बरेली के दूषित जल की लड़ाई अब कोर्ट में

फरीदपुर के मुहल्ला मिर्धान निवासी आसिफ हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पीआइएल में जिले में आर्सेनिक युक्त पानी का जिक्र किया है। साथ ही बताया कि जिले में इस पानी पीने के चलते कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 04:21 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 05:53 PM (IST)
बरेली के दूषित जल की लड़ाई अब कोर्ट में
गिरते जल स्तर और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को न अपनाने पर भी जताई चिंता।

बरेली, जेएनएन : रामगंगा नदी किनारे बसी नाथनगरी के कई गांव के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। इसके चलते मीरगंज, बिसारतगंज, रामनगर आदि क्षेत्र के कई गांवों में लोगों की मौत भी हो चुकी है। कई बार आवाज उठाई गई लेकिन सरकारी मशीनरी मात्र खानापूरी तक ही सीमित रही। कुछ दिन पहले फरीदपुर के एक युवक ने जिले के दूषित पानी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल दाखिल की थी। अब वह इसे लेकर सेशन कोर्ट में भी पीआइएल लगाने जा रहे हैं।

फरीदपुर के मुहल्ला मिर्धान निवासी आसिफ हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पीआइएल में जिले में आर्सेनिक युक्त पानी का जिक्र किया है। साथ ही बताया कि जिले में इस पानी पीने के चलते कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा उन्होंने जिले के गिरते जल स्तर और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को न अपनाने पर भी चिंता जताई है। बता दें कि तहसील मीरगंज व आंवला तहसील के 35 से अधिक गांव में बीते दो वर्षों में 135 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी वजह रामगंगा के जलस्तर के दूषित होने के चलते भूजल में आर्सेनिक होना माना गया। इसके चलते रामगंगा से सटे करीब 40 गांवों में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं।

आसिफ की पीआइएल पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले को हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए कहा गया है। कोरोना संक्रमण के चलते अब तक इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी है। इधर आसिफ ने जिले के हालात को देखते हुए भूगर्भ जल विभाग को एक नोटिस भेजा है। जिसमें उन्होंने भूगर्भ के दूषित जल के पीने से हो रही लोगों की मौत और उसमें कोई सुधार न किए जाने की बात को रखा है। साथ ही बताया है कि कुछ दिन पूर्व इस क्षेत्र के जल की जांच नगर निगम बरेली द्वारा की गई थी। जिसमें भूगर्भ जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड व अन्य जहरीले तत्वों की पुष्टि होने की बात लिखी है। आसिफ ने बताया कि नोटिस का जवाब न आने पर वह भूगर्भ जल विभाग के खिलाफ सेशन कोर्ट में पीआइएल दाखिल करेंगे।

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