Bareilly Shortage of Medicine : एंटी फंगस इंजेक्शन और दवाएं बाजार से गायब, दवाओं के लिए लोग दिल्ली तक लगा रहे दौड़

Bareilly Shortage of Medicine कोविड संक्रमण के इस दौर में दवाइयों का संकट बना है।अब तक कोरोना संक्रमण संबंधी दवाइयों और इंजेक्शन की डिमांड के चलते बाजार में उनकी कमी चल रही है इस बीच कोविड और पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) का खतरा मंडराने लगा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 07:52 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 07:52 AM (IST)
Bareilly Shortage of Medicine : एंटी फंगस इंजेक्शन और दवाएं बाजार से गायब, दवाओं के लिए लोग दिल्ली तक लगा रहे दौड़
आम दिनों में एक दो इंजेक्शन की ही दिन भर में होती थी मांग, अब काफी बढ़ गई डिमांड।

बरेली, जेएनएन। Bareilly Shortage of Medicine : कोविड संक्रमण के इस दौर में दवाइयों का संकट बना है।अब तक कोरोना संक्रमण संबंधी दवाइयों और इंजेक्शन की डिमांड के चलते बाजार में उनकी कमी चल रही है, इस बीच कोविड और पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) का खतरा मंडराने लगा है। इसके चलते अब बाजार से एंटी फंगस इंजेक्शन और दवाएं गायब हो गई हैं। सबसे ज्यादा परेशानी इसके इंजेक्शनों को लेकर हो रही है। इसके चलते तीमारदार दिल्ली तक जा रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से कोविड संक्रमित और इससे उबर चुके लोगों में ब्लैक फंगस नामक यह संक्रमण काफी उभर कर आई है। हालांकि जिले में इसके मरीज कम है, लेकिन अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में इसके लक्षण और आशंकाओं को देखते हुए चिकित्सकों ने एंटी फंगस दवाएं देना शुरू कर दिया है। ब्लैक फंगस संक्रमण के कारण मरीज और उनके स्वजन को 15 से 21 दिन के इलाज में दवाओं पर ही लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

इस बीमारी के इलाज में सबसे प्रमुख एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसन बी है। इसमें कन्वेंशनल इंजेक्शन 400 रुपये कीमत का आता है, वहीं लाइपोसोमल पांच से छह हजार रुपये में मिलता है। कन्वेंशनल इंजेक्शन देने पर किडनी प्रभावित होने की आशंका रहती है। एक दिन में मरीज को चार से पांच इंजेक्शन देने पड़ते हैं। जब डिमांड नहीं थी तब लाइपोसोमल इंजेक्शन तीन से चार हजार में भी मिल जाता था। इसके अलावा ब्लैक फंगस इंफेक्शन में पोसाकोनाजोल टेबलेट व सिरफ भी दिया जाता है। इसकी एक गोली 500 रुपये की आती है, जिसे 15 से 21 दिन तक दिन में तीन बार देनी होती है।

पहले कभी कभी होती थी मांग : केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष दुर्गेश खटवानी बताते हैं कि पहले इन एंटी फंगल दवाओं की मांग कभी कभी होती थी। इन्हें रखते तो सभी केमिस्ट थे, लेकिन बड़ी संख्या में नहीं। अब कुछ दिनों से इनकी मांग काफी बढ़ी है। डॉक्टर ऑक्सीजन पर चल रहे मरीज के लिए भी इन्हें लिख रहे हैं। वहीं पोस्ट कोविड मरीजों को भी शिकायत बढ़ने पर इन्हें दिया जा रहा है। अचानक मांग बढ़ने के चलते एंटी फंगल दवाएं और इंजेक्शन का शार्टेज आया है।

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