कोरोनाकाल में अत्याधिक चिंता से एंजाइटी डिसआर्डर के शिकार हो रहे बच्चे, इससे बच्चों को बचाने के लिए पढ़ें रिपोर्ट

कोविड-19 संक्रमण नियंत्रण के बीच दबे पांव हमारे बच्चों के दिमाग पर चिंता हावी हो रही है। संक्रमण की दो लहरों के बीच घरों में रहे बच्चों में एंजाइटी डिसआर्डर का तानाबाना बुन रहा है। डॉक्टर कहते है कि मनोवैज्ञानिक असर से उभरने में समय लगेगा।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 01 Jun 2021 02:27 PM (IST) Updated:Tue, 01 Jun 2021 02:27 PM (IST)
कोरोनाकाल में अत्याधिक चिंता से एंजाइटी डिसआर्डर के शिकार हो रहे बच्चे, इससे बच्चों को बचाने के लिए पढ़ें रिपोर्ट
कभी बाहरी माहौल, कभी अपने अभिभावकों की सेहत को लेकर ज्यादा चिंतित हो रहे।

बरेली, जेएनएन। कोविड-19 संक्रमण नियंत्रण के बीच दबे पांव हमारे बच्चों के दिमाग पर चिंता हावी हो रही है। संक्रमण की दो लहरों के बीच घरों में रहे बच्चों में एंजाइटी डिसआर्डर का तानाबाना बुन रहा है। पोस्ट कोविड इफेक्ट कुछ दिनों में कम होने की उम्मीद जताने वाले डॉक्टर कहते है कि मनोवैज्ञानिक असर से उभरने में समय लगेगा। मनोवैज्ञानिक काउंसलर्स के पास आने वाले केस में 35 फीसद एंजाइटी डिसआर्डर के मामले हैं।

साइकिल, दरवाजे को छूने से डरने लगा मासूम : राजेंद्रनगर में रहने वाले एक व्यवसायी के 12 साल के बेटे फैक्ट्री जाने पर उन्हें बार-बार फोन करके हालचाल पूछने लगे। कुछेक हफ्तों में उनके बेटे घर के दरवाजे को खोलने के लिए छुने से डरने लगे। अपनी पसंदीदा साइकिल को भी हाथ नहीं लगाते। हमेशा डर सताता है कि उसको या परिवार के किसी सदस्य को संक्रमण न हो जाए।

बेटी घटनाएं भूलने लगी : रामपुरबाग में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट के बेटी बार-बार हाथ धोती है। ज्यादातर घटनाओं को भूलने लगी है। घर के अंदर ही रहते हुए उसको बाहरी माहौल से अब डर सा लगने लगा है। अभिभावकों ने बदलाव नोट करके रामपुर बाग की एक मनौवैज्ञानिक को संपर्क किया। तब उन्हें पता चला कि बच्चें के अंदर फीयर सिंड्राेम घर कर रहा है।

अत्याधिक नकारात्मकता से बच्चों को दूर रखेंं

- स्कूल, खेल के मैदान से दूर बच्चों पर नकारात्मकता हावी हो रही है

- छोटे बच्चों को अच्छी कहानी सुनाए, उनके सामने नकारात्मक बातें कम करें

- टीवी चैनल्स पर भी नाकारात्मक सामग्री से बचें

पोस्ट टामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर के शिकार भी हो रहे स्वजन : पोस्ट कोविड इफेक्ट की तरह पोस्ट टामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर भी कोविड संक्रमितों के स्वजनों तक पहुंचने के मामले आ रहे है। 300 बेड अस्पताल के सीएमएस डॉ. वगीश वैश्य के मुताबिक ये विकार किसी भयानक घटना का अनुभव करने या उससे गुज़रने के बाद सामान्य हो पाने की विफलता वाला है। उत्तेजित होने पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया नजर आती है। शुरूआती लक्षणों में चिंता या हमेशा खराब मूड में लोग दिखते हैं। ऐसे डिसआर्डर के लिए मेडिसिन कोर्स होते हैं। 

क्या कहती हैं मनोवैज्ञानिक : बरेली कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. हेमा खन्ना कहती है कि एंजाइटी डिसआर्डर में काउंसलिंग से फायदा होता है। बच्चों को बहुत नकारात्मक बातों से दूर रखना चाहिए। उनके रचनात्मक कार्यों से जोड़कर उनकी मनोदशा को बेहतर बनाने के प्रयास होने चाहिए।

chat bot
आपका साथी