बरेली की फोकस लैब 700 रुपये के कोविड टेस्ट के ले रही 1900 रुपये, जानें स्वास्थ्य विभाग ने क्या की कार्रवाई

Charged more money for covid test राजेंद्र नगर स्थित फोकस लैब के खिलाफ कोरोना काल में मरीजों से जांच के नाम पर ज्यादा वसूली करने के आरोप लगे हैं। शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी तक पहुंचने के बाद अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ.आरएन गिरि ने मामले की जांच की।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:46 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:46 AM (IST)
बरेली की फोकस लैब 700 रुपये के कोविड टेस्ट के ले रही 1900 रुपये, जानें स्वास्थ्य विभाग ने क्या की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एसीएमओ से कराई थी जांच।

बरेली, जेएनएन। Charged more money for covid test : राजेंद्र नगर स्थित फोकस लैब के खिलाफ कोरोना काल में मरीजों से जांच के नाम पर ज्यादा वसूली करने के आरोप लगे हैं। शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी तक पहुंचने के बाद अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ.आरएन गिरि ने मामले की जांच की। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक लैब संचालक ने पिछले साल जुलाई से इस साल मई तक 700 रुपये की कोविड जांच के एवज में 1900 रुपये तक वसूले। इस लिहाज से कोविड टेस्टिंग में करीब 17 लाख रुपये तक ज्यादा रुपये लेने की बात अपनी जांच रिपोर्ट में दी। अब मामले में डॉ.आरएन गिरि ने फाइनल रिपोर्ट से पहले एक कमेटी के जरिए जांच की सिफारिश कर रहे हैं।

500 से 900 रुपये तय था जांच का शुल्क : पिछले साल अप्रैल महीने से जिले में कोरोना केस बढ़ने शुरू हुए थे। तब से आज तक हजारों संक्रमित सामने आ चुके हैं। संक्रमण बढ़ने लगा तो सरकारी के साथ कुछ प्राइवेट लैब को भी जांच के लिए अधिकृत किया गया। सरकार ने 700 रुपये में कोविड जांच के आदेश दिए। घर आकर जांच करने पर 900 रुपये शुल्क और सरकारी संबंधित अधिकारी की ओर से जांच के लिए मरीज पहुंचने पर 500 रुपये में जांच करने के आदेश थे।

अब 1250 रुपये में ट्रू-नेट जांच के हैं आदेश : पिछले दिनों सरकार ने ट्रू-नेट जांच का शुल्क 1250 रुपये तय किया था। अगर इस हिसाब से भी जोड़ें तो हर मरीज से मोटी रकम वसूली गई। आरोप ये भी हैं कि ट्रू-नेट जांच की रिपोर्ट कुछ घंटे बाद ही मिलनी चाहिए थी, लेकिन लैब ने ज्यादा रकम वसूलने के बावजूद रिपोर्ट भी चार से पांच दिन बाद तक दी।

मरीजों को भ्रमित कर रुपये वसूले : एसीएमओ ने यह भी आरोप लगाए कि लैब प्रबंधन ने मरीजों को भ्रमित किया है। कई बार डॉक्टर से बिना बताए संदेह दूर करने के लिए मरीज जांच कराते हैं। आरटी-पीसीआर जांच कराने के लिए पहुंचे मरीज को जांच के बारे में जानकारी नहीं दी। लैब संचालक ने आरटी-पीसीआर जांच बताते हुए बगल में छोटा सा ट्रू-नेट लिख दिया। ऐसे में 700 रुपये वाली आरटी-पीसीआर जांच मरीज को भ्रमित रखते हुए 1900 रुपये में की। जबकि लैब कर्मचारियों को ट्रू-नेट या अन्य किसी जांच के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए थी। मरीजों में पैनिक बनाकर महामारी के दौर में सहयोग करने की जगह ज्यादा रुपये वसूले।

पॉजिटिव-निगेटिव में भी खेल की आशंका : कुछ प्राइवेट लैब में ट्रूनेट जांच निगेटिव आने पर भी पॉजिटिव रिपोर्ट दी जा रही है। इसके पीछे मनमाने रेट की वसूली तो है ही, इसके साथ ही एक घर में पॉजिटिव बताने पर ज्यादा से ज्यादा लोगों के टेस्ट भी करने को मिलते हैं। वहीं, दोबारा टेस्ट भी होता है। ऐसे में निजी लैब संचालक फर्जीवाड़ा कर चांदी कूट रहे हैं।

एसीएमओ बदायूं से भी अतिरिक्त वसूले : सरकारी महकमे तक बात तब पहुंची जब कुछ दिन पहले एसीएमओ बदायूं ने इसी लैब से स्वजन की जांच कराई। यहां जब 1900 रुपये प्रति जांच के हिसाब से बिल थमाया गया। तो एसीएमओ ने शासन की ओर से कम फीस होने की बात कही। स्टाफ ने मना कर दिया। इस पर एसीएमओ ने अपना परिचय दिया। जिसके बाद लैब ने अतिरिक्त लिए रुपये वापस लौटाए थे। इसके बाद एसीएमओ ने बदायूं में लैब खुलने की अनुमति नहीं दी।

क्या कहते हैं अधिकारी : एसीएमओ डॉ. आरएन गिरी ने बताया कि निजी लैब में कोरोना जांच पर अतिरिक्त वसूली करने की शिकायत मिलने के बाद जांच की। लैब प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध है, 17 लाख रुपये तक मरीजों से ज्यादा वसूले गए। बदायूं एसीएमओ से भी अतिरिक्त रुपये वसूली हुई। रिपोर्ट दाखिल करने के साथ ही कमेटी बनाकर फाइनल जांच की सिफारिश की जाएगी।

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