चिन्मयानंद प्रकरण : 1989 में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बने थे चिन्मयानंद, कभी लगता था बड़ी हस्तियों का डेरा Shahajahanpur News

मुमुक्षु आश्रम...। एक समय था जब यहां संतों व नेताओं का डेरा रहता था। बड़ी-बड़ी हस्तियां आश्रम में होने वाले आयोजनों में शिरकत करती थीं।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Fri, 20 Sep 2019 01:22 PM (IST) Updated:Fri, 20 Sep 2019 01:22 PM (IST)
चिन्मयानंद प्रकरण : 1989 में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बने थे चिन्मयानंद,  कभी लगता था बड़ी हस्तियों का डेरा Shahajahanpur News
चिन्मयानंद प्रकरण : 1989 में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बने थे चिन्मयानंद, कभी लगता था बड़ी हस्तियों का डेरा Shahajahanpur News

जेएनएन, शाहजहांपुर : मुमुक्षु आश्रम...। एक समय था जब यहां संतों व नेताओं का डेरा रहता था। बड़ी-बड़ी हस्तियां आश्रम में होने वाले आयोजनों में शिरकत करती थीं। डीएम हों या एसपी, अधिकारी जब तब यहां नजर आते थे। जिले के विधायक व सांसद भी यहां के अधिष्ठाता चिन्मयानंद का आशीर्वाद पाते थे, पर पिछले एक माह में सारा नजारा ही बदल गया। जो लोग आश्रम में आने लिए समय लेकर इंतजार करते थे, वे अब इधर का रुख करने से भी कतराने लगे हैं। आश्रम को लेकर खुले तौर कुछ भी कहने से बचने लगे हैं।

21 एकड़ में फैला परिसर, पांच शिक्षण संस्थानों का संचालन

करीब 21 एकड़ में फैले परिसर में पांच शिक्षण संस्थाओं के अलावा मुमुक्षु आश्रम भी है। इस आश्रम की स्थापना 18 सितंबर 1943 को स्वामी शुकदेवानंद ने की थी। बताते हैं, इससे पहले वह अपने गुरु एकरसानंद सरस्वती के साथ सत्संग करने शाहजहांपुर आए। रोजा के अलावा ऋषि आश्रम में भी कुछ समय रुके। 1941 में लाला अमरनाथ टंडन के आवास पर आए। नौ अगस्त को गुरुकुल प्रणाली से ब्रह्मचर्य विद्यालय की नींव रखी। जो 2003 में संस्कृत महाविद्यालय बना। उनके प्रस्ताव पर शिक्षण व धाॢमक कार्य के लिए 1943 के स्व. शिवप्रसाद सेठ ने अपनी भूमि दे दी, जिस पर मुमुक्षु आश्रम बना।

1989 में आश्रम के अधिष्ठाता बने थे चिन्मयानंद

1954 में दैवी संपद इंटर कॉलेज की स्थापना हुई। 8 मार्च 1964 को पूर्व गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने एसएस कॉलेज का शिलान्यास किया। यहां की व्यवस्थाएं स्वामी शुकदेवानंद के शिष्य सदानंद देखते थे। वर्ष 1965 में स्वामी शुकदेवानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद स्वामी सदानंद आश्रम के अधिष्ठाता बने। उनके बाद स्वामी सारस्वतानंद फिर स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने यह जिम्मेदारी संभाली। स्वामी निश्चलानंद ने इस जिम्मेदारी को छोड़ा। जिसके बाद 1989 में स्वामी चिन्मयानंद यहां के अधिष्ठाता बने।

जिले में खोला था पहला सीबीएसई स्कूल

स्वामी चिन्मयानंद ने 1989 में जिले में पहला सीबीएसई माध्यम का स्कूल एसएसएमवी खोला। 25 फरवरी 2003 में एसएस लॉ कॉलेज को स्वीकृति मिली। यहां के भवन निर्माण में काफी काम हुआ। कई नए कोर्स शुरू हुए।

परमार्थ ट्रस्ट से होता संचालन

मुमुक्षु आश्रम परमार्थ ट्रस्ट से जुड़ा है। परमार्थ ट्रस्ट के देश में कई आश्रम व शिक्षण संस्थान हैं। जिनमें बद्रीनाथ, दिल्ली, मैनपुरी, फिरोजाबाद, रायबरेली, हरिद्वार, सोनभद्र, हापुड़, इटावा, छत्तीसगढ़, बिठूर आदि स्थ 

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