जरूरतमंद बच्चों की जिंदगी में रोशनी भर रही बरेली की बेटी

खुद की तकदीर संवारने के साथ ही ज्योति ठाकुर जरूरमंद बच्चों की राहें भी रोशन करने में लगी हैं। दो साल पहले खजुवाई गांव से उच्च शिक्षा पाने के लिए करेली में एक छोटा सा कमरा लिया और सपनों को पूरा करने में जुटीं।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 09:55 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 09:55 AM (IST)
जरूरतमंद बच्चों की जिंदगी में रोशनी भर रही बरेली की बेटी
जरूरतमंद बच्चों की जिंदगी में रोशनी भर रही बरेली की बेटी

बरेली, जेएनएन। : खुद की तकदीर संवारने के साथ ही ज्योति ठाकुर जरूरमंद बच्चों की राहें भी रोशन करने में लगी हैं। दो साल पहले खजुवाई गांव से उच्च शिक्षा पाने के लिए करेली में एक छोटा सा कमरा लिया और सपनों को पूरा करने में जुटीं। लेकिन, वहां आसपास रहने वाले बच्चों का जीवन बर्बाद होते हुए देखा तो खुद के साथ ही वह इन बच्चों की अंधेरी राहों को रोशन करने में लग गयीं।

ज्योति बताती हैं कि जब वह पढ़ाई के लिए करेली आई तो देखा कि ऐसे कितने बच्चे हैं, जिन्हें न तो घर पर कोई पढ़ाने वाला है और न ही परिवार के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे। इस परिस्थिति को देख उन्होंने चार बच्चों के साथ ही शिक्षा का निश्शुल्क दान करने का सफर शुरू किया। उनकी मेहनत और निस्वार्थ भाव से प्रयासरत रहने का परिणाम यह है कि वर्तमान में संस्कार निश्शुल्क शिक्षा के नाम से संचालित हो रहे उनके तीनों केंद्रों पर 200 से अधिक बच्चे शिक्षा पा रहे हैं।

शिक्षा के साथ ही शिक्षा साम्रगी का भी दान

वह सिर्फ बच्चों को शिक्षित ही नहीं कर रहीं बल्कि जरूरतमंद बच्चों को कापी, पेंसिल के साथ ही अन्य शिक्षा सामग्री भी खुद से उपलब्ध करा रही हैं। वह खुद रक्षपाल डिग्री कालेज में बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। एक निजी स्कूल में पढ़ाकर अपना भरण-पोषण करती हैं।

जनप्रतिनिधियों ने मदद को नहीं बढ़ाया हाथ

आर्थिक सहयोग के लिए ज्याेति ने कई बार जनप्रतिनिधियों के पास जाकर मदद की गुहार लगाई। लेकिन, किसी ने भी मदद के लिए अपना हाथ आगे नहीं बढ़ाया। बताती हैं कि यहां न तो किसी विधायक ने आकर स्थिति-परिस्थिति को देखा और न ही सांसद या ग्राम प्रधान ने आकर कोई सुध ली है। उनका कहना है कि इस ओर अधिकारियों के साथ ही जिम्मेदारों का ध्यान जाना चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ इन मासूमों को भी मिल सके।

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