Basic Education : बरेली में गुरुजी बोले- आंकड़े जुटाएं या फिर ऑनलाइन पढ़ाई कराएं
कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसके लिए सरकार ने अप्रैल से ही ऑनलाइन कक्षाएं अनिवार्य कर दीं।
बरेली, जेएनएन। कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार ने अप्रैल से ही ऑनलाइन कक्षाएं अनिवार्य कर दीं। शिक्षकों ने भी इसकी शुरुआत कर दी थी। लेकिन पिछले एक महीने से ऑनलाइन कक्षाएं सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गईं। शिक्षकों की ड्यूटी मिड-डे-मील, कन्वर्जन कास्ट वितरण के आंकड़े जुटाने से लेकर किताबें उठाने में लगा दी गई। फिर एक महीना ऑनलाइन ट्रेनिंग में निकल गया। इन सबके बीच अगस्त का आधा महीना ऐसे ही बीत गया। अब शिक्षक परेशान हैं कि विभाग के कागजी काम निपटाएं या ऑनलाइन पढ़ाई करवाएं।
बरेली में 2,894 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। मार्च में कोरोना महामारी फैलने की वजह से देश भर में लॉकडाउन कर दिया गया था। इससे स्कूल-कॉलेज भी बंद हो गए। इस बीच ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी गईं। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों ने नई-नई तकनीक इजाद कर रोचक ढंग से शिक्षण कार्य शुरू करा दिया। लेकिन जुलाई शुरू होते ही योजनाओं से जुड़े आंकड़े जुटाने सहित तमाम कार्यों में शिक्षकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। स्थिति यह है कि इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के साथ-साथ एक महीने से शिक्षक ऑनलाइन ट्रेनिंग में लगे रहे। ऐसे में जहां बच्चों को किताबें मिल गईं, जैसे-तैसे उससे पढ़ाई कर रहे। विभागीय जानकारों का कहना है कि इन कार्यों की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित हो गई है।
इन कार्यों में गुरुजी व्यस्त
मिड-डे-मील की कन्वर्जन कास्ट का विवरण, ऑनलाइन प्रशिक्षण, यूनिफार्म की मॉनीटरिंग, एसएमसी की पुरानी धनराशि को पुराने खाते से निकाल कर जिला परियोजना कार्यालय के खाते में जमा कराना। किताबें उठाना, कोविड-19 कंट्रोल में ड्यूटी, कायाकल्प योजना के काम की मॉनीटरिंग, बाला पेंटिंग और मानव सम्पदा पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड करना और कमियां दूर करना।
आंकड़ों में ऑनलाइन पढ़ाई का हाल
परिषदीय स्कूल : 2,894
पढ़ाने वाले शिक्षकों के ग्रुप बने : 10,160
ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े बच्चे : 50 हजार
ऑनलाइन पढ़ाई से दूर बच्चे : 3,25,732
कुल बच्चों की संख्या : 3,75,732
शिक्षकों के पास पढ़ाई के साथ और भी बहुत सारे कार्यों की भी जिम्मेदारी है। चाहे किताबें उठाना हो या यूनीफार्म वितरण सहित अन्य सूचनाएं जुटाना। इसके अलावा स्कूल में कार्य कराने के लिए प्रधानों के चक्कर लगाना। न काम हुआ तो शिक्षकों पर कार्यवाई कर दी जाती है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई की गुणवत्ता कैसे आ सकती है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में भी शिक्षकों से सिर्फ शिक्षण कार्य कराने का प्राविधान किया गया है।
डॉ. विनोद कुमार शर्मा, मंडल अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ बरेली
शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण 12 अगस्त तक था। छूटे वालों का प्रशिक्षण गुरुवार को हो गया। इस बीच स्कूलों के सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण एक साथ न कराकर ग्रुप बनाकर कराया गया, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। अब ऑनलाइन पढ़ाई पर पूरा फोकस रहेगा ताकि बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिल सके। विनय कुमार, बीएसए बरेली