भाई और पिता के साथ किसानी करने के साथ की पढ़ाई, संस्कृत विषय से बरेली कालेज टॉप करने पर मिला गोल्ड मेडल

संघर्ष तो अमूमन हर जिंदगी का हिस्सा होता है। लेकिन बरेली के राजीव ने खुद को संघर्षाें की आग में तपा कर खरा सोना बनाया है। पिता के सपनों को पूरा करने के लिए वह बचपन से ही संघर्ष में जुट गए थे। पिता खेती कर घर चला रहे थे।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 04:20 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 04:20 PM (IST)
भाई और पिता के साथ किसानी करने के साथ की पढ़ाई, संस्कृत विषय से बरेली कालेज टॉप करने पर मिला गोल्ड मेडल
विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में किसान के बेटे ने जीता गोल्ड मेडल।

बरेली, जेएनएन। संघर्ष तो अमूमन हर जिंदगी का हिस्सा होता है। लेकिन बरेली के राजीव ने खुद को संघर्षाें की आग में तपा कर खरा सोना बनाया है। पिता के सपनों को पूरा करने के लिए वह बचपन से ही संघर्ष में जुट गए थे। पिता छेदालाल खेती किसानी कर किसी तरह घर चला रहे थे। पढ़ाई के शुरुआती दिनों में आर्थिक समस्या से जूझ रहे राजीव ने पहले कोचिंग पढ़ाना शुरू किया और अपनी पढ़ाई पूरी कर बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बने। गुरुवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हुए दीक्षा समारोह में बरेली कॉलेज के राजीव को संस्कृत विषय में टॉप करने के लिए गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

राजीव कुमार ने बताया कि वह मूलरूप से पीलीभीत जिले के बीसलपुर के रहने वाले हैं। लेकिन इन दिनों में बरेली में ही परिषदीय विद्यालय में शिक्षक हैं। बताया कि जीवन में बहुत कठिन समय देखा है। बताया कि उनका एक भाई और वह अब उप्र पुलिस में है। राजीव ने बताया कि उन्हें हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के बाद से ही संस्कृत में रुचि थी। इसके चलते उन्होंने एमए में संस्कृत विषय को ही चुना। एमए की तैयारी करने से पहले उसने बीएड की और बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल कर ली थी। बीते साल जब एमए का रिजल्ट आया तो 81.4 फीसद अंक प्राप्त हुए थे। उस दौरान यह पता नहीं था कि वह विश्वविद्यालय टॉपर है। लेकिन दीक्षा समारोह से पहले जब जानकारी मिली तो अच्छा लगा। राजीव ने बताया कि उनके जीवन का सबसे सुखद दिन वह था जब उनके पिता छेदालाल के उनके टॉपर होने का पता चलने पर आंसू छलक आए थे। कहाकि आज पिता यहां होते तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता।

आग में सब जल गया था, मेहनत से पाया मुकाम

गोरखपुर के रहने वाले दिवाकर सिंह मूलरूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। वह एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की थी। गुरुवार को हुए दीक्षा समारोह में उन्हें मेकेनिकल इंजीनियरिंग में 85.5 फीसद अंकों के साथ विश्वविद्यालय टॉपर बनने पर गोल्ड मिला। उन्होंने बताया कि जब वह 12वीं में थे तो अचानक परिवार की स्थिति बिगड़ गई। लेकिन पिता रंजीत सिंह ने पढ़ाई का हौसला नहीं टूटने दिया। उन्होंने जीतोड़ मेहनत कर पढ़ाई जारी रखवाई। दिवाकर ने बताया कि 12वीं में ही 92 फीसद अंक लाकर उन्होंने पिता के विश्वास पर खरा उतरकर दिखाया। इसके बाद पिता ने उनसे पढ़ाई जारी रखने को कहा। दिवाकर ने बताया कि वह पिता के साथ कदम बढ़ाते गए और आज इस मुकाम को हासिल किया।

खुद पर भरोसे से हासिल किया सम्मान

खुद पर भरोसा हो और आत्मविश्वास मजबूत हो तो मंजिल हासिल करने में रास्ते की बाधाएं भी बौनी साबित हो जाती हैं। पीलीभीत के पुष्प इंस्टीट्यूट की गृह विज्ञापन की छात्रा आकांक्षा ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए यह साबित करके दिखाया है। उन्होंने अपने मजबूत आत्मविश्वास के बल पर ही गुरुवार को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल के साथ अपना सम्मान भी हासिल किया है। विश्वविद्यालय की खामी से आकांक्षा को अपने इस सम्मान और हक को हासिल करने में एक साल का इंतजार करना पड़ गया। आकांक्षा ने वर्ष 2019 में पुष्प इंस्टीट्यूट से बीएससी गृहविज्ञान की परीक्षा 2187 अंकों के साथ पास की थी। इससे वह यूनीवर्सिटी की टॉपर लिस्ट से बाहर हो गई। आकांक्षा ने बताया कि उसको जो नंबर मिले थे वह उसकी उम्मीद से कम लग रहे थे। इस पर उसने अपने कम नंबरों के बारे में अपने कॉलेज को बताया तो कॉलेज ने उसे चैलेंज मूल्यांकन की सलाह दी। इस पर उसने विश्वविद्यालय में चैलेंज मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। उसके इस आवेदन पर विश्वविद्यालय ने दो परीक्षकों से उसकी उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया। इस मूल्यांकन के बाद आकांक्षा के तीन पेपर में कुल 49 अंक बढ़े। इन नंबरों से उसके कुल अंक 2187 से बढक़र 2236 हो गए, जिससे इससे वह वर्ष 2019 के टॉपर्स की सूची में शामिल हो गई। इसके बाद आरयू ने अपनी भूल सुधार करने के लिए आकांक्षा को इस बार के दीक्षांत समारोह में सम्मानित होने वाले टॉपर्स में शामिल किया है। इस तरह आकांक्षा ने गुरुवार को कुलाधिपति की ऑनलाइन अध्यक्षता में आयोजित हुए दीक्षांत समारोह में अपना खोया हुआ सम्मान हासिल कर लिया। वह चैलेंज मूल्यांकन से गोल्ड मेडल हासिल करने वाली एकलौती स्टूडेंट रही।

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