सावधान। बरेली में श्मशान भूमि में चिता व खुले में फेंकी जा रही पीपीई किट
शहर की तीनों ही श्मशान भूमि समेत रामगंगा किनारे कोरोना संक्रमित व संदिग्ध मरीजों के शव के अंतिम संस्कार में प्रयोग की जाने वाली पीपीई किट या तो चिता के साथ ही जला दी जा रही है या फिर इस खुले में फेंका जा रहा है।
बरेली, जेएनएन। शहर की तीनों ही श्मशान भूमि समेत रामगंगा किनारे कोरोना संक्रमित व संदिग्ध मरीजों के शव के अंतिम संस्कार में प्रयोग की जाने वाली पीपीई किट या तो चिता के साथ ही जला दी जा रही है या फिर इस खुले में फेंका जा रहा है। ऐसे में दोनों ही तरह से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। हैरत की बात तो यह है कि श्मशान भूमि में व्यवस्थापकों के पास भी इसके निस्तारण के लिए किसी तरह के कोई इंतजाम नहीं है।
कोरोना काल के चलते शहर की तीनों ही श्मशान भूमि में कोविड व सामान्य शवों की अंत्येष्टि के लिए लाइनें लगी हैं। नाथनगरी में सिटी श्मशान, संजयनगर श्मशान व गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि में हर रोज बढ़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। इस दौरान शवदाह के लिए आने वाले लोग अपने पीपीई किट और अन्य सामग्री श्मशान भूमि में ही खुले में फेंककर जा रहे
हैं। यह सामग्री हवा में उड़कर आसपास के क्षेत्र में फैल रही है। इससे लोगों में दहशत है। ऐसे में शहर में संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ रहा है। वहीं सिटी श्मशान घाट, गुलाबबाड़ी श्माशान घाट, संजयनगर श्मशान भूमि समेत रामगंगा किनारे पीपीई किट को खुले में ही फेंका जा रहा है।
सिटी श्मशान भूमि
सिटी श्मशान भूमि में पिछले तीन दिनों से अंतिम संस्कार के लिए जगह न होने की वजह से पार्किंग में भी किया जा रहा है। लेकिन श्मशान घाट के भीतर पीपीई किट कई जगहों पर पड़ी हुई है। साथ ही ग्लवस व अन्य सामान भी इधर-उधर पड़ा हुआ है।
संजय नगर श्मशान भूमि
यहां पीपीई किट को चिता के साथ ही जलाया जा रहा है। जबकि, ग्लवस इधर-उधर खुले में ही पड़े हुए हैं। हाथ धोने के लिए लगाई गई पानी की टोंटियों के स्लैप के पास भी ग्लवस फैले हुए हैं। साथ ही यहां शव के साथ आने वाले स्वजनों के बैठने के लिए पड़ी बेंच के आसपास पीपीई पड़ी हुई हैं।
गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि
पीपीई किटों को यहां पर भी चिताओं में डालकर ही जलाया जा रहा है। कई बार तो लोग पीपीई किट और ग्लवस को गेेट पर ही फेंक के जा रहे हैं। इससे कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ लोग खुद ही उतारकर चिता में जला देते हैं। जबकि जो इधर-उधर फेंक देते हैं उनको इकठ्ठी अलग से जलवाया जा रहा है। महेंद्र पटेल, संजयनगर श्मशान भूमि, सचिव
पीपीई किट व अन्य सामान को शाम को कर्मचारी इकठ्ठी करने के बाद जला देते हैं। लोगों को लगातार समझाया जा रहा है। मगर कोई मानता ही नहीं है। त्रिलोकीनाथ, व्यवस्थापक, सिटी श्मशान भूमि