बरेली में बैसाखी पर हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए निकाला गया नगर कीर्तन, गुरुद्वारे में कीर्तन के दौरान बताया गया बैसााखी का इतिहास
बैशाखी गुरुपर्व पर श्री गुरुनानक सिख सभा उदासी द्वारा गुरुद्वारा साहिब का 81वां नगर कीर्तन सदर बाजार कैंट से निकाला गया। सुबह 10 बजे भोग और श्री अखंड पाठ साहिब अमरजीत सिंह द्वारा शब्द कीर्तन किया गया। सबद कीर्तन के बाद अरदास एवं प्रसाद वितरण किया गया।
बरेली, जेएनएन। बैशाखी गुरुपर्व पर श्री गुरुनानक सिख सभा उदासी द्वारा गुरुद्वारा साहिब का 81वां नगर कीर्तन सदर बाजार कैंट से निकाला गया। सुबह 10 बजे भोग और श्री अखंड पाठ साहिब अमरजीत सिंह द्वारा शब्द कीर्तन किया गया। सबद कीर्तन के बाद अरदास एवं प्रसाद वितरण किया गया। जबकि दोपहर में गुरु का अटूट लंगर भी संगत ने छका। श्री गुरुनाक सिख सभा उदासी सदर बाजार कैंट की ओर से बैसाखी पर्व पर कीर्तन समागम हुआ। कीर्तन सुनने को सिख समाज के लोगों की भीड़ उमड़ी और शांति पूर्वक कीर्तन सुने। लोगों ने गुरु की अरदास लगाई। रागी जत्थे ने सबद कीर्तन किया।
गुरमीत सिंह हेड ग्रंथी जनकपुरी गुरुद्वारा ने बैसाखी का इतिहास बताया। बताया कि गुरु गोविंद सिंह ने इस दिन 13 अप्रैल 1699 को तख्त केसगढ़ साहेब अन्नदपुर में खालसा पंथ की स्थापना की थी। छुआछूत को दूर करके चारों वरणों का एक वर्ण बनाया। सभी को एक साथ बैठाकर अमृत पान कराया, जाति-पाति की संकीर्ण विचारधारा को समाप्त करने का आदेश दिया। अखंड पाठ के भोग के उपरांत दीवान हाल में सजे दीवान में हजूरी रागी जत्थे ने कीर्तन करते हुए कहा कि खालसा मेरो रूप है खास, खालसे में ही करूं निवास..।
बैसाखी के दिन सजे दीवान में पंज प्यारों की सर्जना की पूर्ण भूमिका को कथा व कीर्तन के माध्यम से संगत के समक्ष प्रस्तुत किया। गुरुद्वारा साहिब से नगर कीर्तन आरंभ होकर गाड़ी खाना, सदर, गोल बाजार, बड़ी बाजार, कैंट अस्पताल के सामने होकर शाम को बीआइ बाजार पहुंचा। जहां नगर कीर्तन का स्वागत तथा लंगर प्रसाद वितरित किया गया। देर शाम नगर कीर्तन वापस जनरल साहिब की कोठी के सामने से होता हुआ 25 व 26 नंबर बंगले के सामने होता हुआ बड़ी बाजार, मदारी की पुलिया में गोल बाजार होकर वापस गुरुद्वारे में समाप्त हुआ। नगर कीर्तन का साथ रागी जत्था, बैंड बाजा, बग्गी, गतका पार्टी करतब दिखाते हुए चल रही थी।