अलखनाथ मंदिर से चोरी हो गया 40 साल पुराना दुर्लभ पत्थर, जानिए क्या थी खासियत

अब अगर श्रद्धालु अलखनाथ मंदिर में रामेश्वरम से लाए गए उतराने वाले पत्थर के दर्शन को जाएं तो उन्हें वहां से निराश होकर ही लौटना पड़ेगा। चार महीने पहले सावन माह में श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ हाेने की वजह से चालीस साल पुराना पत्थर चोरी हो गया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 04:21 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 04:21 PM (IST)
अलखनाथ मंदिर से चोरी हो गया 40 साल पुराना दुर्लभ पत्थर, जानिए क्या थी खासियत
अलखनाथ मंदिर से चोरी हो गया 40 साल पुराना दुर्लभ पत्थर, जानिए क्या थी खासियत

बरेली, जेएनएन। अब अगर श्रद्धालु अलखनाथ मंदिर में रामेश्वरम से लाए गए उतराने वाले पत्थर के दर्शन को जाएं तो उन्हें वहां से निराश होकर ही लौटना पड़ेगा। चार महीने पहले सावन माह में श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ हाेने की वजह से चालीस साल पुराना पत्थर चोरी हो गया। हालांकि महंत के अनुसार पत्थर को ले जाने के पीछे किसी की गलत मंशा नहीं होगी। खेल-खेल में बच्चे ही यह पत्थर ले गए होंगे।

चालीस वर्ष पहले स्वर्गीय देव गिरी महाराज रामेश्वरम से पानी में उतराने वाला पत्थर लेकर आए थे। जिसे मंदिर के दूसरे प्रवेश द्वार पर रखा गया था। ताकि जो श्रद्धालु रामेश्वरम नहीं जा पाते वे मंदिर में पहुंचकर इस पत्थर के दर्शन कर सकें। शहर ही नहीं बल्कि दूर जिलों से भी श्रद्धालु मंदिर में सिर्फ इस पत्थर की महिमा को सुनकर इसी के दर्शन के लिए आते थे। लेकिन, अब श्रद्धालु अगर आते भी हैं तो इस पत्थर के दर्शन नहीं हो पाते। ऐसे में उन्हें निराश होकर ही वापस लौटना पड़ता है।

फिर लाया जाएगा पत्थर

महंत कालू गिरी ने बताया कि सावन के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होने के दौरान खेल-खेल में बच्चे पत्थर को उठा ले गए। काफी दिन साधुओं ने आसपास इसकी छानबीन और लोगों से पूछताछ भी की लेकिन, कोई राजफाश नहीं हो सकी। बताया कि मंदिर में आए दिन श्रद्धालु रामेश्वरम के पत्थर के बारे में पूछते रहते हैं। बातचीत में पता चलता है कि श्रद्धालु सिर्फ पत्थर के दर्शन करने 200 किमी से भी अधिक दूरी तय करके आएं हैं। श्रद्धालुओं के मंदिर से निराश होकर न लौटना पड़े इसके लिए जल्द ही साधु बाबा रामेश्वरम से फिर पत्थर लेकर आएंगे।

इस बार कड़ी सुरक्षा में रखा जाएगा 

महंत ने बताया कि पहले पत्थर की रखवाली के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं थी। श्रद्धालु अपने हाथों में उठाकर उसके दर्शन कर लिया करते थे। ताले में बंद करके इसलिए नहीं रखा गया ताकि श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकें। लेकिन, अब पत्थर के आने के बाद उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाएगा।

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