दिव्यांगजन शबीह अब्बास से लें शिक्षा, पढ़ें उनके संघर्ष की कहानी, कैसे सफलता हासिल कर राज्य स्तरीय सम्मान किया प्राप्त

World Disability Day 2021 चंद मुश्किलें देखकर हार मानने वाले लोगों के लिए शबीह अब्बास नकवी एक मिसाल हैं। वह जीता जागता उदाहरण हैं साहस और धैर्य का। शबीह जीवन में विकलांगता के पहाड़ को नीचा दिखाते हुए शिक्षा को सीढ़ी बनाकर सफलता की डगर पर चले।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 09:37 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 10:24 AM (IST)
दिव्यांगजन शबीह अब्बास से लें शिक्षा, पढ़ें उनके संघर्ष की कहानी, कैसे सफलता हासिल कर राज्य स्तरीय सम्मान किया प्राप्त
World Disability Day 2021 : शिक्षा को महत्व देने वाले शबीह की एकेडमी में बच्चों को दी जाती निश्शुल्क शिक्षा

बरेली, जेएनएन। World Disability Day 2021 : चंद मुश्किलें देखकर हार मानने वाले लोगों के लिए दिव्यांग शबीह अब्बास नकवी एक मिसाल हैं। वह जीता जागता उदाहरण हैं। 80 प्रतिशत दिव्यांग शबीह ने जीवन में विकलांगता के पहाड़ को नीचा दिखाते हुए शिक्षा को सीढ़ी बनाकर सफलता की राह पर चले तो बस चलते ही गए। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी सफलता का यह सफर अनवरत जारी है।दिव्यांग शबीह के संघर्ष की गाथा लोगों को प्रेरित करने वाली है।

कड़ी मेहनत से वर्ष 2010 में कर्मचारी चयन आयोग में चयनित होकर सेना के बरेली स्थित जाट रेजीमेंट सेंटर में नौकरी शुरू की। इसके बाद विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर आडिटर के पद पर पदोन्नति प्राप्त की। अब वह जेआरसी के लेखा विभाग में आडिटर के पद पर सेवारत हैं। उनका कहना है कि दिव्यांग व्यक्ति को शिक्षित जरूर होना चाहिए। शिक्षा के बल पर ही वह खुद को समाज की मुख्यधारा में जोड़कर उनके साथ चलता रहेगा।

मुरादाबाद के हिंदू महाविद्यालय से किया परास्नातक : संभल जिले के कस्बा सिरसी के मुहल्ला सादक सराय निवासी दीवानजी अली कासिद नकवी के सबसे छोटे पुत्र शबीह अब्बास नकवी जन्म से ही दिव्यांग हैं। चलना और दौड़ना तो दूर खुद खड़े होना भी मुश्किल था। इसके बाद बावजूद शबीह अब्बास नकवी ने प्रारंभिक शिक्षा बरेली के इस्लामिया मांटेसरी स्कूल से प्राप्त की। वर्ष 1993 में हाई्स्कूल की परीक्षा जवाहर लाल इंटर कालेज सिरसी से सर्वोच्च अंक हासिल कर उत्तीर्ण की।

इसके बाद इंटर के विज्ञान की कक्षाएं संचालित न होने के कारण उन्हें दस किलोमीटर दूर हिंद इंटर कालेज संभल में दाखिला लेना पड़ा। इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। इसके बाद हिन्दू महाविद्यालय मुरादाबाद से वर्ष 1998 में बीएससी वर्ष 2000 में अर्थशास्त्र और 2002 में राजनीति विज्ञान विषयों से एमए की डिग्रियां प्राप्त कीं। वहां जाने के लिए उन्हें कई किलोमीटर का सफर रोजाना तय करना पड़ता था।

खुद सहा दिव्यांगता का दर्द, लोगों को किया जागरूकः दिव्यांगता के दर्द को सहकर आगे बढ़ने वाले शबीह चाहते हैं कि कोई भी दिव्यांग ना रहे। यही वजह रही कि उन्होंने लोगों को जागरूक करते हुए पल्स पोलियो अभियान में महती भूमिका अदा की। वह एक अच्छे वक्ता होने के साथ ही सफल लेखक और उर्दू के बेहतरीन शायर भी हैं। सामाजिक संगठनों में सक्रिय रहते हुए शबीह अब्बास ने राष्ट्रीय साक्षरता मिशन में भी सहयोग किया।

यही नहीं, नगर में स्थापित की गई यूनिटी चिल्ड्रन एकेडमी सिरसी में हर वर्ष तमाम निर्धन, दिव्यांग और अनाथ बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। उनकी सेवाओं के लिए उत्तर प्रदेश शासन ने वर्ष 2008 का उत्कृष्ट संस्था सम्मान देकर राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया था।

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