मेहता सर्जिकल पर मालिक पर बरेली पुलिस मेहरबान, जानिये एफआइआर में कौन सा तथ्य छोड़ा
सर्जिकल आइटम पर ओवर रेटिंग बिना लाइसेंस पीपीई किट पैकिंग और बिना दस्तावेज के स्टॉक पकड़े जाने के बाद औषधि विभाग की तहरीर पर प्रेमनगर थाने में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया लेकिन एफआइआर में आरोपित अजय मेहता और उनके साझेदारों के नाम नहीं खोले।
बरेली, जेएनएन। सर्जिकल आइटम पर ओवर रेटिंग, बिना लाइसेंस पीपीई किट पैकिंग और बिना दस्तावेज के स्टॉक पकड़े जाने के बाद औषधि विभाग की तहरीर पर प्रेमनगर थाने में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया लेकिन एफआइआर में आरोपित अजय मेहता और उनके साझेदारों के नाम नहीं खोले। मैसर्स मेहता सर्जिकल के संचालक पर केस दर्ज किया गया। जबकि ये दुकान थाने से कुछ किमी की दूरी पर संचालित होती है। थाने का स्टाफ संचालक को बखूबी जानता है।
बुधवार दोपहर तीन बजे एसडीएम सदर विशु राजा और औषधि इंस्पेक्टर उर्मिला ने संयुक्त छापामारी डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल पर की। तीसरी मंजिल पर धूल भरी जमीन पर पीपीई किट पैकिंग होती मिली। अप्रैल 2021 की मैन्युफैक्चरिंग के लेबल वाली पैकिंग में एक साल पुराना स्टॉक रखा जा रहा था। सैनिटाइजर की बोतल बिना लेवल और कई लेवल और पैकिंग सामग्री बरामद हुई। सर्जिकल स्टाक मिला। लेकिन अजय मेहता और सुशांत मेहता मौके पर स्टॉक के पक्के बिल नहीं दिखा सके। गड़बड़ियों पर औषधि विभाग की तरफ से उन्हें तीन दिन की मोहलत के साथ नोटिस जारी है।
इस दरम्यान गुरुवार रात आठ बजे एसडीएम विशु राजा ने जांच आख्या के साथ रिपोर्ट थाने भिजवा दी। इंस्पेक्टर प्रेमनगर अवनीश यादव ने रात एफआइआर दर्ज नहीं की। उनका कहना था कि तहरीर नहीं आई। शुक्रवार सुबह औषधि विभाग की इंस्पेक्टर उर्मिला की तरफ से तहरीर पहुंचने के बाद दोपहर बारह बजे एफआइआर लिखी जा सकी। लेकिन यहींं खेल हो गया। एफआइआर में अजय मेहता और उनके साझेदारों का नाम नहीं खोला गया।
प्रभारी निरीक्षक प्रेमनगर अवनीश यादव ने बताया कि तहरीर आने के बाद हमनें मुकदमा लिखा है। विवेचना में जिनकी संलिप्तता मिलती जाएगी। उनके नाम खुलते चले जाएंगे। ये जांच का ही हिस्सा है। औषधि इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा ने बताया कि पुलिस कार्रवाई के लिए उन्हें तहरीर सौंपी दी गई है। हम औषधि अधिनियम के तहत अपनी कार्रवाई जारी रखे हुए है। अब विवेचना पुलिस को करनी है।
इन अधिनियम और धाराओं में दर्ज हुआ केस
धारा 420 : संपत्ति, बहुमूल्य वस्तु, हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज में परिवर्तन करने या बनाने या नष्ट करने के लिए प्रेरित करना धोखाधड़ी में आता है। इसमें सजा सात और आर्थिक दंड या दोनों हो सकते है।
धारा 188 : लोकसेवक द्वारा लागू विधान का उल्लंघन, सरकारी आदेश में बाधा, अवमानना करने पर धारा 188 के तहत कार्रवाई होती है। एक महीने की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा मिल सकती है।
धारा 269 : किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैरजिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
धारा 270 : किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम। इस काम से किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। दोनों ही धाराओं में सजा की अवधि लगभग समान है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 धारा (3) (7)
महामारी अधिनियम 1897
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005