Bareilly Sitapur Highway Scam : अफसरों के घोटाले की भेंट चढ़ा बरेली-सीतापुर हाईवे, आखें मूंदकर पास करते रहे पहली कंपनी के बिल

Bareilly Sitapur Highway Scam बरेली-सीतापुर हाईवे शुरुआत से ही अफसरों के घपलों की भेंट चढ़ता गया। शुरुआत में पहली कंपनी के बिलों को आंख मूंदकर पास करते गए। फिर अपनी कमी को छिपाने के लिए बचे हुए काम के सर्वे की रिपोर्ट से पहले टेंडर कर दिया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 01:21 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 01:21 PM (IST)
Bareilly Sitapur Highway Scam : अफसरों के घोटाले की भेंट चढ़ा बरेली-सीतापुर हाईवे, आखें मूंदकर पास करते रहे पहली कंपनी के बिल
Bareilly Sitapur Highway Scam : अफसरों के घोटाले की भेंट चढ़ा बरेली-सीतापुर हाईवे

बरेली, जेएनएन। Bareilly Sitapur Highway Scam: बरेली-सीतापुर हाईवे शुरुआत से ही अफसरों के घपलों की भेंट चढ़ता गया। शुरुआत में पहली कंपनी के बिलों को आंख मूंदकर पास करते गए। फिर अपनी कमी को छिपाने के लिए बचे हुए काम के सर्वे की रिपोर्ट से पहले टेंडर कर दिया। टेंडर में पूर्व में बनी बिल आफ क्वांटिटी (बीओक्यू) के बचे हुए भाग को ही शामिल किया गया। दूसरी ज्वाइंट वेंचर (जेवी) कंपनी ने काम शुरू किया तो गड़बड़ी का एहसास हुआ। उसके कुछ समय बाद ही जेवी ने लागत में वेरिएशन की डिमांड करनी शुरू की। बीते दिनों गुणवत्ता नियंत्रक कंपनी ने करीब सवा चार सौ करोड़ रुपये का वेरिएशन निकाला। प्रोजेक्ट में हुए घपलों को छिपाने के लिए अब अधिकारी वेरिएशन को पास कराने से बच रहे हैं। मामले में प्राधिकरण के सदस्य आरके पांडेय वेरिएशन दबाने को लेकर अधिकारियों का स्पष्टीकरण भी तलब कर चुके हैं।

2200 करोड़ में से करीब 1400 करोड़ खर्च कर गई इरा कंपनी

करीब 157 किलोमीटर लंबे बरेली-सीतापुर राजमार्ग को फोरलेन करने के लिए वर्ष 2010 में पीपीपी माडल के तहत 2200 करोड़ रुपये का टेंडर किया गया था। कार्य इरा कंपनी को दिया गया। सड़क निर्माण में एसबीआइ के साथ ही एनएचएआइ और ठेकेदार को कुछ हिस्सा खर्च करना था। काम की प्रगति के आधार पर बिलों के सत्यापन के बाद बैंक से भुगतान होना था। सूत्रों के अनुसार कार्यदायी संस्था ने करीब 1400 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन इतना काम मौके पर नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार अधिकारी आंख बंद कर बिलों को पास करते गए। भौतिक प्रगति पर ध्यान नहीं दिया गया। अब अपनी गर्दन बचाने के लिए वेरिएशन को टाला जा रहा है।

अधूरा निर्माण शुरू करने के बाद से ही वेरिएशन को कहती रही जेवी कंपनी

एनएचएआइ ने अक्टूबर 2019 में बचे हुए निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 767 करोड़ रुपये का टेंडर किया। कार्यदायी संस्था आगरा की राज कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने ज्वाइंट वेंचर में जनवरी 2020 से काम शुरू किया। काम ज्यादा बचा होने और बिल आफ क्वांटिटी में आइटम काफी कम होने पर जेवी कंपनी ने अगस्त 2020 में ही वेरिएशन की मांग शुरू कर दी। दिल्ली की कंसल्टेंट कंपनी आइसीटी ने नवंबर 2020 में 1150 करोड़ की डीपीआर बनाई थी। दिसंबर 2020 में जेवी कंपनी ने वेरिएशन के लिए प्रस्ताव दे दिया।

प्राधिकरण के सदस्य ने अधिकारियों से किया जवाब-तलब 

एनएचएआइ के दिल्ली मुख्यालय में वेरिएशन को लेकर जनवरी 2021 में बैठक हुई थी। इसमें हफ्ते भर में वेरिएशन प्रपोजल बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों को कहा गया था। प्रपोजल नहीं बनाने पर परियोजना के सदस्य आरके पांडेय ने मार्च में एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी और परियोजना निदेशक को सख्ती भरा पत्र भेजकर स्पष्टीकरण मांगा था। उसके बाद गुणवत्ता नियंत्रक थीम इंजीनियरिंग सर्विस कंपनी ने 30 जून 2021 को प्रोजेक्ट की लागत 1126 करोड़ बताते हुए करीब सवा चार सौ करोड़ का वेरिएशन प्रस्ताव एनएचएआइ को दिया। अधिकारियों ने अगस्त में प्रस्ताव मुख्यालय भेजा। मुख्यालय में करीब महीने भर पहले हुई बैठक में अधिकारियों से हफ्ते भर में फाइनल प्रपोजल उपलब्ध कराने को कहा गया। अब तक फाइनल प्रस्ताव नहीं भेजा है।

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