पशुपालन विभाग की एक लापरवाही से बरेली में पशुओं पर खुरपका-मुंहपका रोग का खतरा, जानें विभाग की क्या रही लापरवाही
Negligence of Animal Husbandry Department जिले में डेढ़ साल से पशुओं को खुरपका और मुंहपका की बीमारी से बचने के लिए टीका नहीं लगाया गया। इससे जिले के करीब साढ़े नौ लाख पशुओं पर इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
बरेली, जेएनएन। Negligence of Animal Husbandry Department : जिले में डेढ़ साल से पशुओं को खुरपका और मुंहपका की बीमारी से बचने के लिए टीका नहीं लगाया गया। इससे जिले के करीब साढ़े नौ लाख गोवंशीय और महिषवंशीय पशुओं पर इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, पशुपालन विभाग मान रहा है कि सर्दी बढ़ने की वजह से इस रोग के फैलने की आशंका कम ही है। फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी ) यानि की खुरपका एवं मुंहपका बीमारी से बचाव के कुछ साल पहले प्रतिवर्ष दो बार टीकाकरण कराया जाता था, क्योंकि इस टीके बीमारी से रोग प्रतिरोधक क्षमता छह माह तक रहती है।
वर्ष 2020 में नौ लाख 42 हजार 500 वैक्सीन टीकाकरण के लिए आई थीं, जिसमें आठ लाख 39 हजार 563 पशुओं का टीकाकरण कर दिया गया था। अंतिम बैच में आईं करीब एक लाख 3 हजार वैक्सीन अद्योमानक पाई गई थीं, जिन्हें पशुपालन विभाग के अफसरों ने बायोलाजिकल वेस्ट विभाग से नष्ट कराया था। वर्ष 2020 मार्च के बाद से पशुओं को खुरपका और मुंहपका से बचाव की वैक्सीन का टीकाकरण ही नहीं हुआ है। ऐसे में जिन पशुओं को टीका लगाया भी गया था, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता करीब सवा साल पहले ही खत्म हो चुकी है। ऐसे में बीमारी फैली तो पशुओं को संक्रमित होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार वर्मा ने बताया कि अभी तक जिले में खुरपका और मुंहपका बीमारी नहीं फैली है। इस बार किसी पशु के खुरपका या मुंहपका से मरने की जानकारी नहीं है। जिले में एक दो पशुओं में बीमारी के लक्षण होने पर उनका इलाज करके स्वस्थ्य कर लिया जाता है। 15 दिसंबर तक जिले में वैक्सीन आने की संभावना है।
मार्च-अप्रैल और अक्टूबर-नवंबर में तेजी से फैलता है खुरपका-मुंहपकाः मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार वर्मा ने बताया कि खुरपका और मुंहपका मार्च-अप्रैल और अक्टूबर-नवंबर में फैलता है। इन दोनाें सीजन में अनुकूल मौसम होने की वजह से वायरस तेजी से फैलता है। सर्दी बढ़ने पर खुरपका और मुंहपका का प्रकोप कम हो जाता है। पीलीभीत जिले में इसी पखवाड़ा में खुरपका एवं मुंहपका की वजह से 35 पशुओं की मौत हो गई थी।
खुरपका-मुंहपका के लक्षण
- संक्रमित पशु के मुंह से अत्यधिक लार टपकना (रस्सी जैसा)
- जीभ और तलवे पर छाले हो जाना
- छालों का घाव में तब्दील हो जाना
- पशु के खुर के बीच में घाव हो जाना
- पशु भोजन करना और जुगाली करना बंद कर देता है
- पैरों एवं मुंह में सूजन हाे जाना