बरेली के दंत चिकित्सकों को गाजियाबाद के डेंटिस्ट ने किया अपडेट, बाेले- अब स्टेनलेस स्टील ही नहीं, दांतों में लगते हैं न दिखने वाले तार

दांतों में लगने के बाद दूर से चमकने वाले स्टेनलेस स्टील के तार अब पुरानी बात हो गई। अब ऐसे तार भी लगाए जाते हैं जो या तो दिखते ही नहीं और अगर दिखेंगे भी तो बेहद ध्यान से देखने पर।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 09:10 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 09:10 AM (IST)
बरेली के दंत चिकित्सकों को गाजियाबाद के डेंटिस्ट ने किया अपडेट, बाेले- अब स्टेनलेस स्टील ही नहीं, दांतों में लगते हैं न दिखने वाले तार
बरेली के दंत चिकित्सकों को गाजियाबाद के डेंटिस्ट ने किया अपडेट

बरेली, जेएनएन। दांतों में लगने के बाद दूर से चमकने वाले स्टेनलेस स्टील के तार अब पुरानी बात हो गई। अब ऐसे तार भी लगाए जाते हैं जो या तो दिखते ही नहीं और अगर दिखेंगे भी तो बेहद ध्यान से देखने पर। गाजियाबाद के वरिष्ठ टेढे-मेढे दांतों के विशेषज्ञ डॉ. सुमित ग्रोवर ने इंडियन डेंटल एसोसिएशन, बरेली के बुलावे पर आयोजित सीएमई में जिले के दंत चिकित्सकों को बताया कि अब दांतों के रंग के ही (सेरामिक ब्रेसेस) लगाए जाते हैं। इसके अलावा दांतों के पीछे से लगने वाले इनविजिबल ब्रेसेस भी लगते हैं। ये तार मरीज के मुंह में लगने के बाद दिखाई नहीं देते हैं।

नन्हे बच्चों से लेकर 70 साल तक के वृद्ध के दांतों का इलाज आसान 

आयोजित सीएमई में डा.सुमित ग्रोवर ने शहर के दंत चिकित्सकों को टेढ़े-मेढ़े दांतों को सही करने में सामने आने वाली चुनौतियों और दिक्कतों को दूर करने के लिए आधुनिक तरीके से इलाज की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब पांच-छह साल के बच्चों से लेकर 70 साल तक के वृद्ध के टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज भी आराम से किया जा सकता है।

 दूध के दांत समय पर न गिरें तो भी टेढ़ा होने से बचा सकते

डा.ग्रोवर ने बताया कि कई बार बच्चों के दूध के दांत समय पर नहीं गिरते हैं। इससे नए आने वाले दांत टेढ़े होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे में अगर समय पर दंत चिकित्सक को दिखाया जाए तो अब ऐसी विधाएं हैं, जिससे आने वाले दांतों को टेढ़ा होने से बचा सकते हैं। यही नहीं अब अब टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने में हर महीने आने की जरूरत नहीं, तीन या छह महीने में डाक्टर को दिखाकर दांत सही किए जा सकते हैं।

यह भी दी जानकारी

सीएमई में डा.ग्रोवर ने बताया कि एलिग्नर्स के जरिए भी दांतों का इलाज किया जाता है। इसमें पहले दांतों को स्कैन करते हैं। इसके बाद टेढ़े-मेढ़े दांतों की गंभीरता देखते हुए एलिग्नर्स को तैयार किया जाता है। इन्हें मरीज समय-समय पर खुद पहन व हटा सकता है। सीएमई में इंडियन डेंटर एसोसिएशन बरेली के अध्यक्ष डा.अरिजीत जौहरी, सचिव डा.नीरज चंद्रा, डा.अनूप आर्या, डा.राहुल वोहरा, डा.पुनीत राय आदि मौजूद थे।

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