बरेली में मेहता सर्जिकल पर ड्रग विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, दुकान और गोदाम किए सील, जानिये कार्रवाई की वजह

नियमों और कानून के साथ साथ मेडिकल मानकों को ताक पर रखकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की पैकिंग डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल में हो रही थी। किट पर ओवररेटिंग के चलते ड्रग विभाग और प्रशासन ने डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल के गोदाम को सील करवा दिया।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:30 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:30 AM (IST)
बरेली में मेहता सर्जिकल पर ड्रग विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, दुकान और गोदाम किए सील, जानिये कार्रवाई की वजह
एसडीएम सदर और ड्रग विभाग की टीम ने की छापामारी, सर्जिकल बाजार में हड़कंप।

बरेली, जेएनएन। नियमों और कानून के साथ साथ मेडिकल मानकों को ताक पर रखकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की पैकिंग डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल में हो रही थी। किट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर संदेह और किट पर ओवररेटिंग के चलते ड्रग विभाग और प्रशासन ने डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल के गोदाम को सील करवा दिया। छानबीन चल रही है कि मेहता सर्जिकल टैक्स चोरी के साथ साथ अन्य सरकारी विभागों को भी चूना तो नहीं लगा रहे थे। छापामारी की एक रिपोर्ट वाणिज्य कर विभाग को भी भेजी जा रही है।

ड्रग विभाग के नियम के अनुसार किसी भी तरह का उत्पाद को स्टोर करने के लिए इंस्ट्रीज को लाइसेंस लेना पड़ता है। पैकिंग के लिए कच्चा माल प्रतिष्ठान में आने और तैयार माल बेचे जाने पर जीएसटी सहित पक्का बिल भी बनता है। बिक्री या खरीद का बिल भी अनिवार्य है। मेहता सर्जिकल के डीडीपुरम स्थित प्रतिष्ठान पर एसडीएम सदर विशु राजा और ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा ने छापमारी की। गोदाम में पीपीई किट का स्टॉक मिला। यहां पीपीई किट पैकिंग की जाती थी। जबकि लाइसेंस नहीं लिया गया था। छानबीन में पैकिंग पर अंकित मूल्य 1900 रुपये दर्शाया गया था। ड्रग इंस्पेक्टर के मुताबिक सामग्री 350-400 रुपये लागत की ही थी। ऐसे में यह ओवर रेटिंग का केस बनता है।

पीपीई किट तैयार करने में स्टॉक कहां से आ रहा था। किस गुणवत्ता का की सामग्री का इस्तेमाल हो रहा था। ड्रग विभाग जांच कर रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा ने बताया कि पीपीई किट का नमूना नहीं लिया जा सकता है, लेकिन सामग्री घटिया होने का संदेह है। इसलिए कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण के खिलाफ डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, सरकारी कर्मचारी और स्वयंसेवक जुटे हैं। ऐसी संदेहात्मक नकली पीपीई किट की वजह से उनकी जान खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि नकली पीपीई किट और मास्क तैयार करने के मामले में महामारी अधिनियम 1897 के तहत आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।

नॉन वोवन फैब्रिक से बनती है पीपीई

पीपीई किट में एसएमएस प्रूफ मेडिकल ग्रेड नॉन वोवन फैब्रिक का इस्तेमाल होता है। ये कोविड-19 के वायरस को मानव शरीर के अंदर जाने से रोकता है। अलग-अलग कंपनी द्वारा तैयार होने वाली पीपीई किट के लिए कच्चा माल भी अलग-अलग हो सकता है। गाउन में लगने के लिए चेन, डोरी, इलास्टिक अलग से होती है।

50 कंसंट्रेटर स्टॉक होने की थी सूचना

एसडीएम सदर विशु राजा ने बताया कि हमें सूचना थी कि मेहता सर्जिकल के गोदाम में 50 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्टोर हैं। छापामारी में दो कंसंट्रेटर मिले। उनके पर्चे भी जांचे जा रहे हैं। दस्तावेजों में देखा जा रहा है कि कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक्सपोर्टर से मंगवाए गए, कितने बिके।

पल्स ऑक्सीमीटर और सैनिटाइजर की बिलिंग नहीं दिखा सके

उन्होंने बताया कि गोदाम में रखे स्टॉक के दस्तावेज जांचने के दौरान पल्स ऑक्सीमीटर और तीन कंपनियों के सैनिटाइजर की बिलिंग भी प्रतिष्ठान के मालिक नहीं दिखा सके। उन्हें दस्तावेज दिखाने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। एसडीएम सदर ने बताया कि ड्रग विभाग को थाने में तहरीर देकर एफआइआर दर्ज कराने के लिए कहा गया है।

जागरण ने उजागर किया था सर्जिकल आइटम का गोरखधंधा

दैनिक जागरण ने पड़ताल करके शहर में चलने वाले सर्जिकल आइटम की ओवररेटिंग और कालाबाजारी को उजागर किया था। ड्रग विभाग और प्रशासन के निशाने पर इसके बाद मेहता सर्जिकल आ गया। एक टीम को छानबीन के लिए लगाया गया था। इसके बाद बुधवार को छापामारी की गई।

दोष सिद्ध होने पर महामारी एक्ट में दो साल की सजा

ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा के मुताबिक औषधि एक्ट 1940 की धारा 22 (1)(डी) के तहत मेहता सर्जिकल की दुकान की खरीदफारोख्त को रोका गया है। वहीं उनके खिलाफ थाने में महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्राचार किया जा रहा है। महामारी एक्ट के तहत आइपीसी 188 के तहत एफआइआर होती है। दोष सिद्ध होने पर दो साल तक की सजा का प्रावधान है। पीपीई किट और सैनिटाइजर किया जब्त एसडीएम और ड्रग इंस्पेक्टर ने मौके से सैनिटाइज के नमूने लिए हैं। और बड़े पैमाने पर पीपीई किट को भी प्रशासकीय टीम ने अपने कब्जे में किया है। लखनऊ की प्रयोगशाला में सैनिटाइजर के नमूनों को जांच के लिए भेजा जा रहा है।

धूल भरी फर्श पर पैक हो रही थी पीपीई किट

एसडीएम के पूछने पर बताया कि पिछले साल की बची हुई है, पैकिंग पर मैन्युफेक्चरिंग अप्रैल 2021 मिली जासं, बरेली : कंपनियों में गामा रेडिएशन में स्ट्रेलाइज्ड होने के बाद पैक होने वाली पीपीई किट मेहता सर्जिकल की धूलभरी फर्श पर बैठकर एक कर्मचारी पैक कर रहा था। ऐसी पीपीई किट की गुणवत्ता को लेकर सर्जिकल आइटम के एक्सपर्ट सर्वेश सक्सेना बताते है कि बरेली में स्ट्रेलाइज्ड पीपीई देने का दावा बहुत मुश्किल है। सिर्फ ब्रांडेड कंपनियां ही स्ट्रेलाइज्ड पीपीई किट मुहैया करवा पा रही है। दुकान की इमारत में ही बेसमेंट और ऊपर की मंजिल पर बने गोदाम में पहुंचे एसडीएम सदर विशुराजा सर्जिकल आइटम के स्टॉकेज की पूछताछ कर रहे थे।

तीसरी मंजिल पर अजय मेहता ने कहा कि कोई स्टॉक नहीं है। एसडीएम सदर ने अपने अर्दली को ऊपर जांचने के के लिए कहा। वहां पहुंचने के बाद फर्श पर एक गद्दा लगा हुआ था। पीपीई किट का स्टॉक था। कुछ बोरों में पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन थी। पैकिंग के बाद लगने वाला लेबल भी मौजूद थे। अजय मेहता मौके पर पिछले साल का पीपीई किट का स्टॉक बताते रहे। जबकि पैकिंग पर मैन्युफैक्चरिंग अप्रैल 2021 की लिखी हुई थी। सर्जिकल आइटम के बड़े व्यापारी सर्वेश सक्सेना के मुताबिक ब्रांडेड कंपनी की पैकिंग में स्ट्रेलाइज्ड किट आती है। बरेली में कोई स्ट्रेलाइज्ड पैकिंग का दावा नहीं कर सकता है। पैकिंग को खोलकर रीपैक करना भी मेडिकल टर्म में गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है।

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