कानून को शस्त्र की तरह बेटियां करें इस्तेमाल, महिला सशक्तीकरण पर सेमीनार में हुई चर्चा

हर बेटी के अंदर एक झांसी की रानी है बस उसे पहचानने की जरुरत है । बालिकाओं का सशक्तिकरण एक युद्ध है सरकारी योजनाएं कानून उनके अस्त्र और शस्त्र हैं। यह बेटियों पर निर्भर करता है कि वह कैसे उनका इस्तेमाल करें।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 02:10 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 02:10 PM (IST)
कानून को शस्त्र की तरह बेटियां करें इस्तेमाल, महिला सशक्तीकरण पर सेमीनार में हुई चर्चा
डॉ. डीएन शर्मा ने चर्चा में कहा कि आज भी बेटियां समता के महत्वपूर्ण अधिकार से वंचित है।

 बरेली, जेएनएन।  हर बेटी के अंदर एक झांसी की रानी है, बस उसे पहचानने की जरुरत है । बालिकाओं का सशक्तिकरण एक युद्ध है, सरकारी योजनाएं, कानून उनके अस्त्र और शस्त्र हैं। यह बेटियों पर निर्भर करता है कि वह कैसे उनका इस्तेमाल करें। ये बातें महात्मा ज्योतिबाफुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में 'एंपावर्ड गर्ल चाइल्ड : एंपावर्ड इंडिया' विषय पर आयोजित सेमिनार में जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार ने कहीं। इसके संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह रहे।

मुख्य अतिथि डॉ. डीएन शर्मा ने विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि आज भी बेटियां समता के महत्वपूर्ण अधिकार से वंचित है। बेटी के जन्म लेते ही लोगों का उत्साह कम हो जाता है। बेटी के पालन पोषण में भी लोगों के द्वारा उपेक्षा की जाती है, जिससे उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। बाल विवाह की कुप्रथा के कारण छोटी उम्र में ही बच्चियां मां बन जाती है, जिससे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है जो कि संपूर्ण समाज के लिए उचित नहीं है। विभिन्न कानूनों के जरिए बेटियों के शारीरिक हिंसा से संबंधित विषयों पर तो प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया है, लेकिन मानसिक और भावनात्मक हिंसा आज भी समाज देख नहीं पा रहा है। बेटी ही स्वस्थ समाज की आधारशिला है, बेटी मजबूत होगी तो समाज मजबूत होगा। शुरुआत हमें स्वयं से करनी होगी। सैद्धांतिक बातों को करने से काम नहीं चलेगा, आज आवश्यकता है सिद्धांतों के व्यवहारिक अनुप्रयोग की। कार्यक्रम के आयोजन में सचिव डॉ अशोक कुमार तथा कोऑर्डिनेटर कामिनी विश्वकर्मा भी मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन छात्रा पूजा सक्सेना तथा निष्ठा ने किया। कार्यक्रम की समन्वयक प्रोफेसर आशा चौबे रही। जबकि डॉ अमित सिंह ने कहा कि केवल शिक्षा एवं नौकरी ही महिलाओं को सशक्त नहीं बना सकती, जब तक की परिवार एवं समाज में निर्णय लेने की भूमिका में स्त्री का महत्व न हो। अंत मे डॉ अशोक कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षक डॉ रुचि द्विवेदी एवं आशुतोष प्रिय ने भी सहयोग किया।

chat bot
आपका साथी