जलाया जा रहा कूडा, बेहद खतरनाक हैं बाकरगंज के हालात

बाकरगंज में हालात खतरनाक..या यूं कहें कि बेहद खतरनाक होते जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 02:22 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 02:22 AM (IST)
जलाया जा रहा कूडा, बेहद खतरनाक हैं बाकरगंज के हालात
जलाया जा रहा कूडा, बेहद खतरनाक हैं बाकरगंज के हालात

बरेली, जेएनएन : बाकरगंज में हालात खतरनाक..या यूं कहें कि बेहद खतरनाक होते जा रहे हैं। ट्रंचिंग ग्राउंड में बेहिसाब कूड़े और इसमें आए दिन लगने वाली आग से इलाकाई हजारों लोग जहरीली आबोहवा में जीने को मजबूर हैं। एयर मॉनीट¨रग टीम ने रीडिंग ली तो वातावरण में धूल के कण यानी पीएम-10 338 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और सूक्ष्म धूल के कण यानी पीएम-2.5 125 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के हिसाब से मिले। यानी स्वच्छ आबोहवा के मानक से करीब तीन गुना ज्यादा। बाकरगंज के मुहल्लों में कुछ अगर ठीक था तो वह ध्वनि प्रदूषण। यह मानक के अंदर ही मिला। विशेषज्ञ बताते हैं कि इतना प्रदूषण किसी भी स्वस्थ आदमी को कुछ ही समय में बीमार करने के लिए काफी है। गौरतलब है प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने स्वस्थ वातावरण के लिए पीएम-2.5 की संख्या 60 और पीएम-10 की संख्या 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रखा है।

बूंदाबांदी और हल्की हवा से गिरा स्तर

पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि बीते दिनों हल्की बूंदाबांदी हुई थी। इसके अलावा हवा भी तेज चली। इस वजह से प्रदूषण का स्तर कुछ हद तक गिर गया। यानी बुधवार को ही डाटा लिया जाता तो पीएम-10 का स्तर 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम-2.5 का स्तर 150 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी ऊपर होता। एनजीटी, सीपीसीबी तक पहुंचेगा प्रदूषण का डाटा

ट्रंचिंग ग्राउंड की वजह से फैल रहे प्रदूषण का अंदाजा इस बात से भी लग सकता है कि जितना प्रदूषण बाकरगंज में इस वक्त है लगभग उतना शहर के कुछ मुहल्लों में दिवाली के वक्त भी नहीं था। अब यह डाटा तैयार कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को भेजा जाएगा। इनके लिए परेशानी है प्रदूषित आबोहवा

वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ता है। दिल और फेफड़ों की बीमारी वालों को भी इससे खतरा है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ.वागीश वैश्य बताते हैं कि वातावारण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर तीन गुना तक होने पर आखें, नाक और गले में जलन, छाती में खिंचाव, फेफड़ों पर बुरा असर, सांस संबंधी गंभीर बीमारी, अनियमित दिल की धड़कन जैसे रोग हो सकते हैं। वर्जन

बाकरगंज की एयर क्वालिटी का स्तर रीडिंग में बेहद खराब आया है। पीएम-10 और पीएम-2.5 दोनों की मात्रा मानक से तीन गुना तक है। इसकी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, एनजीटी, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय दफ्तर को भी भेजी जाएगी।

- प्रो.डीके सक्सेना, को-ऑर्डिनेटर, एयर मॉनीट¨रग प्रोग्राम

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