Bareilly Air Pollution : बरेली में कागजों में हाे रही प्रदूषण की जांच, शहर में वाहन उगल रहे जहर

Bareilly Air Pollution Pollution दिन-प्रतिदिन बढ़ते वाहनों की संख्या के बीच पुराने वाहनों के प्रदूषण की जांच कागजी होती जा रही है। मानकों के आधार पर वाहनों के प्रदूषण की जांच नहीं होने से प्रदूषित गैस निकालने वाले वाहन भी धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 03:53 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 03:53 PM (IST)
Bareilly Air Pollution : बरेली में कागजों में हाे रही प्रदूषण की जांच, शहर में वाहन उगल रहे जहर
Bareilly Air Pollution : बरेली में कागजों में हाे रही प्रदूषण की जांच

बरेली, जेएनएन। Bareilly Air Pollution Pollution: दिन-प्रतिदिन बढ़ते वाहनों की संख्या के बीच पुराने वाहनों के प्रदूषण की जांच कागजी होती जा रही है। मानकों के आधार पर वाहनों के प्रदूषण की जांच नहीं होने से प्रदूषित गैस निकालने वाले वाहन भी धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। आलम यह है कि प्रदूषण जांच के प्रमाण पत्र जारी होने में पूरी तरह खानापूर्ति हो रही है और बिना वाहनों के जांच के ही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि परिवहन विभाग को इसकी खबर नहीं है। जांच में आधा दर्जन प्रदूषण जांच केंद्रों में पर हीलाहवाली और मानकों के विपरीत प्रमाण पत्र जारी होने की पुष्टि भी हुई है।

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने वाले केंद्रों की जांच के आदेश दिए गए हैं। बरेली जिले में वर्तमान में 35 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र हैं। जिसमें छोटे-बड़े वाहनों के प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी होते हैं। दरअसल जिले में प्रदूषण जांच करने वाले 35 केंद्र परिवहन विभाग की ओर से अधिकृत हैं। पिछले तीन साल में 50 हजार से अधिक वाहन को कंडम करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। मगर, पंजीकरण निरस्त करने की प्रक्रिया महज करीब चार हजार वाहनों तक पूरी की गई। ऐसे में हजारों वाहनों को हर दिन प्रदूषण जांच कराने की जरूरत होती है। कारण, प्रति छह महीने में प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र का नवीनीकरण आवश्यक होता है। मगर ज्यादातर केंद्रों पर बिना वाहनों को ले जाए महज फोटो के आधार पर प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं

यह हैं जांच के नियम

आरआइ टेक्निकल मानवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वाहनों से मुख्यत: तीन गैस निकलती हैं। इसमें कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड निकलती है। इसमें वाहनों में दो फीसदी से ज्यादा मात्रा नहीं होनी चाहिए। इससे आक्सीजन का स्तर प्रभावित होने लगता है। वाहनों की जांच से प्रदूषण का स्तर सुधारने का काम किया जा रहा है।

प्रदूषण विभाग भी आरटीओ को जांच के लिए लिख चुका पत्र

जिले में कुल 35 पीयूसी सेंटर हैं। जहां वाहनों के प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शिकायत मिली थी कि पीयूसी सेंटरों पर बिना वाहन ले जाए भी प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। यही वजह है, जो वाहनों से प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण बोर्ड ने आरटीओ को पत्र जारी कर सभी पीयूसी सेंटरों की जांच के आदेश दिए। बता दें कि पीयूसी (पाल्यूशन अंडर कंट्रोल) इसकी जांच को कहते हैं पीयूसी टेस्ट। जांच के बाद ही किसी गाड़ी को पीयूसी सर्टिफिकेट दिया जाता है। यानी वाहन मानक के अनुसार ही प्रदूषण छोड़ रहा है। यह सर्टिफिकेट एक निश्चित समय के लिए होता है। बीएस-4 और बीएस-6 गाड़ियों की समय सीमा एक साल की होती है।

प्रमाण पत्र न होने पर 10 हजार तक जुर्माना

पीयूसी प्रमाण न होने पर वाहन स्वामी पर 10 हजार का जुर्माना चेकिंग टीम डाल सकती है। अगर आपकी गाड़ी के पीयूसी सर्टिफिकेट की समय सीमा खत्म हो चुकी है। चेकिंग में पकड़े जाते हो तो जुर्माना देना ही होगा। नया कानून लागू होने से पहले जुर्माना राशि पहली बार गलती के लिए एक हजार और इसके बाद दो हजार रुपये जुर्माना लिया जाएगा।

प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र अब आनलाइन निकल रहा है। इसके लिए वाहन ले जाना अनिवार्य है। वाहन की भी फोटो ली जाती है। अगर कोई किसी गलत तरीके से प्रमाण पत्र जारी कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - मनोज कुमार, एआरटीओ प्रशासन

 

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