बरेली के इस गांव में काेराेना नहीं कर सका हमला, ग्रामीणाें ने स्थगित की शादियां इनसे बढ़ाई दूरियां

बरेली से 16 किलोमीटर दूर 2400 आबादी का एक गांव। ज्यादातर लोग मजदूर और किसान। इस गांव में कोरोना पॉजिटिव की संख्या शून्य है। क्योंकि ग्रामीणों ने अपनी एक पॉजिटिव गाइडलाइन बना दी है। जब तक कोरोना रहेगा। बाहर के किसी भी शख्स को अंदर नहीं आने दिया जाएगा।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 01:51 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 01:51 PM (IST)
बरेली के इस गांव में काेराेना नहीं कर सका हमला, ग्रामीणाें ने स्थगित की शादियां इनसे बढ़ाई दूरियां
बरेली के इस गांव में काेराेना नहीं कर सका हमला, ग्रामीणाें ने स्थगित की शादियां इनसे बढ़ाई दूरियां

बरेली, जेएनएन। बरेली से 16 किलोमीटर दूर 2400 आबादी का एक गांव। ज्यादातर लोग मजदूर और किसान। इस गांव में कोरोना पॉजिटिव की संख्या शून्य है। क्योंकि ग्रामीणों ने अपनी एक पॉजिटिव गाइडलाइन बना दी है। जब तक कोरोना रहेगा। बाहर के किसी भी शख्स को अंदर नहीं आने दिया जाएगा। गांव वाले अब बाजार से खरीदारी से बच रहे हैँ। तो वहीं किसी भी फेरी वाले को अंदर प्रवेश नहीं दे रहे हैं। गांव का दूध गावं में ही खप रहा है। सब्जी गांव के खेतों से ही ली जा रही है । सब्जी करने वालों को भी नुकसान नहीं होने दे रहे हैं। बाजार के भाव में गांव से ही सब्जी खरीद रहे हैं। यहां पर पड़ोस का आयुर्वेद अस्पताल ढाल का काम कर रहा है। इतना ही नहीं ग्रामीण गांव के बाहर मंदिर पर कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए बैठते हैं। फेरी वाले, खाने-पीने के ठेले वालों एवं अन्य बाहर वालों को गांव के अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। तो चलिए आज आपको बढ़रई गांव में लेकर चलते हैं...राघव ने बनवाया था नियम जो एक साल से लगातार लागू किया जा रहा है

गांव के महेंद्र बताते हैं कि पिछले साल भी हमारे गांव में कोई पॉजिटिव नहीं था। इसी गांव के रहने वाले युवा बाहर नौकरी करते हैं। लॉकडाउन में आए थे। तो उन्होंने नियम बनाए थे। कि गांव के अंदर कोई बाहरी आदमी प्रवेश नहीं करेगा। इसके साथ ही उन्होंने स्क्रीनिंग मशीन भी खरीदी। गांव के बाहर से कोई आता है। तो बिना स्क्रीनिंग ने नहीं जाने देते हैं। रिश्तेदारों को भी मना कर रखा है। लॉकडाउन खुल गया था। इसके बाद भी बहुत कम लोगों का आना जाना हुआ। गांव में पांच शादियों को भी स्थगित कर दिया है।

पशुपालकों और सब्जी वालों को नहीं होने दे रहे नुकसान

बढ़रई गांव में ज्यादातर लोग पशुपालन करते हैं। साथ ही इन दिनों खेती में सब्जियों को उगाते हैं। गर्मियों में दूध एवं सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। लेकिन ग्रामीणों की एकता और सूझबूझ इन्हें भी नुकसान नहीं होने दे रही है। ग्रामीण यहीं से सब्जी खरीद हैं । यहीं से दूध ले रहे हैँ। इसके साथ ही जो लोग बाहर से दूध लेना चाहते हैं। उन्हें गांव के बाहर से ही दूध दिया जाता है।

युवाओं की टोली करती है बाहर से आने वालों पर निगरानी

गांव को सुरक्षित रखने के लिए युवाओं की टोली गांव के बाहर मंदिर पर बैठते हैँ। किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने देते हैं। युवा दिन और रात के हिसाब से ड्यूटी करते हैं। किसी बाहरी शख्स की अंदर एंट्री नो एंट्री है।

नहीं है एक भी संक्रमित

ग्रामीणों की सजगता से गांव में कोई भी संक्रमित नहंी है। गांव वालों का कहना है कि अभी पूरा ध्यान इस पर है कि गांव में किसी भी तरह संक्रमण न पहुंचे। क्योंकि बाहर की स्थिति को देखकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। सतर्कता के साथ-साथ सुबह-सुबह गांव में हवन भी किया जाता है।

योगी बाबा कराते हैं योग

मंदिर पर रहने वाले योगी बाबा योग कराते हैं। इसमें ग्रामीण भी उनकी सहायता करते हैं। युवा गांव में कराते हैं। महिलाएं खेतों में काम करने के साथ-साथ सुबह-सुबह योग भी करती हैँ।

प्रवासियों को स्कूल में रुकवाते हैं सात दिन

गांव के रहने वाले कुछ प्रवासी आए हैं। उन्हें सात दिन तक गांव के स्कूल में रोका जाता है। साथ ही युवाओं ने संकल्प लिया है कि गांव में कोरोना से बचाने के लिए सतर्कता बरती जाएगी। इसके लिए युवा रात दिन इस कार्य में लगे हुए हैं।

गांव पर एक नजर

गांव में वोटर की संख्या- 1350

आबादी है- 2400

कोरोना पॉजिटिव संख्या- शून्य

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