Coronas Painful Scene in Bareilly : बरेली में शवों को कंधा देने वाले नहीं मिल रहे, मुखाग्नि के लिए अपने नहीं आ रहे आगे
Coronas Painful Scene in Bareilly जो कभी किसी ने ख्वाबों में भी नहीं सोचा होगा। वो दर्दनाक मंजर महामारी में हर रोज देखने को मिल रहे हैं।किसी को मरने के बाद चार कंधे नसीब नहीं हो रहे तो किसी को मुखाग्नि देने के लिए कोई अपना नहीं आ रहा।
बरेली, जेएनएन। Coronas Painful Scene in Bareilly : जो कभी किसी ने ख्वाबों में भी नहीं सोचा होगा। वो दर्दनाक मंजर महामारी में हर रोज देखने को मिल रहे हैं। किसी को मरने के बाद चार कंधे नसीब नहीं हो रहे तो किसी को मुखाग्नि देने के लिए कोई अपना आगे नहीं आ रहा है। आलम यह है कि श्मशान में शव के स्वजनों का काफी देर इंतजार करने के बाद कर्मचारी ही अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जो यह दृश्य देखता है उसकी आंखों में सागर उमड़ उठता है। न जाने कितनी तरह की कल्पना भय के साथ पल भर में ही जन्म लेने लगती हैं और भगवान से दुआओं में हाथ उठकर प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु कोई एक भी नेक काम किया हो तो यह हश्र न करना।
संजयनगर श्मशान भूमि में अमूमन शव अपनों के चार कंधों पर नहीं बल्कि एंबुलेंस के सहारे पहुंचे। जहां अपना कोई मुखाग्नि देने वाला भी नहीं पहुंच रहा। मंगलवार को डा. सुमनलता शर्मा का शव कोविड प्रोटोकॉल से श्मशान पहुंचा। साथ में कोई स्वजन नहीं था। काफी देर किसी के आने का इंतजार भी किया। लेकिन, कोई नहीं पहुंचा तो कर्मचारियों ने ही मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। वहीं मनोज गिरी को (29) साल की छोटी सी उम्र में ही कोरोना ने अपनी जद में ले लिया। घर में पिता को कोविड होने की वजह से बड़े भाई ने मुखाग्नि देकर अंत्येष्टि की। इस दृश्य को देख श्मशान में मौजूद किसी आंख से आंसू नहीं रूक रहे थे। श्मशान कमेटी के सचिव महेंद्र पटेल ने बताया कि हर रोज ऐसी संख्या में ज्यादा शव आ रहे हैं। जिनकी उम्र 40 से कम है और संस्कार करने वाला भी कोई नहीं है।