Bareilly Rain Water Harvesting News : बरेली के इस गांव में बारिश के पानी से बनते है मकान, जानिए कैसे

Bareilly Rain Water Harvesting News भूजल के स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। यह तमाम सर्वे एवं शोधों के जरिए सामने आ रहा है। सरकार की ओर से भी भूजल सरंक्षण को लेकर तमाम योजनाएं चल रहीं हैं।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 02:27 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 02:27 PM (IST)
Bareilly Rain Water Harvesting News : बरेली के इस गांव में बारिश के पानी से बनते है मकान, जानिए कैसे
Bareilly Rain Water Harvesting News बरेली के इस गांव में बारिश के पानी से बनते है मकान

बरेली, जेएनएन। Bareilly Rain Water Harvesting News: भूजल के स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। यह तमाम सर्वे एवं शोधों के जरिए सामने आ रहा है। सरकार की ओर से भी भूजल सरंक्षण को लेकर तमाम योजनाएं चल रहीं हैं। जिसके तहत ग्राम पंचायतों में तालाबों को जीर्णोद्धार, जलकुंभी से घिरे तालाबों की सफाई और खुदाई से संबंधित काम किये जा रहे हैं। जिसमें सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं को भी इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्रामीण अंचलों की बात करें तो कुछ नवनिर्वाचित प्रधानों ने जल संचय को लेकर बेहतर प्रयास शुरू किये हैं। जल संचय को लेकर अपने गांव के भूजल स्तर को बेहतर बनाने के लिए पीपरसोना के गांव प्रधान पति गुरविंदर सिंह ने प्रयास किये हैं।

तालाब का कराया जीर्णोद्धार 

बरेली शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर पीपरसोना गांव का तालाब अब लोगों की सिंचाई के भी काम आता है। अगर गांव में किसी का घर बन रहा है। तो उसको भी पानी तालाब से ही मिल जाता है। इतना ही नहीं इस तालाब में मछली और कछुओं को भी आसरा मिला हुआ है। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले पूरा तालाब काई और जलकुंभी से भरा हुआ था। पानी सड़कों तक बहता था। कई बार हादसे भी हुए । इसके बाद 2009 में गुरविंदर सिंह प्रधान बनें। तो उन्होंने सबसे पहले तालाब की ओर ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि तालाब लगभग 1 से डेढ़ बीघे का है।

इसमें बरसात का जल और गांव में दैनिक क्रियाओं में प्रयोग होने वाला पानी एकत्रित होता था। लेकिन गर्मियों के समय यह तालाब सूख जाता था। इसमें आवारा पशु विचरण करते थे। बस इन हालातों को देखकर तालाब के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। पहले तालाब में 120 फीट की तीन बोरिंग करायीं। पूरे तालाब की बाउंड्री वाल बनायी। इसके बाद गांव की नालियों का ढार पूरा तालाब में करवाया गया। जिससे पूरे गांव का पानी तालाब में पहुंचता है। वहीं बरसात का पानी इन तीन बोरिंगों में चला जाता है। ये तीनों ही बोरिंग कच्चे हैं। जिसमें पानी सोखता है। इस प्रकार जल संचय किया जा रहा है। वहीं तालाब के चारों ओर बागवानी भी की गई है।

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