बरेली में कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा, 0000000000 मोबाइल नंबर पर चढ़ाए गए 965 संक्रमित

पूरे कोविड काल में यूं तो स्वास्थ्य विभाग के कई फर्जीवाड़े सामने आए हैं लेकिन इस बार तो विभाग ने हद ही कर दी। सैंपलिंग की संख्या बढ़ाने के लिए फर्जी नामों को दर्ज किया जा रहा है।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:46 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 01:35 PM (IST)
बरेली में कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा, 0000000000 मोबाइल नंबर पर चढ़ाए गए 965 संक्रमित
दस शून्य (0000000000) को भी एक मोबाइल नंबर बनाकर इस पर 965 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं।

अंकित गुप्ता 

बरेली, जेएनएन।  पूरे कोविड काल में यूं तो स्वास्थ्य विभाग के कई फर्जीवाड़े सामने आए हैं, लेकिन इस बार तो विभाग ने हद ही कर दी। सैंपलिंग की संख्या बढ़ाने  के लिए फर्जी नामों को दर्ज किया जा रहा है। इसमें हास्यास्पद बात यह है कि इन नामों को दर्ज करने के लिए जिन नंबरों का सहारा लिया गया, वह अस्तित्व में ही नहीं है। यहां तक की दस शून्य (0000000000) को भी एक मोबाइल नंबर बनाकर इस पर 965 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं।

शासन की ओर से जिले को प्रतिदिन तीन हजार से अधिक लोगों की सैंपलिंग करने का लक्ष्य दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस लक्ष्य को जिले में पूरा किया जा रहा है। इसके लिए प्रतिदिन शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में तीन हजार से ऊपर सैंपल किए जाना दर्शाया जा रहा है। जबकि हकीकत इसके ठीक विपरीत है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की करीब तीस टीमें सैंपलिंग कर रही हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार इन तीस टीमों को मिलाकर भी हर रोज दो हजार सैंपल पूरे नहीं किए जा पा रहे हैं।

ऐसे में लक्ष्य पूरा करने के लिए फर्जी नामों का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन पोर्टल पर एंट्री पूरी करने के लिए कई कॉलम पूरे भरने होते हैं। इनमें एक कॉलम मोबाइल नंबर का भी होता है। नाम और पता मनमुताबिक भरने के साथ ही मोबाइल नंबर भी काल्पनिक भरे जा रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब एक विभागीय अधिकारी से पोर्टल की मोबाइल नंबर एंट्री कॉलम में गलती से दस बार शून्य टाइप हो गया। इसके बाद उनके एंटर दबाने पर जो परिणाम आए वह चौकाने वाले थे। दस शून्य नंबर जो एकदम काल्पनिक है उस पर भी 965 लोगों के रजिस्ट्रेशन पाए गए। इस तरह 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 नंबर को दस बार डालकर देखा गया तो हजारों रजिस्ट्रेशन इन काल्पनिक नंबरों पर दर्ज किए गए पाए गए।

जुलाई से पकड़ी रफ्तार

कोविड की शुरुआत से ही स्वास्थ्य विभाग के एक के बाद एक खेल सामने आए हैं। लेकिन फर्जी सैंपलिंग का खेल जुलाई माह से तेजी से शुरू हुआ। जुलाई में जब संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो सैंपलिंग बढ़ाने के लिए कहा गया। इसके बाद जब कई प्रयासों के बाद भी लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आया तो फर्जी नामों का सहारा लिया जाने लगा।

यह है प्रक्रिया

जांच कराने की प्रक्रिया बेहद सरल है। जांच कराने से पहले एक फार्म भरना होता है। इसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर और बीमारी आदि भरना होता है। इसके बाद ही जांच होती है। इसके लिए एंटीजन फार्म और आरटीपीसीआर का अलग फार्म होता है। ऐसे में गलत मोबाइल नंबर दिए जाने की गुंजाइश तो रहती है, लेकिन मोबाइल नंबर न दिए जाने की गुंजाइश न के बराबर होती है।

क्या कहना है कि अधिकारियों का

जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शासन की मंशानुरूप प्रतिदिन तीन हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल किए जा रहे हैं। काल्पनिक मोबाइल नंबरों पर रजिस्ट्रेशन किए जाने की जानकारी अब तक नहीं है। अगर ऐसा किया गया है तो संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- डा. विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ

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