बरेली में एक शराब कारोबारी पर आबकारी विभाग मेहरबान, जानिये विभाग क्याें नहीं कर रहा कार्रवाई
शराब कारोबारी मनोज जायसवाल को बारादरी पुलिस का ही संरक्षण नहीं मिला। जिन पर उनके लाइसेंस को रद्द करने का जिम्मा था। उन्होंने शराब कारोबारी पर शिकंजा कसता देख महज उसके शराब के लाइसेंस का सस्पेंड किया। लाइसेंस रद्द करने के लिए विभाग कारोबारी के जवाब के इंतजार में है।
बरेली, जेएनएन। शराब कारोबारी मनोज जायसवाल को बारादरी पुलिस का ही संरक्षण नहीं मिला। जिन पर उनके लाइसेंस को रद्द करने का जिम्मा था। उन्होंने शराब कारोबारी पर शिकंजा कसता देख महज उसके शराब के लाइसेंस का सस्पेंड किया। लाइसेंस रद्द करने के लिए विभाग शराब कारोबारी के जवाब के इंतजार में बैठी है। शराब कारोबारी अपने अधिवक्ता के जरिए हर बार जवाब के लिए समय मांगता है और विभाग उन्हें समय दे देता है। साफ है कि जवाब को ढाल बनाकर ही अधिकारियों ने कारोबारी पर तलवार नहीं चलाई।
प्रकरण सहारनपुर की टपरी डिस्टलरी से सप्लाई की गई एक शराब ट्रक बरेली के बारादरी में पकड़े जाने का है। 24 मार्च को बरामद की गई यह शराब मनोज जायसवाल द्वारा मंगाए जाने की बात सामने आई। मुकदमा दर्ज होने के बाद विवेचना में मनोज जायसवाल का विवेचना में नाम बढ़ाया गया। बरेली से कानपुर तक पुलिस ने दौड़ लगाई। एसटीएफ द्वारा लगातार शिकंजा कसने के बाद भी जब शराब कारोबारी के लाइसेंस के सस्पेंड की कार्रवाई नहीं हुई तो जिम्मेदारों पर सवाल खड़े हुए।
सवालों के शिकंजे में जब अफसर घिरे तब मनोज जायसवाल के दोनों बार के लाइसेंस के साथ एक देशी शराब के लाइसेंस को सस्पेंड करने की कार्रवाई की गई। इसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए विभाग शराब कारोबारी के जवाब के इंतजार में बैठ गया। इधर, शराब कारोबारी खुद पर शिकंजा देख अंडरग्राउंड हो गया। लिहाजा, अधिवक्ता के जरिए वह हर बार सिर्फ कारण बताओ नोटिस पर जवाब के बजाय समय मांग रहा है। बता दें कि बारादरी में पकड़ी गई 1415 पेटी अवैध शराब मनोज जायसवाल द्वारा बरेली में खपाने के लिए मंगाई गई थी। पूरे प्रकरण की जांच अब एसआइटी कर रही है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश सक्सेने का कहना है कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी पहले सस्पेंशन की कार्रवाई करती है। इसके बाद लाइसेंसी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। लाइसेंसी को भी अपना पक्ष रखने का मौका इसलिए मिलता है कि वह अपनी सफाई पेश कर सके। उसके साथ अन्याय न होने पाए। कारण बताओ नोटिस का जवाब देने हेतु पर्याप्त अवसर देने के बावजूद यदि लाइसेंसी अपना जवाब प्रस्तुत करने में देरी करता है।टालमटोल करता है या लापरवाही करता है तो उसे अंतिम अवसर देकर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए।
पक्ष रखने का कितना अवसर दिया जाना उचित और पर्याप्त है यह लाइसेंसिंग अथॉरिटी के विवेक पर निर्भर करता है। पर्याप्त आधार के बिना लगातार अवसर दिया जाना अनुचित व अतार्किक है।जिला आबकारी अधिकारी देव नारायण दूबे ने बताया कि लाइसेंस सस्पेंड करने के बाद शराब कारोबारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। अधिवक्ता के जरिए वह दो बार समय मांग चुका है। नियमत उसके जवाब का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।