रुहेलखंड में लहलहाएगी काजू की फसल

देश में काजू सबसे ज्यादा केरल में पैदा होता है। कर्नाटक गोवा महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश आदि भी पीछे नहीं है। किसानों की तकदीर बदलने के लिए सरकार उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। काजू की खेती और प्रोसेसिग काफी कठिन होती है लेकिन रुविवि के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिग विभाग के सहायक प्रोफेसर सुमित श्रीवास्तव बरेली व आसपास क्षेत्रों में काजू व अन्य ड्राईफ्रूट्स की खेती के लिए एक स्मार्ट एग्रीकल्चर सिस्टम बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इससे नाथ नगरी में भी काजू के पेड़ लहलहाते नजर आएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 05:03 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 05:03 AM (IST)
रुहेलखंड में लहलहाएगी काजू की फसल
रुहेलखंड में लहलहाएगी काजू की फसल

अंकित शुक्ला, बरेली: देश में काजू सबसे ज्यादा केरल में पैदा होता है। कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि भी पीछे नहीं है। किसानों की तकदीर बदलने के लिए सरकार उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। काजू की खेती और प्रोसेसिग काफी कठिन होती है, लेकिन रुविवि के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिग विभाग के सहायक प्रोफेसर सुमित श्रीवास्तव बरेली व आसपास क्षेत्रों में काजू व अन्य ड्राईफ्रूट्स की खेती के लिए एक स्मार्ट एग्रीकल्चर सिस्टम बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इससे नाथ नगरी में भी काजू के पेड़ लहलहाते नजर आएंगे।

भारतीय काजू की मांग विश्व में तेजी से बढ़ रही है। यह सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसमें जिक, आयरन, मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व पाए जाते हैं। प्रोफेसर सुमित श्रीवास्तव के अनुसार विभाग के चतुर्थ वर्ष के छात्र ऋतिक वर्मा, विकास, ऋषि सक्सेना के साथ काजू उत्पादन प्रोजेक्ट की नींव रखी है। यह स्मार्ट प्रोजेक्ट है, इसमें काजू की खेती के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जाएगा। सिचाई से लेकर तापमान नियंत्रण तक और अन्य सभी कार्य विभिन्न प्रकार के सेंसर व प्रोसेसर के माध्यम से होंगे। इसमें मानव श्रम और मानवीय रखरखाव की आवश्यकता नहीं होगी। उनका लक्ष्य काजू की खेती के लिए अनुकूल माहौल बनाकर ज्यादा से ज्यादा काजू की फसल प्राप्त करना है। इस तकनीक से आसपास के किसान भी लाभान्वित हो सके।

देश में कैसे आया काजू

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक काजू की उत्पत्ति ब्राजील में हुई थी। सन 1550 के आसपास वहां शासन कर पुर्तगाली शासकों ने इसका निर्यात शुरू किया। 1563 से 1570 के बीच पुर्तगाली ही इसे सबसे पहले गोवा लाए और वहां इसका उत्पादन शुरू करवाया। यह एक ऐसी नकदी फसल है जो कम समय में अधिक मुनाफा देती है। काजू के पेड़ सामान्यत: 13 से 14 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। वहीं इसके बौने पौधे छह मीटर लंबे होते हैं। एक साल बाद इसके प्रत्येक पेड़ से आठ से 10 किलो काजू का उत्पादन होता है। वहीं हाइब्रिड किस्मों से ज्यादा पैदावार की संभावना होती है।

मई में होती है छटाई

प्रोफेसर के मुताबिक मई में काजू की छंटाई करना फायदेमंद होता है। पेड़ की सूखी, मुरझाई हुई शाखाओं को काटना चाहिए और कटी हुई शाखाओं के सिरों पर बोर्डो पेस्ट लगाना चाहिए। जब काजू पूरी तरह से पक जाए तो उसे निकाल लें। फिर तीन से चार दिन तक तेज धूप में सुखाएं। खेती के लिए ऐसा मौसम अनुकूल है जहां ठंड के दिनों में तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम न हो और गर्मी के दिनों में 32 से 36 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच हो। आदर्श तापमान 20 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए।

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