अब्दुल हो या श्याम आक्सीजन लंगर में सबके लिए इंतजाम, जानिए बरेली में चल रहे सिक्ख समाज के इस लंगर में क्या है खास
Oxygen Langar रोगी का प्रभु खंडो रोग दुखियो का प्रभ मिटावो शोक... आक्सीजन लंगर में घुसते ही कानों में पड़ते गुरुवाणी के ये मीठे शब्द। परिसर में लगा टैंट पेड़ो की छांव और शारीरिक दूरी का पालन करते अलग-अलग बेड पर लेटे मरीज।
बरेली, जेएनएन। Oxygen Langar : रोगी का प्रभु खंडो रोग, दुखियो का प्रभ मिटावो शोक... आक्सीजन लंगर में घुसते ही कानों में पड़ते गुरुवाणी के ये मीठे शब्द। परिसर में लगा टैंट, पेड़ो की छांव और शारीरिक दूरी का पालन करते अलग-अलग बेड पर लेटे मरीज। इतने में अब्दुल से पूछा जाता है कि आपको कोई तकलीफ तो नहीं है। एक कुर्सी पर आक्सीजन लगाए अब्दुल मास्क हटाते मिनी लाउडस्पीकर को उठाते हैं, सरदार जी अब अल्लाह की रहमत है। आपने मुझे बचा लिया। एक अब्दुल ही नहीं ऐसे तमाम मरीज हैं जो आक्सीजन लंगर में मौत से जंग जीत रहे हैं।
ठीक होकर घर पहुंच रहे हैं। सिक्ख समाज ने ऐसी व्यवस्था की है। जिसमें हर जरुरतमंद को आक्सीजन मिल रही है। ये नजारा था गुरु गोविंद सिंह इंटर कॉलेज में लगाए गये आक्सीजन लंगर का । आपके अखबार दैनिक जागरण ने जानीं यहां की व्यवस्थाएं। बता दें कि सिक्ख समाज की ओर से आक्सीजन लंगर चलाया जा रहा है। जहां बरेली ही नहीं बरेली के बाहर के मरीजों को भी आक्सीजन की सुविधा मुहैया कराकर सेवा कार्य कर रहे हैं।
ऐसे हुई आक्सीजन लंगर की शुरुआत
आक्सीजन लंगर के आयोजक तेजपाल सिंह एवं हैप्पी सिंह ने जानकारी दी। शहर भर में लोगों की होती मौतें और तड़पते लोगों ने झकझोर दिया। वाहे गुरु से प्रार्थना की । तो एक रास्ता सामने आया कि बस कुछ करो। शुरूआत दो सिलेंडर से की गई। रिफिलंग कराते थे। लेकिन ये पर्याप्त नहीं था। इसके बाद अपने मित्र से संपर्क किया। रुद्रपुर से चार सिलेंडर लिए कुछ अन्य सर्जीकल से खरीदे। धीरे-धीरे कारवां बनता चला गया।
इसके बाद हमारे आठवें गुरु तेगबहादुर की सेवा याद आयी कि चेचक की बीमारी में सिर्फ 8 साल की उम्र में सेवा करते उन्होंने अपना शरीर छोड़ दिया। बस इसके बाद कैंप लगाने की ठान ली। जिलाधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने परमीशन दे दी। इसके बाद शुरू कर दिया आक्सीजन लंगर । इसमें खालसा एड की तरफ से भी सहयोग किया जा रहा है। जो कि सिक्ख समुदाय का विश्व स्तर का चैरिटी करने वाली संस्था है।
टीम में सिक्ख समाज के साथ जुड़े हैं सर्व समाज के लोग
एक टीम जो कभी साथ पढ़े थे। इन्हें अमर, अकबर एंथनी से कम नहीं आंका जा सकता है। मनपीत, कंवलजीत के साथ मयंक शुक्ला, मौ कलीमुद्दीन, तनवीर सिंह भी बराबर मरीजों की देखभाल करते हैं। बल्कि तन, मन धन से भी सहयोगी है।
मिल चुकी है 190 मरीजों को राहत
हर मरीज के पास पैरामेडिकल और डॉक्टर्स की टीम तैनात रहती है। डा दिनेश विश्वास, रचना और संजय अपनी कमान संभाले रहते हैं। महिलाओं के लिए अलग वार्ड के लिए भी व्यवस्था है। तीमारदारों के लिए खाना, पानी की भी यह व्यवस्था है। नोन कोविड मरीज जिन्हें सांस संबंधी परेशानी है । दो आक्सीजन कंसन्ट्रेटर भी लगाए हैं। पंजाबी सभा की ओर से एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही मरीजों के लिए हर एक घंटे में जूस, नारियल पानी, खाना है। तीमारदारों के लिए भी खाने की व्यवस्था है। अब तक 190 मरीजों को राहत मिल चुकी है। सिद्धिविनायक अस्पताल, धनवंतरि अस्पताल के डॉक्टर्स भी सेवाएं दे रहे है
शाहजहां से आए श्रीपाल ने बताया कि पिताजी को सांस लेने में काफी तकलीफ थी। जब यहां की जानकारी मिली। तो बस आ गये। अब आराम है।
बीसलपुर से आए कल्याण सिंह की हालत काफी स्थिर थी। लेकिन यहां आकर आक्सीजन लेवल बढ़ रहा। उन्हें आराम है। बरेली के अलावा बाराबांकी, बहेड़ी, बीसलपुर आदि से मरीज आ रहे हैं।
करमपुर उमर अहमद को सांस लेने में काफी दिक्कतें हो रहीं थीं। उनका आक्सीजन लेवल 80 के आसपास था। जो अब 91 हो गया है।