फंगल इन्फेक्शन में सता रहा ब्लैक फंगस का डर

गर्मी में पसीना और फिर बरसात के मौसम में चर्म रोग से जुड़ी परेशानियों के मरीज बढ़ जाते हैं। इस मौसम में फंगल इन्फेक्शन की समस्या आम है। लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है। कोविड काल में ब्लैक फंगस का डर लोगों को फंगल इन्फेक्शन में भी सता रहा है। इससे जिला अस्पताल का वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) हो या फिर निजी अस्पताल यहां फंगल इन्फेक्शन को भी ब्लैक फंगस समझकर पहुंच रहे लोगों की संख्या बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:43 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:43 PM (IST)
फंगल इन्फेक्शन में सता रहा ब्लैक फंगस का डर
फंगल इन्फेक्शन में सता रहा ब्लैक फंगस का डर

रोज 350-400 लोग त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास इलाज के लिए पहुंच रहे बरेली, जेएनएन : गर्मी में पसीना और फिर बरसात के मौसम में चर्म रोग से जुड़ी परेशानियों के मरीज बढ़ जाते हैं। इस मौसम में फंगल इन्फेक्शन की समस्या आम है। लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है। कोविड काल में ब्लैक फंगस का डर लोगों को फंगल इन्फेक्शन में भी सता रहा है। इससे जिला अस्पताल का वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) हो या फिर निजी अस्पताल, यहां फंगल इन्फेक्शन को भी ब्लैक फंगस समझकर पहुंच रहे लोगों की संख्या बढ़ रही है।

जिले में भी ब्लैक फंगस के कई मामले आ चुके हैं। ऐसे में अब अधिकांश लोग साधारण फंगल इन्फेक्शन को भी ब्लैक फंगस ही समझ रहे हैं। जिले के चर्म रोग विशेषज्ञों के पास उपचार के लिए पहुंचने वाले ऐसे मरीजों की संख्या पिछले कुछ समय में काफी बढ़ी है। सरकारी और प्राइवेट नर्सिंग होम, क्लीनिकों की ओपीडी मिलाकर रोजाना 350-400 से ज्यादा मरीज इस बीमारी का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में पिछले एक हफ्ते में करीब 450 मरीजों ने चर्म रोगों से संबंधित परामर्श लिया। पहले रोज 40 से कम मरीज, अब 50 से ज्यादा ओपीडी

जिला अस्पताल और कई निजी नर्सिंग होम के चर्म रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बरसात के मौसम में वैसे तो आधा मानसून बीतने के बाद मरीजों की संख्या बढ़ती थी। लेकिन इस बार बरसात के शुरुआती दिनों में चर्म रोग से जुड़े लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इस मौसम में अमूमन 35-40 मरीजों की ओपीडी होती थी, लेकिन इस बार अभी से अधिकांश जगह 50 से ज्यादा मरीज त्वचा संबंधी परेशानियां लेकर आए हैं। इनमें भी अधिकांश को ब्लैक फंगस का डर रहता है। कैसे होता है फंगल इन्फेक्शन

राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. संतोष कुमार ने बताया कि फंगल संक्रमण मुख्यत: तीनों दोषों के कारण होता है। खुजली होने पर कफ एवं पित्त का असंतुलन, त्वचा पर सफेद चकत्ते होना- वात एवं कफ का असंतुलन, लाल होने पर कफ एवं पित्त का असंतुलन कारण होता है। फंगल संक्रमण का इलाज न किया जाए तो यह एक गंभीर हो सकती है। ऊतक व हड्डियों तक पहुंचता है असर

जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. त्रिभुवन सिंह ने बताया कि फंगल इन्फेक्शन त्वचा को तेजी से प्रभावित करते और समय से इलाज न मिलने पर लगातार बढ़ते हैं। यह त्वचा तक ही सीमित नहीं होता है बल्कि यह ऊतक, हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। ये घाव बाद में नासूर बन जाते हैं, जो ठीक नहीं होने पर जानलेवा भी साबित हो सकता है। ब्लैक फंगस और फंगल इन्फेक्शन में यह अंतर

ब्लैक फंगस संक्रमण या म्यूकरमायकोसिस, एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जो एक म्यूकरमिसेट्स के रूप में जाने वाले मोल्ड के समूह के कारण होता है। ये संक्रमण अधिकतर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपना शिकार बनाता है। खासतौर पर इन दिनों डायबिटीज से पीड़ित और गंभीर कोरोना के इलाज के लिए स्टेरायड का अधिक उपयोग होने पर ब्लैक फंगस के केस मिले हैं। जबकि फंगल इन्फेक्शन अधिकतर नमी या पसीना जमा रहने वाली जगह रहता है।

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