मिलावट पर लगाम लगाने में विभाग फेल, बरेली मंडल में एक हजार प्रकरण लंबित
मिलावट रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की पैरवी बहुत कमजोर रहती है। फायदा मिलावट करने वाले को मिलता है। वही उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। बरेली मंडल में दायर वादों में एक हजार प्रकरणों को फैसले का इंतजार है।
बरेली, जेएनएन। मिलावट रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की पैरवी बहुत कमजोर रहती है। फायदा मिलावट करने वाले को मिलता है। वही उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। विभाग कितनी मुस्तैदी दिखाता है। यह इसी से समझा जा सकता है कि बरेली मंडल में दायर वादों में एक हजार प्रकरणों को फैसले का इंतजार है।
दूध, दही, चीनी, तेल, हल्दी, मिठाई जैसे खाद्य पदार्थों के नमूनों को एफएसडीए की जिलास्तरीय टीमें लेती है। जांच के लिए इन्हें आगरा, लखनऊ, मेरठ की प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है। अधोमानक मिलने पर निर्माताओं को 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है। जवाब नहीं आने पर एडीएम सिटी की कोर्ट में वाद दायर करके सुनवाई के मौके दिए जाते है। यहां जिलास्तरीय एफएसडीए टीम को पैरवी करनी होती है। लेकिन कोर्ट में बरेली मंडल के करीब एक हजार मामले लंबित चले आ रहे हैं। इसमें सर्वाधिक बरेली के 384 हैं। ज्यादातर मामलों में लोग भी पैरवी को नहीं आते है।
सबसे ज्यादा जुर्माना बदायूं से वसूला
बरेली मंडल में एक करोड़ 25 लाख 36 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है। इसमें सबसे अधिक बदायूं से 1.19 करोड़ जमा कराया गया। बरेली से पांच लाख, पीलीभीत से 50 हजार और शाहजहांपुर में कोई जुर्माना नहीं वसूला जा सका है।
क्या कहते हैं सहायक आयुक्त
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त संजय पांडेय का कहना है कि जिलास्तरीय टीमों को अच्छी पैरवी करनी चाहिए। लंबित मामलों को मजबूत पैरवी करके जल्दी खत्म कराना चाहिए।