Cyber Thug गिरोह के 14 सदस्यों को गिरफ्तारी के तीन महीने बाद ही मिल गई थी जमानत, जानिये अदालत में पुलिस की पैरवी क्यों हुई फेल

Cyber Thug of Bareilly साइबर ठगी की घटनाओं को लेकर देश भर में कुख्यात फतेहगंज पिश्चमी के धंतिया गांव में राजस्थान के जालौर क्राइम ब्रांच की दबिश के बाद हड़कंप मच गया है।मंगलवार देर रात जालौर पुलिस ने राशिद को गांव से दबोचा लिया था।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 09:21 AM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 09:21 AM (IST)
Cyber Thug गिरोह के 14 सदस्यों को गिरफ्तारी के तीन महीने बाद ही मिल गई थी जमानत, जानिये अदालत में पुलिस की पैरवी क्यों हुई फेल
राशिद की गिरफ्तारी के बाद मुख्य सरगना जमशेद समेत पूरा गैंग फरार

बरेली, जेएनएन। Cyber Thug of Bareilly : साइबर ठगी की घटनाओं को लेकर देश भर में कुख्यात फतेहगंज पिश्चमी के धंतिया गांव में राजस्थान के जालौर क्राइम ब्रांच की दबिश के बाद हड़कंप मच गया है। मंगलवार देर रात जब जालौर पुलिस ने राशिद को गांव से दबोचा तो भनक लगते ही गैंग का मुख्य सरगना राशिद का भाई वारिस समेत अन्य सदस्यय गांव छोड़कर रात में फरार हो गए।

जुलाई 2020 में इज्ज्जतनगर पुलिस ने राशिद और उसके भाई वारिस और गैंगे सरगना जमशेद समेत 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोपित करीब तीन महीने जेल में थे। जिसके बाद उन्हें एक-एक कर जमानत मिल गई थी। जानकारों की मानेंं तो पुलिस ने चार्जशीट लगाने में देरी की थी। जिसके चलते आरोपितों को जमानत मिल गई। राशिद, वारिस और जमशेद समेत सभी आरोपितों के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में साइबर ठगी के कई मुकदमे दर्ज हैं।

जुलाई 2021 में तत्कालीन एएसपी अभिषेक वर्मा को धंतिया गांव से साइबर ठगी के गैंग के बारे में पता चला था। जिसके बाद उन्होंने फतेगंज पश्चिमी पुलिस को सूचना न देकर इज्जतजनगर, बिथरीचैनपुर और किला पुलिस के साथ धंतिया गांव में दबिश देकर राशिद उसके भाई वारिस, गैंग के सरगना जमशेद, आरिफ खां, साजिद खां, अफजाल, आमिर, यूसुफ, कैफ, ताहिर, रफी उर्फ मोती, जाहिद खान, नासिर व इरफान को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इस दौरान पुलिस की पड़ताल में करीब 100 करोड़ से अधिक की ठगी का पुलिस ने राजफाश किया था। आरोपितों के खिलाफ देश के कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं।

50 लाख की ठगी में गोरखपुर पुलिस को तलाश

पुलिस के जेल भेजने के बाद राशिद व उसका भाई वारिस समेत सरगना जमेशद का पूरा गैंग जमानत पर छूट गया। कुछ महीने बाद गोरखपुर में हुई 50 लाख की साइबर ठगी में पुलिस को इस गैंग की तलाश है। इस दौरान गैंग के दूसरे राशिद को गोरखपुर पुलिस ने जेल भेजा था। जिसके बाद मंगलवर रात पुलिस ने वारिस के भाई राशिद को नाइजीरियन ठग ओमारोडियन ब्राइट निवासी लोगास बाड़ागरी रोड स्टेट, ईंडो नाइजीरिया और मुकेश विश्नोई निवासी चितलवाला जिला जालौर के साथ मिलकर जलौर जनपद के नागरिक सहकारी बैंक हैक कर 86 लाख की साइबर ठगी में गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में बताया कि उन्होंने गुजरात में भी 50 लाख की साइबर ठगी को अंजाम दिया।

साइबर ठगों के लिए पुलिस करती है मुखबिरी

साइबर ठग बेहद शातिर हैं। फतेहगंज पश्चिमी थाने के कई पुलिसकर्मी उनके लिए मुखबिर का काम करते हैं। स्थानीय पुलिस मोटी कमाई के चलते इन साइबर ठगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती। जब बाहर की पुलिस दबिश देने भी आती है तो साइबर ठगों को इसकी जानकारी दे दी जाती है। जिससे वह समय रहते फरार हो जाते है। इस बात का राजफाश तब हुआ जब जुलाई 2020 में तत्कालीन एएसपी ने धंतिया गांव में दबिश की जानकारी ही फतेहगंज पश्चिमी पुलिस को नहीं दी थी। जिसके चलते उस दौरान उन्होंने शातिर साइबर ठग राशिद व उसके भाई वारिस व सरगना जमशेद समेत गैंगे 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उस दौरान पुलिस ने शातिरों से लाखों की नकदी, दर्जनों पासबुक और एटीएम जब्त किए थे।

गांव के सैकड़ों लोगों के खोल रखे हैं फर्जी खाते

राशिद और उसका गैंग इतना शातिर है कि उसने अपने गांव के लोगों को भी नहीं बख्सा। गांव के सैकड़ों लोगों के नाम से आरोपितों ने देश के अलग-अलग राज्यों में खाते खुलवा रखे है। उनके पासबुक और एटीएम इन ठगों के पास रहते हैं। इन खाते में यह ठगी का रुपया ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते हैं। बदले में खाता धारक को पांच से 10 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है।एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि धंतिया के साइबर ठगों पर शिकंजा कसा जाएगा। सभी की निगरानी की जाएगी, बाहर की पुलिस मदद मांगती है तो उनकी मदद की जाएगी।

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