औरत को घर से निकाल देना शरई तौर पर भी गलत है। हमारी लड़ाई भी यही थी कि तलाक का जो गलत तरीका चलन में है उसे रोका जाए। सरकार ने अध्यादेश लाकर इसे अपराध घोषित कर दिया है। यह तमाम पीड़ित महिलाओं के लिए खुशी की बात है। मर्दो में सजा का खौफ रहेगा। इससे तलाक की घटनाओं में कमी आएगी। हालांकि, महिलाओं के सम्मान, हक की लड़ाई का यह सिर्फ पहला पायदान है। सामाजिक, संवैधानिक और शरई हक पाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा। यह कहना है कि आला हजरत खानदान की बहू रहीं व आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान का।

निदा खान खुद तो तलाक पीड़ित हैं हीं। पिछले साल भर से तीन तलाक, बहु-विवाह, हलाला पीड़ित महिलाओं की आवाज उठा रही हैं। बुधवार को कैबिनेट की ओर से अध्यादेश को मंजूरी देने पर उन्होंने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि बेशक तलाक की घटनाएं सीमित हों, पर औरतों को छोटी-छोटी बातों पर तलाक की जो धौंस दी जाती थी, उससे उन्हें छुटकारा मिलेगा। हालांकि, निदा का मानना है कि अगर इस बिल पर व्यापक बहस-चर्चा होती तो मजबूत कानून बनता। अभी इस कानून के भी दुरुपयोग की गुंजाइश बनी रहेगी।

पीएमओ को किया ट्वीट

निदा खान ने पीएमओ को ट्वीट कर कहा कि इस फैसले में काफी देरी हो चुकी है, क्योंकि बेशुमार महिलाएं तलाक से पीड़ित हैं। फिर भी धन्यवाद। आने वाले नस्लों को एक बार में तीन तलाक से निजात मिलेगी।

तलाक की लड़ाई पर मिला फतवा

निदा खान की शादी शीरान रजा खान से 2015 में हुई थी। शादी के पहली साल में ही मियां-बीवी में विवाद हो गया। निदा बताती हैं कि वर्ष 2016 में शीरान रजा ने तलाक दे दिया। तब से न केवल निदा अपनी लड़ाई लड़ रही हैं, अन्य पीड़िताओं की भी आवाज उठा रही हैं। अपने संगठन के जरिये तलाक, हलाला, बहु-विवाह और घरेलू ¨हसा पीड़ित सैकड़ों महिलाओं की मदद की। इस मकसद में उन्हें मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। 17 जुलाई को हलाला पीड़ित महिला की आवाज उठाने के बाद उन पर शरीयत के खिलाफ बयानबाजी का आरोप लगाकर इस्लाम से खारिज करने का फतवा जारी कर दिया गया। इसके साथ ही चोटी काटने, गर्दन काटने की धमकी मिली। परिवार का घेराव हुआ। नमाज पढ़ने से रोका गया। इसके बावजूद उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी।

chat bot
आपका साथी