दरगाह से फतवे के बाद भी अंजुमन में डीजे बजाने पर अड़े नौजवान, विवाद
रबीटोला से निकलने वाली गुल्लू की अंजुमन में नौजवानों के डीजे लेकर आने पर विवाद खड़ा हो गया।
बरेली(जेएनएन)। दरगाह आला हजरत के मरकजी दारुल इफ्ता द्वारा फतवा जारी कर जश्ने ईद-मिलादुन्नबी (बारावफात) के जुलूस में डीजे को हराम और म्यूजिक वाली नात बजाने को भी गलत करार दिया जा चुका है। इसके बावजूद मंगलवार को शहामतगंज के रबीटोला से निकलने वाली गुल्लू की अंजुमन में नौजवान डीजे लेकर पहुंच गए। नौजवानों ने डीजे पर बड़े-बड़े लाउडस्पीकार लगाकर उसे सजाना शुरू कर दिया। कमेटी के पदाधिकारियों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने डीजे का विरोध करना शुरू कर दिया। इस बात पर विवाद खड़ा हो गया। सूचना पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पहुंच गई। इसके बाद कमेटी की मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग के बाद डीजे को लौटा दिया गया है। साथ ही स्पष्ट किया गया है कि अंजुमन में म्यूजिक नात नहीं बजाई जाएगी।
इसलिए जारी हुआ था फतवा
शाहबाद के मुहम्मद गुलफाम अंसारी ने दारूल इफ्ता से सवाल पूछा था कि कुछ लोग रबी-उल-अव्वल यानी जश्ने ईद-मिलादुन्नबी के जुलूस में डीजे बजाते हैं। नौजवान गाड़ियां लेकर उछलते हैं। म्यूजिक वाली नात बजाते हैं। छत से तबर्रुक यानी प्रसाद फेंककर बांटते हैं। जुलूस-ए-मुहम्मदी का सही तरीका बताएं। मरकजी दारुल इफ्ता में मुफ्ती मुहम्मद कौसर अली रजवी ने सवाल के जवाब में कहा कि जश्ने-ईद मिलादुन्नबी में खुशी जाहिर करने का हुक्म है। जुलूस निकालना जायज है और बरकत भी। हां, सादगी और आदर का ध्यान रखें। जश्न में डीजे-कव्वाली बजाना हराम है। म्यूजिक वाली नात भी नाजायज है। तबर्रुक (प्रसाद) छत से न फेंकें। इस तरह बांटे प्रसाद का अपमान होता है।
इसलिए पड़ी फतवे की जरूरत
पिछले कुछ सालों से जश्ने ईद-मिलादुन्नबी के जुलूस में बड़े पैमाने पर डीजे का रिवाज आम हो चुका है। सैकड़ों अंजुमन के साथ भारी शोर-शराबा होता है। डीजे की धुन में मस्त नौजवान अकीदत से हटकर हुड़दंग में जुट जाते। बाइक से स्टंट करते हैं। इसी को देखते हुए दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां जुलूस में डीजे पर रोक का एलान कर चुके हैं।