Effect of Coronavirus infection : कोरोना काल में बरेली में घटी दूध की खपत, जानिये दूध के उत्पादन और रेट पर क्या पड़ा असर

Effect of Coronavirus infection कोरोना काल में दूध की खपत में कमी आई है लेकिन दूध के दाम और उत्पादन की स्थिति जस की तस है। जिले में प्रतिदिन 1 लाख लीटर से 1.25 लाख लीटर तक दूध का उत्पादन होता हैखपत 1 लाख 50 हजार लीटर की है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 12:48 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 12:48 PM (IST)
Effect of Coronavirus infection : कोरोना काल में बरेली में घटी दूध की खपत, जानिये दूध के उत्पादन और रेट पर क्या पड़ा असर
गांवों से शहर आने वाले दूध की सप्लाई 40 फीसद घटी, होटल व्यवसाय प्रभावित होने से पड़ा फर्क।

बरेली, जेएनएन। Effect of Coronavirus infection : कोरोना काल में दूध की खपत में कमी आई है, लेकिन दूध के दाम और उत्पादन की स्थिति जस की तस है। जिले में प्रतिदिन 1 लाख लीटर से 1.25 लाख लीटर तक दूध का उत्पादन होता है, जबकि दूध की खपत 1 लाख 50 हजार लीटर की है, लेकिन आज कल इसमें 40 फीसद तक की कमी आई है। इसके बाद भी दूध के दाम में भी कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा है। जिले में गाय का दूध 40 रुपये और भैंस का दूध 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। शहरी क्षेत्र में दूध की खपत कम हुई तो दुग्ध उत्पादक किसानों ने गांव में लगी फेट मशीनों में दूध की सप्लाई बढ़ा दी है। इन फेट मशीनों से दूध विभिन्न कंपनियों में सप्लाई होता है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में गाय और भैंस मिलाकर कुल 9.35 लाख जानवर हैं। इनमें दो लाख के करीब गाय और सात लाख के करीब भैंस हैं। जिले में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन ग्रामीण क्षेत्र में ही होता है।यह दूग्ध उत्पादक ही शहरी क्षेत्र में दूध की सप्लाई करते हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में भी कई लोगों ने डेयरियां खोल रखी हैं। जो शहर के कई क्षेत्रों में दूध बांटते हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ने के चलते अब लॉकडाउन लग गया है। ऐसे में मिठाई की दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा आदि बंद हो गए हैं। इन होटलों व मिठाई की दुकानों में ग्रामीण क्षेत्र से ही दूध ज्यादा आता था।

अब लॉकडाउन में जब यह सब बंद हैं तो ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली दूध की सप्लाई में 40 फीसद तक की कमी आई है। इन दिनों घरों के अलावा घी, पनीर और दही बनाने वालों के यहां ही दूध की सप्लाई हो रही है।मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. एल के वर्मा ने बताया कि जिले में प्रतिदिन एक लाख लीटर से अधिक दूध उत्पादान होता है। जिले में अपनी खपतथ 50 हजार लीटर की है। बाकी दूध कंपनियां खरीद लेती है। इसके चलते मांग अधिक हो जाती है।

एक दुकान पर 2 से 4 क्विंटल प्रतिदिन आता था दूध

शहर में मिठाई की छोटी बड़ी मिलाकर दो सौ से दुकानें हैं। मिठाई की बड़ी दुकानों पर प्रतिदिन 2 से 4 क्विंटल प्रतिदिन दूध आता है। वहीं मध्यम वर्गीय दुकान पर एक क्विंटल और छोटी दुकानों पर 20 से 50 किलो दूध की प्रतिदिन सप्लाई है। एक मिठाई विक्रेता द्वारा बताए गए आंकड़े के अनुसार प्रतिदिन सिर्फ मिठाई की दुकानों पर ही 15 से 20 हजार लीटर दूध की सप्लई होती है। इसके अलावा 500 लीटर दूध शहर के विभिन्न होटल, ढाबों आदि भी होती है। लेकिन आज कल यह सब बंद चल रहे हैं।

गांव गांव लगी फेट मशीन

पराग समेत अन्य दुग्ध कंपनियों ने दूध की डिमांड पूरी करने के लिए अपने छोटे छोटे सेंटर गांव गांव खोल रखे हैं। गांव के लोग यहां लगी मशीन को फेट मशीन बोलते हैं। इस मशीन में दूध डालने के बाद यह बताती है कि किस दूध में कितनी फेट आएगी। इसके बाद मशीन से ही पर्ची निकलती है जो फेट बताकर दूध का दाम तय करती हैं।

सुबह के दूध की खपत, शाम की फेट में जाता

दुग्ध उत्पादकों की मानें तो सुबह के समय की तो तकरीबन पूरी खपत हो ही जाती है। लेकिन शाम को होने वाले दूध की खपत इन दिनों नहीं हो पा रही है। ऐसे में फेट मशीनों पर दूध पहुंचाना मजबूरी हो रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि फेट मशीन पर ग्रामीणों को नकद दाम भी मिल जाता है। इसलिए ग्रामीण कुछ भी करें लगें प्रतिदिन कुछ लीटर दूध तो फेट पर पहुंचाते ही है। लेकिन इन दिनों शाम का पूरा दूध ही फट मशीनों पर जा रहा है।

फुटकर लेने वाली भी हुए कम

शहर की दुकानों पर आने वाला पैकेट का दूध हो या जगह जगह खुली डेयरियां हों। बीते कुछ दिनों से दूध की मांग कम हुई है। वजह साफ है इन दिनों लॉकडाउन है तो लोग घर से कम निकलते हैं। गली मुहल्लों में चाय और होटल बंद हैं। इसके चलते पैकेट बंद दूध की भी मांग कम हो गई है।

यह कंपनियां जिले में सक्रिय

पराग, आनंदा, मदर डेयरी, कामधेनु, अमूल डेयरी, मधुसूदन, प्रयाग, मोगा, हारलेज समेत कुछ अन्य कंपनियां भी जिले में सक्रिय हैं। इन कंपनियों की गाड़ी यहां से दूध उठाकर प्लांट ले जाती हैं। गांवों में लगी फेट मशीनों पर दुग्ध उत्पादक दूध दे आते हैं, जिन्हें यह मशीन संचालक कंपनियों को महंगे दाम पर बेंच देते हैं।

10 हजार लीटर पराग की सप्लाई

पराग कंपनी के मार्केटिंग इंचार्ज प्रमोद सिंह बताते हैं कि जिले के दुग्ध उत्पादकों से पराग 15 से 16 हजार लीटर दूध लेती है। मंडल के सभी जिलों से मिला लें तो 50 हजार लीटर से अधिक दूध आता है। बताते हैं कि बरेली में दस हजार लीटर प्रतिदिन की सप्लाई है। इसके अलावा बदायूं, पीलीभीत और शाहजहांपुर में भी दस हजार लीटर की सप्लाई प्रतिदिन की होगी। बताया कि जो दूध बचता है, उसमें से अधिकतर दूध कन्नौज व कुछ आसपास के जिलों में भी भेज देते हैं।

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