बरेली में आशा डायरी घाेटाला : 300 बेड हॉस्पिटल के कमरे में बंद मिली लाखों की आशा डायरी, अब अफसर दे रहे ये सफाई

करोड़ों रुपये की लागत से बना 300 बेड कोविड अस्पताल इलाज से ज्यादा विवादों के लिए चर्चा में रहता है। हजारों कोरोना सैंपल की बात कमरों में ही ‘दफन’ करने की बात को अभी कुछ ही दिन बीते थे। अब एक नया कांड जागरण पड़ताल में सामने आया है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:41 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:41 AM (IST)
बरेली में आशा डायरी घाेटाला : 300 बेड हॉस्पिटल के कमरे में बंद मिली लाखों की आशा डायरी, अब अफसर दे रहे ये सफाई
बरेली में आशा डायरी घाेटाला : 300 बेड हॉस्पिटल के कमरे में बंद मिली लाखों की आशा डायरी

बरेली, जेएनएन। करोड़ों रुपये की लागत से बना 300 बेड कोविड अस्पताल इलाज से ज्यादा विवादों के लिए चर्चा में रहता है। हजारों कोरोना सैंपल की बात कमरों में ही ‘दफन’ करने की बात को अभी कुछ ही दिन बीते थे। अब एक नया कांड जागरण पड़ताल में सामने आया है। दरअसल, 300 बेड कोविड अस्पताल के एक कमरे में हजारों की तादाद में ‘आशा डायरी’ ताले में बंद हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की इन आशा डायरी का उपयोग आशाओं का गांव में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी अपडेट करने के लिए किया जाता है। इसलिए इसे ग्राम स्वास्थ्य सूचकांक रजिस्टर भी कहते हैं। लाखों रुपये कीमत वाली इन आशा डायरी की जगह आशाएं दो साल से निजी रजिस्टर पर डेटा अपलोड कर रही हैं।

3900 के करीब आशा डायरी के लिए 10 लाख का बजट

शासन ने शिशु-मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए पारदर्शिता के साथ डेटा तैयार कर रिपोर्ट बनाने के लिए ये आशा डायरी दी थीं। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में करीब 3,900 से अधिक आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग को सेवाएं दे रही हैं। ऐसे में हर साल आशा कार्यकर्ताओं को देने के लिए शासन से करीब दस लाख के बजट से डायरी मंगाई जाती है।

इस वित्तीय वर्ष की आशा डायरी भी नहीं मिलीं 

जो डायरी 300 बेड हास्पिटल के रूम में बंद हैं, इन पर वर्ष 2020-21 लिखा हुआ है। यानी वर्ष 2020 के अप्रैल महीने तक ये आशा डायरी मिल जानी चाहिए थीं और इन पर वर्ष 2021 के मार्च तक रिकार्ड दर्ज होता। यही नहीं, आशाओं के मुताबिक वर्ष 2021 से 2022 तक की आशा डायरी भी नहीं मिली है। ये आशा डायरी कहां हैं, इसका भी पता नहीं। यह भी बताया जाता है कि पिछले सालों की आशा डायरी रोककर इसके बजट के रूप में आने वाली लाखों रुपये की रकम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गबन कर लेते हैं। इससे साफ है कि घोटाला दोगुना है।

आशा डायरी की इसलिए बुनियादी जरूरत 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चयनित आशाओं को अपने-अपने गांव की स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लेखा-जोखा रखने के लिए ग्राम स्वास्थ्य सूचकांक रजिस्टर (आशा डायरी) दिए जाने होते हैं। जिससे हर छह महीने में आशा अपने गांव का सर्वे कर गांव व परिवारों की जानकारी अपडेट करें। आशा इस रजिस्टर पर हर महीने दी गई स्वास्थ्य सेवाओं का भी डेटा अपडेट करती हैं। यह रजिस्टर हर उस गांव की आशा को दिया जाता है, जहां की आबादी 1500 तक हो।

आशा डायरी पर जवाबदेही, निजी रजिस्टर पर नहीं 

स्वास्थ्य विभाग के ही जानकार बताते हैं कि आशा डायरी देने के बाद पूरा रिकार्ड रखने की जवाबदेही तय होती है। क्योंकि ग्राम स्वास्थ्य सूचकांक रजिस्टर को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पुख्ता रहती है, जबकि निजी रजिस्टर के लिए डेटा को बाध्य नहीं किया जा सकता और न ही सामान्य रजिस्टर में यह डेटा सही ढंग से संकलित हो सकता है।

नोडल अधिकारी और तत्कालीन सीएमओ की लापरवाही 

वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 की आशा डायरी नहीं बंटने पर इसके नोडल अधिकारी ही नहीं बल्कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर भी सवाल उठ रहे हैं। 2020-21 में डा.विनीत कुमार शुक्ला मुख्य चिकित्सा अधिकारी थे। वहीं इसके बाद अगले वित्तीय वर्ष डा.एसके गर्ग सीएमओ थे। ऐसे में आशा डायरी न बंटने पर दोनों बड़े अधिकारियों की जवाबदेही बनती है।

वर्ष 2019 के सितंबर माह में आखिरी बार शहरी क्षेत्र में तैनात आशा कार्यकर्ताओं को डायरी मिली थी। इसके बाद से मांग करने पर भी जिम्मेदार टालमटोल कर रहे हैं। पूर्व में की गई बैठक में भी डायरी मुहैया कराने की मांग की गई थी लेकिन एक साल का समय बीत जाने के बाद भी डायरी नही दी गई। शिववती साहू, जिलाध्यक्ष, आशा संगठन

तत्कालीन सीएमओ बोले-गड़बड़ तो हुई है इस मामले में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.विनीत कुमार शुक्ला से बात की गई। उन्होंने माना कि आशा डायरी न बंटना सीधे तौर पर गड़बड़ी है। हालांकि उन्होंने कहा कि गड़बड़ी या चूक की वजह अपर शोध अधिकारी पीएस आनंद और तत्कालीन नोडल अधिकारी डा.आरएन गिरी बेहतर बता सकेंगे। वहीं पीएस आनंद ने कोई भी आशा डायरी रिसीव न होने की बात कहते हुए इसे एनएचएम का प्रभार देख रहे लिपिक राजीव कमल की लापरवाही बताई। वर्ष 2021-22 के तत्कालीन सीएमओ और वर्तमान एडी हेल्थ डा.एसके गर्ग से इस बाबत जानकारी के लिए कई बार फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हो सकी।

आशा डायरी हर साल कार्यकर्ताओं को दी जाती हैं। कुछ अतिरिक्त डायरी मंगवाई गईं होंगी, इसलिए रखवाया गया होगा। अगर डायरी पर वर्ष 2020-21 अंकित हैं तो मामला गंभीर है, संबंधित से जवाब-तलब कर मामले की जांच कराई जाएगी।डा. हरपाल सिंह, एसीएमओ प्रशासन

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