बरेली पुलिस अपने ही भ्रष्ट अधिकारियों की तलाश में जुटी, जानें ऐसा क्या हुआ जो पुलिस अपनों पर ही कस रही शिकंजा

Bareilly Police Corrupt officer जांच में फंसाने का डर दिखाकर क्राइम ब्रांच की खुली डकैती के दो मामले सामने आने के बाद शासन सख्त हुआ है। एडीजी एलओ प्रशांत कुमार ने एडीजी को निर्देश दिये हैं कि वे सभी जिलों की क्राइम ब्रांच स्वाट व एसओजी की समीक्षा करेंगे।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 09:10 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 09:10 AM (IST)
बरेली पुलिस अपने ही भ्रष्ट अधिकारियों की तलाश में जुटी, जानें ऐसा क्या हुआ जो पुलिस अपनों पर ही कस रही शिकंजा
लखनऊ व नोएडा में अवैध वसूली का मामला सामने आने के बाद शासन सख्त

बरेली, जेएनएन। Bareilly Police Corrupt officer : जांच में फंसाने का डर दिखाकर क्राइम ब्रांच की खुली डकैती के दो मामले सामने आने के बाद शासन सख्त हुआ है। लखनऊ व नोएडा में सामने आए मामले के बाद एडीजी एलओ प्रशांत कुमार ने जोन के एडीजी को निर्देश दिये हैं कि वे अपने सभी जिलों की क्राइम ब्रांच, स्वाट व एसओजी की समीक्षा करेंगे। गलत छवि वाले तैनात पुलिसकर्मियों को तत्काल हटाए जाने के निर्देश भी जारी किये हैं। बरेली में भी बीते साल क्राइम ब्रांच की टीम का रिश्वत के बंटवारे का वीडियो वायरल हुआ था। मामले में क्राइम ब्रांच के दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

दरअसल, पुलिस की अवैध वसूली हाल में ही घटे लखनऊ व नोएडा के बाद सुर्खियों में आई। नोएडा में जहां एटीएम हैकर्स को छोड़ने के लिए एसओजी टीम द्वारा 20 लाख रुपये व क्रेटा गाड़ी लेने का मामला सामने आया, वहीं कानपुर में लखनऊ की पूर्वी जोन पुलिस द्वारा अवैध हिरासत में रखकर 40 लाख रुपये वसूले गए। प्रकरण में लखनऊ कमिशनरेट के आठ पुलिसकर्मियों पर डकैती का मुकदमा हुआ। इधर, नोएडा प्रकरण में इंस्पेक्टर व कांस्टेबल पर कार्रवाई हुई। दोनों मामलों में यूपी पुलिस की खूब किरकिरी हुई। इसी के बाद एडीजी एलओ प्रशांत कुमार ने जाेन के सभी एडीजी को निर्देश जारी किये।

अवैध वसूली के चर्चित मामले में बरेली पुलिस भी अछूती नहीं है। बीते साल रिश्वत की रकम के बंटवारे का क्राइम ब्रांच का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था। इस पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने कार्रवाई करते हुए रिश्वत लेने में क्राइम ब्रांच के दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मामला घूस के पांच लाख रुपये के बंटवारे से जुड़ा था। पूरे मामले में क्राइम ब्रांच में तत्कालीन दारोगा अब्बास हैदर, दारोगा गिरीश चंद्र जोशी, सिपाही रवि प्रताप, पुष्पेंद्र कुमार, विकास कुमार, वीरेंद्र कुमार, रविशंकर, चालक जितेंद्र राणा, पुष्पेंद्र, हेड कांस्टेबल तैय्यब अली पर कोतवाली में एफआइआर दर्ज हुई थी।

बदमाशों के गैंग में शामिल था पीटीआइः एसओजी की टीम ने सर्राफ बन लूटने वाले गिरोह का राजफाश किया था। मामले में पुलिस लाइन में तैनात फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर बृजेश सिंह भी पकड़ा गया था। तफ्तीश में सामने आया था कि बृजेश सिंह लूट के समय एटीएस कर्मी बन सर्राफ को धमकाता था। मामले में पीटीआई को निलंबित कर प्रेमनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

शाही थाने में दारोगा और हेड कांस्टेबल का रिश्वत लेते वीडियो हुआ था वायरलः शाही थाने में तैनात दारोगा हरिदास वर्मा व हेड कांस्टेबल मोहम्मद नाजिम का रिश्वत लेते वीडियो वायरल हुआ था। मामले में दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करने के साथ निलंबित कर दिया गया था। प्रकरण में रिश्वत देने वाले तीनों व्यक्तियों के खिलाफ भी मुकदमा हुआ था।

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