Badaun Kakoda Fair : दुबई और आस्ट्रेलिया तक से मेले में प्रवास करने आ रहे मेहमान, बन रहे अस्थायी वीआइपी आशियाने

Badaun Kakoda Fair आस्था श्रद्धा और पिकनिक की त्रिवेणी मेला ककोड़ा की ख्याति आसपास के जिलों तक ही सीमित नहीं है। गंगा तट पर प्रवास करने के लिए दुबई और आस्ट्रेलिया तक से मेहमान आ रहे हैं। मेला आयोजक जिला पंचायत की तैयारी तो आधी-अधूरी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 08:30 AM (IST) Updated:Sun, 14 Nov 2021 08:30 AM (IST)
Badaun Kakoda Fair : दुबई और आस्ट्रेलिया तक से मेले में प्रवास करने आ रहे मेहमान, बन रहे अस्थायी वीआइपी आशियाने
डीएम के कैंप कार्यालय के सामने तैयार किया जा रहा स्नान घाट

बरेली, (कमलेश शर्मा)। Badaun Kakoda Fair : आस्था, श्रद्धा और पिकनिक की त्रिवेणी मेला ककोड़ा की ख्याति आसपास के जिलों तक ही सीमित नहीं है। गंगा तट पर प्रवास करने के लिए दुबई और आस्ट्रेलिया तक से मेहमान आ रहे हैं। मेला आयोजक जिला पंचायत की तैयारी तो आधी-अधूरी है, लेकिन खुद के दम पर गंगा की रेत में अस्थायी वीआइपी आशियाना बनाया जा रहा है। सीमित समय में राजनीतिक दबाव में मेले की तैयारी हुई है जो अभी आधी-अधूरी है। हालात यह हैं कि झंडी पूजन हो चुका है, लेकिन जिला पंचायत का कैंप कार्यालय ही अभी तक नहीं बन सका है। मेले में आने-जाने के लिए सड़क सबसे महत्वपूर्ण है जो अब तक तैयार नहीं हो सकी है।

नदी में पानी ज्यादा होने के कारण स्नान घाट की जगह बदल दी गई है। रुहेलखंड के मिनी कुंभ मेला ककोड़ा की व्यवस्था से आइये आपको परिचित कराते हैं। जिला मुख्यालय से मेला तक पहुंचने के लिए आपको 30 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। मीरा सरा शेखूपुर होते हुए रोड भी ठीक है। दूसरा नौशेरा से कादरचौक होते हुए मेला पहुंच सकते हैं। मेला कासगंज जिले की सीमा में लग रहा है। कादरचौक से आगे बढ़ने पर दो मोड़ हैं, वहां सावधानी से वाहन की रफ्तार धीमी करके चलना ठीक रहेगा। पक्की सड़क तक तो व्यवस्था ठीक है, लेकिन जैसे ही हम मेले के कच्चे मार्ग में उतरते हैं दुश्वारियां शुरू हो जाती हैं।

कहने को तो जिला पंचायत ने शुरूआत में डबल लेन बनवाया है, लेकिन अभी एक ही लेन बन सकी है, दूसरी लेन अधूरी है। वह भी आगे जाकर सिंगल रोड में तब्दील हो जा रही है। मेला परिसर में पहले ही वीआइपी मार्ग और बरेली मार्ग के बोर्ड तो लग गए हैं, लेकिन दोनों मार्ग अभी तैयार नहीं हो सके हैं। मेले में जिलाधिकारी का कैंप कार्यालय तो बन रहा है, लेकिन जिला पंचायत का कैंप कार्यालय अभी तैयार नहीं हो सका है। झूले, चरखे और मौत का कुंआ तैयार होने लगे हैं।

मेला परिसर के आसपास गन्ने की फसल खड़ी है, अगर प्रशासन ने इन्हें नहीं कटवाया तो आपराधिक वारदातों की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। अग्निशमन विभाग की टीम तो पहुंच गई है, लेकिन मेला कोतवाली की स्थापना अभी तक नहीं हो सकी है। स्नान घाट पहले जन प्रतिनिधियों के कैंपों के पास बनाया जा रहा था, लेकिन नदी में पानी ज्यादा होने से स्नान घाट की जगह बदल दी गई है। अब जिलाधिकारी के कैंप के सामने स्नान घाट बनवाया जा रहा है। मेले में दुकानदार पहुंचने लगे हैं। गंगा मैया के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने भी अपनी राउटियां लगाने की शुरूआत कर दी है।

पिछले 40 साल से मेले में नियमित परिवार और रिश्तेदारों के साथ प्रवास कर रहे शहर के उद्योगपति सुशांत रस्तोगी उर्फ चिंटू अपनी राउटी बनवाने में व्यस्त दिखाई दिए। वह बताने लगे कि स्वजन के साथ उनकी एक बहन सऊदी अरब के तहरीन से तो दूसरी आस्ट्रेलिया के मेलबर्न से मेले में प्रवास करने आ रही हैं। कुर्मी समाज के लोगों ने भी रिश्तेदारों को आमंत्रित किया है। महेंद्र सिंह पटेल कहते हैं कि प्रदेश में ही नहीं, विदेश में रह रहे अपने मेहमानों को भी मेले में बुलाकर उनकी खातिरदारी की जा रही है। मेला शुरू हो चुका है, दुकानदारों और श्रद्धालुओं का आवागमन होने लगा है। देत्वोत्थान एकादशी तक तंबुओं का शहर गुलजार हो जाएगा।

सुरक्षा के प्रति बरतनी होगी सतर्कताः गंगा किनारे जुटने वाली लाखों की भीड़ को देखते हुए अभी तक सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं दिख रहे हैं। मेले में दिनरात काम चल रहा है। श्रद्धालु और दुकानदारों का यहां आना शुरू हो चुका है, लेकिन पूरे मेला परिसर में कहीं कोई पुलिस दिखाई नहीं पड़ी। पुलिस प्रशासन ने मेला कोतवाली के साथ चौकियां स्थापित कराने का दावा तो किया है, लेकिन वर्तमान में अग्निशमन विभाग की टीम के अलावा कहीं कोई दिखाई नहीं दिया।

सड़क पर ध्यान नहीं दिया तो लगेगा जामः मेला में बनाई गई कच्ची सड़क आधी-अधूरी है। सड़क पर न तो रोलर चलवाया जा रहा है और न ही कहीं पानी का छिड़काव किया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो भारी वाहनों का आवागमन शुरू होने पर सड़क के नीचे से पानी आ सकता है। अगर पहले से सड़क को दुरुस्त नहीं कराया गया तो श्रद्धालुओं ही नहीं जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा और जाम की स्थिति बन सकती है।

जिला पंचायत अध्यक्ष वर्षा यादव ने बताया कि ककोड़ा मेला आस्था से जुड़ा हुआ है। व्यवस्था का खुद जायजा लिया है। आसपास खेतों में खड़ी गन्ने की फसल कटवाकर सड़क दुरुस्त कराई जा रही है। मुख्य स्नान पर्व पर जुटने वाली लाखों की भीड़ को देखते हुए लंबा घाट बनवाया जा रहा है। मेले की तैयारी के लिए समय कम मिला है, लेकिन भव्य आयोजन के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। मेले में सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस रहेगी, स्नान घाट पर भी गोताखोरों के अलावा पीएसी के जवान निगरानी करते रहेंगे।

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