चित्रकूट से कम नहीं बदायूं की जेल, यहां भी बंद है ईस्ट और वेस्ट के खूंखार अपराधी

गैंगवार में तीन कुख्यातों की हत्या के बाद चित्रकूट जेल का नाम सुर्खियाें में है लेकिन बदायूं जिला जेल भी संवेदनशील है। विशेष सेल न होने के बावजूद वर्तमान में प्रशासनिक तौर पर ईस्ट और वेस्ट (पूर्वी और पश्चिमी) के दस खूंखार बंदी जेल में बंद है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 09:30 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 09:30 PM (IST)
चित्रकूट से कम नहीं बदायूं की जेल, यहां भी बंद है ईस्ट और वेस्ट के खूंखार अपराधी
चित्रकूट से कम नहीं बदायूं की जेल, यहां भी बंद है ईस्ट और वेस्ट के खूंखार अपराधी

बरेली, जेएनएन। गैंगवार में तीन कुख्यातों की हत्या के बाद चित्रकूट जेल का नाम सुर्खियाें में है, लेकिन बदायूं जिला जेल भी संवेदनशील है। विशेष सेल न होने के बावजूद वर्तमान में प्रशासनिक तौर पर ईस्ट और वेस्ट (पूर्वी और पश्चिमी) के दस खूंखार बंदी जेल में बंद है। इनकी गतिविधियों की देखभाल का जिम्मा महज तीन डिप्टी जेलर के कंधों पर है। यह खूंखार बंदी शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, मुजफ्फनगर, कासगंज समेत निकटवर्ती जिलों के रहने वाले हैं। इधर, चित्रकूट गैंगवार के बाद जेल प्रशासन अलर्ट है। जेल अधीक्षक के निर्देश पर डिप्टी जेलर समेत सुरक्षा बंदियों ने कुख्यात समेत अन्य कैदी-बंदियों की बैरकों में सघन तलाशी अभियान चलाया। हालांकि तलाशी के दौरान कोई प्रतिबंधित वस्तु नहीं पाई गई है।

529 क्षमता रखने वाली बदायूं जेल में तीन गुना 1444 कैदी-बंदी भरे हुए है। हालात यह है कि यहां की बैरकों में एक बंदी दूसरे बंदी से चिपककर सोता है। बावजूद खुराफातों से बाज न आने वाले कैदी एवं बंदियों पर कार्रवाई को लेकर जेल प्रशासन सख्त है। बदायूं जेल में ऐसे दस बंदी एवं कैदी है, जो कि ईस्ट और बेस्ट के है। जिनमें मुजफ्फनगर का हार्ड क्रिमिनल सचिन भी यहां बंद है। ये बंदी वहां की जेलों में खुराफात करते थे। गुटबंदी की शिकायत और अनुशासनिक कारणों से अन्य यहां की जेल में प्रशासनिक तौर पर ट्रांसफर कर दिया।

जबकि यहां पूर्व से ही कुख्यातों का बोलबाला रहा है। ऐसे में यह खूंखार कैदी और बंदी अपनी खुराफातों को कभी भी अंजाम दे सकते है। जिसका खामियाजा जेल प्रशासन को उठाना पड़ सकता है। वर्ष 2018 में मुरादाबाद के कुख्यात बदमाश सुमित और अपराधी चंदन सिंह ने जिला जेल से भागने की साजिश रची थी। सुमित तो रस्सी के सहारे फरार हो गया था लेकिन चंदन सिंह असफल रहा था। इसके अलावा जेल में कई बार मोबाइल, चरस और अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं पकड़ी गई है। हालांकि जब से जेल अधीक्षक विनय कुमार द्विवेदी ने चार्ज संभाला है तब से जेल के अंदर कोई आपराधिक घटना सामने नहीं आई है।

जहर से हुई थी दो बंदियों की मौत

सदर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला हकीमगंज निवासी असलम दहेज हत्या और फैजगंज बेहटा क्षेत्र के गांव नूरनगर कौड़िया के शाहरूख हत्या के मामले में जेल में बंद थे। 30 मई को दोनों को जेल के अंदर जहर खाने से मौत हो गई थी। उस दौरान मृतकों के स्वजन ने जेल प्रशासन पर गंभीर अारोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था।

सुमित को भागाने वाले कुख्यात पर मिली थी पिस्टलें

12 मई 2018 की देर शाम अंधाधुंध फायरिंग करने के बाद रस्सी की मदद से कुख्यात सुमित सिंह जेल से फरार हो गया था। वह अब तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका है। जबकि उस पर दो लाख का ईनाम घोषित है। उसके साथ भागने में विफल रहे गोरखपुर के शातिर अपराधी चंदन सिंह पर पुलिस ने दो पिस्टल और कारतूस से लोड दो मैग्जीन बरामद हुई थी।

जेल की बैरकों में एहतियात के तौर पर सघन चेकिंग अभियान चलाया गया है। यहां प्रशासनिक तौर पर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के दस बंदी ट्रांसफर हुए हैं। उनकी निगरानी पर विशेष रूप से की जाती है। बहरहाल चेकिंग अभियान के दौरान कोई प्रतंबधित सामान नहीं मिला है।- डा. विनय कुमार द्विवेदी, जेल अधीक्षक

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