कुआं खोदने पर इस मंदिर की नीव में निकला था मणि लिपटा शिवलिंग, जानिए क्या है मंदिर की कहानी

बताया जाता है कि एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था। तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई और इसका नाम रखा गया ।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 08:03 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 09:36 AM (IST)
कुआं खोदने पर इस मंदिर की नीव में निकला था मणि लिपटा शिवलिंग, जानिए क्या है मंदिर की कहानी
उस इलाके को मणिनाथ मोहल्ले के नाम से जाना जाता है

बरेली, जागरण।  बरेली को नाथ नगरी के नाम से ऐसे ही नहीं जाना जाता है। यहां सात नाथ मंदिर है। जिनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं। पश्चिम दिशा में स्थित मढ़ीनाथ मंदिर पांचाल नगरी में है। कहा जाता है कि यहां पर एक बाबा रहते थे जिनके पास मणिधारी सर्प था। इसी सर्प के नाम पर इस मंदिर का नाम मढ़ीनाथ मंदिर पड़ा। जिस इलाके में ये मंदिर स्थित है। उस इलाके को मणिनाथ मोहल्ले के नाम से जाना जाता है। पंडित मुकेश मिश्रा बताते हैं कि मढ़ीनाथ मंदिर के शिवालय के बारे में कई प्राचीन कहानी है। बताया जाता है कि  एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था। तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई और इसका नाम रखा गया मढ़ीनाथ मंदिर। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन के साथ सच्चे मन में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। सावन में दूरदराज से दर्शन के लिए इस मंदिर में लोग पहुंचते हैं। यही नहीं सावन के महीनों में मंदिर परिसर के आस पास भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। यहां पूरे सावन रूद्राभिषेक भी किया जाता है। शिवरात्रि पर भी मंदिर में विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं। जबकि सभी पर्वों में मंदिरों को आसपास रहने वाले भक्ते  सजाते हैं । भगवान शिव का मंदिर होने से सावन का विशेष महत्व है। कहते हैं कि अगर इस शिवलिंग पर पूरे सावन के दौरान बेलपत्र से भगवान शिव का श्रंगार किया जाए तो मांगी गई मुराद हर हाल में पूरी होती है। 

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