कोरोना के डेल्टा प्लस वेरियंट से संक्रमित नहीं था बदायूं का एमबीबीएस छात्र, जानिये जीनोम सिक्वेंसिग की रिपोर्ट में क्या निकला
Corona Delta Plus variant News करीब 25 दिन पहले डेल्टा प्लस वैरिएंट के तौर पर संदिग्ध मिले एमबीबीएस छात्र के मामले में मेडिकल कालेज प्रशासन ने राहत की सांस ली है। इसकी वजह यह है कि छात्र की रिपोर्ट मेडिकल प्रशासन को प्राप्त हो गई है।
बरेली, जेएनएन। Corona Delta Plus variant News : करीब 25 दिन पहले डेल्टा प्लस वैरिएंट के तौर पर संदिग्ध मिले एमबीबीएस छात्र के मामले में मेडिकल कालेज प्रशासन ने राहत की सांस ली है। इसकी वजह यह है कि छात्र की रिपोर्ट मेडिकल प्रशासन को प्राप्त हो गई है। छात्र डेल्ट प्लस नहीं बल्कि डेल्टा पाजिटिव था। इस बीच रिपोर्ट भले ही 25 दिन बाद प्राप्त हुई हो लेकिन छात्र दस दिन पूर्व ही आरटीपीसीआर की रिपोर्ट में निगेटिव आ चुका है। अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।
शासन और स्वास्थ्य विभाग संभावित तीसरी लहर को लेकर आशंकित है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तैयारी पर जुटा हुआ है। इस बीच 10 जुलाई को कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस की दस्तक से स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कालेज प्रशासन में खलबली मच गई थी। यहां घर से वापस लौटे दो एसबीबीएस के छात्र कोरोना संक्रमित हो गए थे। जिनमें एक छात्र के लक्षण डेल्टा प्लस वैरिएंट से मेल खा रहे थे।
इसे देखते हुए मेडिकल कालेज प्रशासन ने कोई लापरवाही न बरतने के लिहाज से छात्र का सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लखनऊ केजीएमयू भेजा। यहा से सैंपल बेंगलुरू की लैब के लिए गया। इस दौरान इंटरनेट मीडिया ने छात्र की रिपोर्ट प्राप्त बिना ही उसे डेल्ट प्लस का मरीज घोषित कर दिया था। जबकि राजकीय मेडिकल कालेज प्रशासन ने इस पुष्टि को नकारते हुए इस अफवाह पर विराम लगाने के लिए सचेत किया था।
करीब 25 दिन बाद छात्र की रिपोर्ट मेडिकल कालेज प्रशासन को प्राप्त हो गई है। मेडिकल कालेज प्रशासन के मुताबिक, छात्र की रिपोर्ट डेल्ट पाजिटिव प्राप्त हुई है, लेकिन छात्र बिल्कुल ठीक है। इसकी वजह यह है कि उसकी दो बार आरटीपीसीआर से जांच हो चुकी है। जिसमें वह दोनों बार निगेटिव आया है। छात्र की रिपोर्ट के साथ ही निगेटिव आने के बाद मेडिकल कालेज प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
डेल्टा से डेल्टा प्लस खतरनाक : प्राचार्य ने बताया कि छात्र की जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसमें वह डेल्टा पाजिटिव निकला। जबकि डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस कहीं ज्यादा खतरनाक है। बरहाल सुचारू रूप से चलाए गए इलाज के बाद छात्र स्वस्थ हो चुका है।मेडिकल कालेज के प्रचार्य डॉ. धर्मेंद्र गुप्ता संदिग्ध के तौर पर छात्र का सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लखनऊ केजीएमयू भेजा गया था। यहां से सैंपल बैंगलुरू की लैब को गया। रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। छात्र उस रिपोर्ट में सिर्फ डेल्टा पाजिटिव निकला है, लेकिन दस पूर्व भी छात्र आरटीपीसआर की रिपोर्ट में निगेटिव हो चुका है। उसका स्वस्थ भी पहले से बेहतर है।