कोविड अस्पताल के डॉक्टर वो दवाएंं मंगा रहे जो बाजार में उपलब्ध ही नहीं, मरीज के परिवार वाले हो रहे परेशान

कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर में सबसे ज्यादा परेशान तीमारदार हैं। कभी ऑक्सीजन की कमी तो कभी दवाओं का टोटा उन्हें रुला रहा है। इन दिनों अस्पतालों ने अलग अलग दवाओं की मांग शुरू कर दी है जिन्हें ढूंढने में ही तीमारदारों को पूरा दिन लग जा रहा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 09:10 AM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 09:10 AM (IST)
कोविड अस्पताल के डॉक्टर वो दवाएंं मंगा रहे जो बाजार में उपलब्ध ही नहीं, मरीज के परिवार वाले हो रहे परेशान
रेमडेसिविर के बाद अब बेवासीजमैब और इटोलीजूमैब इंजेक्शन लिख रहे अस्पताल।

बरेली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर में सबसे ज्यादा परेशान तीमारदार हैं। कभी ऑक्सीजन की कमी तो कभी दवाओं का टोटा उन्हें रुला रहा है। इन दिनों अस्पतालों ने अलग अलग दवाओं की मांग शुरू कर दी है, जिन्हें ढूंढने में ही तीमारदारों को पूरा दिन लग जा रहा है। रेमडेसिविर के बाद इन दिनों बेवासीजमैब और इटोलीजूमैब इंजेक्शन भी अस्पताल लिख रहे है, लेकिन यह बरेली में मौजूद नहीं है। यहां तक की फैबीफ्लू समेत अन्य सामान्य दवाओं का भी टोटा है।

जिले में इन दिनों संचालित 17 कोविड अस्पताल हैं। इनमें सरकारी अस्पतालों को छोड़ दें तो सभी कोविड अस्पतालों की दवा हैं। सबसे ज्यादा परेशानी अलग अलग तरह के इंजेक्शन को ढूंढने में आ रही है। किसी किसी अस्पताल ने तो अपनी मेडिकल स्टोर पर ही दवाओं का इंतजाम कर रखा है, लेकिन कई अस्पतालों में मेडिकल स्टोर नहीं है। ऐसे में तीमारदार को दवा और इंजेक्शन के लिए इस मेडिकल स्टोर से उस मेडिकल स्टोर पर भटकना पड़ रहा है। इन दिनों बाजार बंद होने के चलते कई मेडिकल स्टोर भी बंद हैं।ऐसे में जो मेडिकल स्टोर खुले हैं, उनमें दवाओं की किल्लत है।

तीन दिन से दवा के लिए भटक रहे

शहर के नकटिया निवासी रिषी शर्मा के रिश्तेदार चौपला स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन से उनका यहां इलाज चल रहा है। उसी दिन चिकित्सक ने बेवासीजमैब और इटोलीजूमैब इंजेक्शन लाकर देने को कहा था। तीन दिन से अब तक शहर में यह इंजेक्शन ढूंढ रहे लेकिन कहीं नहीं मिले।किसी ने बताया कि यह दिल्ली या नोएडा मिलेंगे। इसलिए इंजेक्शन लेने के लिए बेटे को दिल्ली भेजा है। बताया कि दवा कि बहुत दिक्कत है, जो दवा बताई जाती है, उससे ढूंढने में ही दिन निकल जाता है।

फेबीफ्लू जहां मिल रही वह दुकान बंद

शहर के रहने वाले रोहित राकेश ने बताया कि उनके मुहल्ले के ही एक व्यक्ति होम आइसोलेशन में हैं। चिकित्सकों से बात करने पर उन्हें फेबीफ्लू की सलाह दी गई। उन्होंने फोन कर फेबीफ्लू लाने को कहा। इस पर फेबीफ्लू लेने गए तो पता चला कि वह मेडिकल स्टोरों पर है ही नहीं। पता करने पर बताया गया कि फैबीफ्लू श्यामगंज और जंक्शन के पास एक मेडिकल स्टोर पर मौजूद है। जब श्यामगंज पहुंचे तो वहां दुकान बंद थी।बताया कि इसी तरह दो दिन से बेवासीजमैब और इटोलीजूमैब इंजेक्शन भी नहीं मिल रहा है।

जब इंजेक्शन उपलब्ध नहीं तो डॉक्टर लिख क्यों रहे

शहर के वीरसावरकर नगर निवासी रमेश यादव के स्वजन कोविड संक्रमित हुए तो उन्हें स्टेडियम रोड स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। भर्ती होने के कुछ देर बाद ही उन्हें बताया गया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लाना है। उनके द्वारा बताया गया कि यह तो बाजार में है ही नहीं, इस पर दो अन्य इंजेक्शन बताए गए। लेकिन बाजार में ढूंढने पर वह भी नहीं मिले। बताया कि बाद में श्यामगंज स्थित मेडिकल स्टोर पर इंजेक्शन मिला।

सामान्य पर्चे पर लिख रहे दवा, कागज पर ही दे रहे बिल

अस्पतालों द्वारा बाहर से मंगाई जाने वाली दवाओं का सादे कागज या अस्पताल के सामान्य पर्चे पर लिखा जा रहा है। पर्चा लेकर जाने पर कई बार मेडिकल स्टोर संचालक तीमारदारों को मना भी कर देते हैं। फिर जब डॉक्टर से फोन पर बात कराई जाती तब दवा मिलती है। इसके अलावा तीमारदारों को दवा का बिल भी सादे कागज पर ही बना कर दे रहे हैं। जिन्हें मेडिक्लेम आदि चाहिए वह लोग मेडिकल स्टोर संचालक से कहते हैं तो उन्हें बिल बनाकर दिया जाता है।

इन इंजेक्शन को लिख रहे अस्पताल

मैथाइलप्रेडनिसिलोन इंजेक्शन

डेक्सामेथॉसोन इंजेक्शन

इनोक्सापेरिन इंजेक्शन (खून पतला करने के लिए)

रेमडेसिविर इंजेक्शन

यूलिनास्टिन इंजेक्शन

इन दवाओं का किया जा रहा उपयोग

फैबीफ्लू, लिमसी विटामिट सी, जिंक टेबलेट, आइवरमैक्टिन, डॉक्सीसाइकलिन, एजीथ्रोमाइसिन, मैथाइलप्रेडनिसिलोन टेबलेट, पेंटाप्राजोल, मोंटीक्युलास्ट प्लस लीमोसेट्राजिन, डेक्सामेथॉसोन टेबलेट

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