Bareilly College Moot Court : हत्या के केस में सुनीं दलील, सुरक्षित रखा फैसला

Bareilly College Moot Court दोपहर करीब साढ़े 11 बजे बरेली कालेज में बने कोर्ट रूम में न्यायाधीश प्रवेश करते हैं। सामने बैठे सभी लोग उन्हें देखकर खड़े होकर अभिवादन करते हैं। बचाव पक्ष से हत्यारोपित की जमानत का प्रार्थना पत्र कोर्ट क्लर्क आशी जमाल को दिया जाता है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 01:39 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 01:39 PM (IST)
Bareilly College Moot Court : हत्या के केस में सुनीं दलील, सुरक्षित रखा फैसला
Bareilly College Moot Court : हत्या के केस में सुनीं दलील, सुरक्षित रखा फैसला

बरेली, जेएनएन। Bareilly College Moot Court : दोपहर करीब साढ़े 11 बजे बरेली कालेज में बने कोर्ट रूम में न्यायाधीश प्रवेश करते हैं। सामने बैठे सभी लोग उन्हें देखकर खड़े होकर अभिवादन करते हैं। बचाव पक्ष से हत्यारोपित की जमानत का प्रार्थना पत्र कोर्ट क्लर्क आशी जमाल को दिया जाता है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता पंकज सिंह पीठ पर बैठे न्यायाधीश आशीष कुमार अग्रवाल आरोपित को जमानत दिए जाने के छह बिंदुओं को रखते हैं और उन्हें उचित जमानत व मुचलके पर रिहा करने का आदेश करने की मांग करते हैं।

इस बीच अभियोजन पक्ष से एडवोकेट रेशमा खान जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करती हैं। साथ ही आरोपित की वैयक्तिक हाजिरी की जगह उसके काउंसिल को उसकी ओर से हाजिर होने की अनुमति मांगते हैं। लेकिन पीठासीन अधिकारी मूटर्स आशीष कुमार अग्रवाल इससे इन्कार करते हुए आरोपित डाक्टर को हाजिर होने का आदेश देते हैं। थाने का पैरोकार हत्यारोपित को कोर्ट में पेश करता है। इसके बाद अभियुक्त को उस पर लगे आरोपों की जानकारी दी जाती है, जिन्हें अभियुक्त बेबुनियाद बताता है। फिर बचाव व अभियोजन पक्ष से दलीलें होती हैं। अंत में पीठासीन अधिकारी आशीष कुमार अग्रवाल दोनों पक्ष की जिरह सुनने के बाद विधि-व्यवस्था देते हुए फैसला सुरक्षित रख कोर्ट से चले जाते हैं।

तय विषय पढ़ने की आदत छोड़नी होगी

बरेली कालेज में कानून के विद्यार्थियों ने ‘मूट कोर्ट’ यानी विधि छात्र सभा लगाई। विधि विभाग के प्रभारी प्रो.प्रदीप कुमार की मौजूदगी में कानून के विद्यार्थियों ने बरेली के ही वर्ष 2021 के मामले का रिहर्सल किया। विधि विभाग के रिटायर्ड प्रो.एचएस पांडे ने छात्रों को बेहतर मूट कोर्ट के टिप्स देते हुए कहा कि तय विषय पढ़ने की आदत को छोड़ना होगा। क्योंकि कोई जज या वकील किसी केस से ये कहकर मुंह नहीं मोड़ सकता कि अमुक विषय उसके पाठ्यक्रम में नहीं था। प्राचार्य डा.अनुराग मोहन ने कहा कि ऐसे अभ्यास करते रहने से हमारे छात्र देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों के छात्रों की बराबरी करने की क्षमता हासिल कर सकते हैं।

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