बरेली : नाबालिग बेटी के शव को जी भरकर देख भी न सका पिता, वजह जानकर आंंखों से आंंसू निकल आएंगे

पैदा हुई तो कुदरत ने दगा दिया। पैरों पर खड़ी हुई तो हैवान के शिकंजे में फंस गई। मानसिक रूप से कमजोर थी इसलिए किसी को अपना दर्द नहीं बता सकी। सब कुछ सहती रही इसी में गर्भावस्था के दौरान उसकी जान चली गई।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 05:58 PM (IST)
बरेली : नाबालिग बेटी के शव को जी भरकर देख भी न सका पिता, वजह जानकर आंंखों से आंंसू निकल आएंगे
नाबालिग बेटी के शव को जी भरकर देख भी न सका पिता, वजह जानकर आंंखों से आंंसू निकल आएंगे

बरेली, अनुज मिश्र। पैदा हुई तो कुदरत ने दगा दिया। पैरों पर खड़ी हुई तो हैवान के शिकंजे में फंस गई। मानसिक रूप से कमजोर थी, इसलिए किसी को अपना दर्द नहीं बता सकी। सब कुछ सहती रही, इसी में गर्भावस्था के दौरान उसकी जान चली गई। मौत के बाद भी उस बेबस को सुकून नसीब नहीं हुआ। हालात ऐसे थे कि पिता को अंधेरे में ही बेटी को दफनाना पड़ा। 

फतेहगंज पश्चिमी में रहने वाले मजदूर परिवार में 15 साल पहले बेटी पैदा हुई थी। एक साल बाद पता चला कि वह मानसिक रूप से कमजोर है। छप्पर पड़े घर में पिता उसे पालते रहे। समाज में घूम रहे हैवानों ने अनजान किशोरी पिछले साल जून में खेतों की तरफ गई थी, वहां बनवारी ने दबोच लिया। दुष्कर्म किया। तमंचा दिखाकर उनसे परिवार को मारने की जो धमकी दी, उससे किशोरी ऐसी खौफ में आई कि अपना दर्द किसी से न कह सकी।

दिसंबर में तबीयत बिगड़ी, अस्पताल पहुंची तब स्वजन को पता चला कि वह छह माह की गर्भवती है। रोते-रोते मां को पूरी बात बताई। आरोपित जेल चला गया, मगर वह बेबस उस हैवान के कारण जिंदगी के अजीब मोड़ पर पहुंच चुकी थी। पिता ने गर्भपात की इजाजत मांगी, छह माह का गर्भ होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका। हालात से मजबूर परिवार उसे बिना ब्याही मां बनाने को राजी हो गया था। वह घुटती रही, गर्भ में इंफेक्शन हो गया। उसे भी बर्दाश्त करती रही। गुरुवार को हालत ज्यादा बिगड़ी तब स्वजन को बताया। मगर, तब तक देर हो चुकी थी। शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम के बाद स्वजन शव घर लेकर गए। शाम हो चुकी थी। हल्की बारिश का पानी छप्पर से रिस रहा था। पिता को लगा कि रात में पानी ज्यादा बरसा तो बेटी के शव की दुर्दशा हो जाएगी। पक्की छत तक नहीं तो बेटी के शव को रात भर वहां रख पाते। मजबूरन रीति-रिवाज भुलाने पड़े। देर शाम को अंधेरे में ही शव को दफना दिया। 

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