जिस बैल को पाल-पोसकर बड़ा किया उसी ने बदायूं के किसान की ले ली जान, जानें क्या है पूरा घटनाक्रम

Bull Slammed Farmer to Death घुमंतू पशुओं के हमले में लोगों की जान जाती रही है लेकिन यहां किसान को उसी के बैल ने पटक कर मार डाला। गुरुवार रात घटना उस समय हुई जब किसान अपने डनलप से मेंथा लादकर फैक्ट्री पर ले जा रहा था।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 10:50 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:06 PM (IST)
जिस बैल को पाल-पोसकर बड़ा किया उसी ने बदायूं के किसान की ले ली जान, जानें क्या है पूरा घटनाक्रम
बैल बिदक गया और किसान को उठाकर पटक दिया।

बरेली, जेएनएन। Bull Slammed Farmer to Death : घुमंतू पशुओं के हमले में लोगों की जान जाती रही है, लेकिन यहां किसान को उसी के बैल ने पटक कर मार डाला। गुरुवार रात घटना उस समय हुई, जब किसान अपने डनलप से मेंथा लादकर फैक्ट्री पर ले जा रहा था। इसी दौरान बैल बिदक गया और किसान को उठाकर पटक दिया। थाना क्षेत्र के गांव गढ़िया हरदोपट्टी निवासी 50 वर्षीय ध्यानपाल ने मेंथा की फसल की थी। गुरुवार रात करीब दस बजे वह मेंथा डनलप से लेकर तेल निकलवाने के लिए फैक्ट्री पर ले जा रहे थे।

मेंथा उतारने के बाद घर वापस लौटने के लिए ध्यानपाल बैल खोलने लगे।इसी दौरान उनका एक बैल बिदक गया और उन पर हमला कर दिया। वह संभल भी नहीं पाए थे कि बैल ने उन्हें सींग से उठाकर पटक दिया। जिससे ध्यानपाल की मौके पर ही मौत हो गई। इसकी जानकारी होते ही स्वजन की चीख-पुकार मच गई। गांव के तमाम लोग मौके पर एकत्रित हो गए। पत्नी और दो बच्चों के लिए वही सहारा था। बैलों के सहारे खेती और डनलप चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा था, लेकिन जिस बैल के साथ उसका दिन-रात का रिश्ता था उसे ने जान ले ली।

ग्रामीणों ने पुलिस को अवगत कराया तो मौके पर पहुंची पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव स्वजन को सौंप दिया। एसओ चेतराम ने बताया कि गढ़िया हरदोपट्टी में डनलप में मेंथा लेकर फैक्ट्री पर गए किसान का बैल बिदक गया था। बैल के हमले में किसान की मौत हो गई। पोस्टमार्टम करवाकर शव को स्वजन को सौंप दिया गया है। बैल उसी किसान का था, इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बेहसहारा पशु हर माह लेते बेगुनाह लोगों की जान, गांवों में दहशत : शासन के निर्देश के बावजूद जिलेभर में गोशला होने का ढोंग रचाया जा रहा है। गांव में बेहसहारा पशुओं के विचरण के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे बेहसहारा पशु फसल उजड़ने के साथ ही लोगों के घर तबाह कर रहे है। हर माह एक दो घटनाएं होना आम हो गई है। अधिकांश सांड और बैल हिंसक हो रहे है। खेतों से भगाने के दौरान ये पशु हिसंक रूप अख्यितार कर लेते है और लोगों पर हमलावर हो जाते है। गत माह पूर्व उसहैत में एक किसान की जान सांड ने ले ली थी। इससे पूर्व जरीफनगर क्षेत्र में सींग घुसेड़कर बैल ने किसान को मौत की नींद सुला दिया था।

वहीं, 15 मई को बिल्सी थाना क्षेत्र के गांव मोहम्मद की मुन्नी देवी पर घास छीलते समय सांड ने हमला कर दिया था। जिसमें उनकी मौत हो गई थी। 10 जनवरी 2018 को बिल्सी के मुहल्ला नंबर तीन में मुहल्ले के ही धर्मवीर को अस्थायी गोशाला से निकले एक सांड ने पटक-पटककर मार डाला था। बैरमई बुजुर्ग गांव के ओमप्रकाश की भी सांड के हमले में मौत हुई है। वर्ष 2019 में जरीफनगर क्षेत्र के गांव नाधा में महावीर सिंह को खेत से पशु भगाने के दौरान सांड के हमले में मौत हो गई थी। इसके अलावा वर्ष 2021 में उझानी कोतवाली क्षेत्र के गांव पीअरखंदना और अढ़ौली, दातागंज क्षेत्र के गांव नेता झुकसा में सांड के हमले में तीन लोग अपनी जान गवां चुके है। गांवों में बेहसहारा पशुओं को उत्पात बरकार है। जिससे गांवों में इन पशुओं की दहशत बरकार है।

नहीं उठाए जा रहे कठोर कदम : हादसों का पर्याय बने बेहसहारा पशुओं को पकड़ने की मुहिम नगर पंचायत और नगर पालिका प्रशासन की ओर से अभियान तो चलाया गया, लेकिन पशुओं के सड़क के बीच और गांव में विचरण करने के कारण घटना का का बराबर भय बना रहता है। इस समस्या पर प्रशासन की ओर से कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिससे गांवों में पशुओं की तदाद बढ़ती जा रही है। वहीं, शहरी इलाकों में भी पशुओं के झुंड से लोगों के साथ-साथ वाहन चालकों को भी डर लगा रहता है। कई बार झुंड में पशु सड़कों पर खड़े हो जाते हैं जिससे न केवल यातायात बाधित होता है बल्कि आए दिन ये राहगीरों को भी घायल कर देते हैं।

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