आइसीयू में फिर तीमारदार, सिस्टम को खतरा बरकरार
बरेली, जेएनएन: 300 बेड कोविड अस्पताल में लगातार तीमारदार और स्टाफ के बीच कहासुनी और हाथापाई के मामले
बरेली, जेएनएन: 300 बेड कोविड अस्पताल में लगातार तीमारदार और स्टाफ के बीच कहासुनी और हाथापाई के मामले सामने आ रहे हैं। एक तरफ, गंभीर हालत में भर्ती संक्रमितों के तीमारदार हैं, जो दिन-रात दूसरे संक्रमितों को भर्ती होने के लिए तड़पता और कभी-कभी आंखों के सामने इंसान से 'मिट्टी' बनते हुए देखते हैं। वहीं, दूसरी ओर डॉक्टर समेत अस्पताल का मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ है। 24 घंटे में 16 से 18 घंटे तक मोर्चे पर डटना पड़ता है। हाथ में कोशिश है, लेकिन वायरस के असर और सीमित संसाधनों के आगे बेबस हैं। कुल मिलाकर दोनों तबके मजबूर और परेशान हैं। इसकी एक बड़ी वजह सामने आ रही तीमारदारों का अस्पताल कर्मियों की कार्य प्रणाली में हस्तक्षेप। जानकार मानते हैं कि इस पर रोक नहीं लगी तो फिर से किसी दिन बड़ा हंगामा हो सकता है। जो दर्दनाक कहानी लिख दे, तो बड़ी बात नहीं। स्वास्थ्यकर्मियों की मांग: वार्ड में न आएं तीमारदार
दोनों घटनाओं में महज एक चीज कॉमन थी तीमारदार का वार्ड के अंदर होना। मेडिकल स्टाफ का कहना है कि इससे कामकाज में असहजता रहती है। वहीं, तीमारदार अपनी राय अलग से रखते हैं। इसके अलावा तीमारदारों के संक्रमित होने का खतरा भी रहता है। ऐसे में तीमारदार मरीजों का हालचाल प्रबंधन से जानें। सीधे डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी के कामकाज में हस्तक्षेप न करें। तीमारदार बोले: लापरवाही न हो, इसलिए रहना जरूरी
वहीं, तीमारदारों की अपनी बात है। उनका कहना है कि रोज अस्पताल में तीमारदारों को मरीज लेकर आते और कुछ मामलों में लाश लेकर वापस जाते देखते हैं। हाल में आक्सीजन की कमी के दौरान खुद ही अपने-अपने मरीजों के लिए सांसों की व्यवस्था की। ऐसे में इलाज के दौरान किसी तरह की लापरवाही न हो, इसलिए देखभाल के लिए रहना जरूरी है। आइसीयू में आते रहे तीमारदार, तो देंगे इस्तीफा
300 बेड कोविड अस्पातल में काम कर रहे संविदाकर्मी ने कहा कि गुरुवार को हुए विवाद के बाद स्टाफ ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। स्टाफ केवल पर्याप्त सुरक्षा और तीमारदारों को वार्ड से बाहर रखने पर ही काम के लिए राजी हुआ था। इसके लिए अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन शुक्रवार को सुरक्षाकर्मी नहीं पहुंचे। इससे तीमारदार फिर से जनरल ही नहीं बल्कि आइसीयू वार्ड में भी दिखे। ऐसे में फिर से किसी भी दिन हंगामा हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर व्यवस्था न बदली तो स्टाफ सामूहिक इस्तीफा देने के लिए मजबूर होगा। केस एक
दो मई को तीमारदार ने महिला डाक्टर को पीटा
300 बेड कोविड अस्पताल में रविवार को कोविड वार्ड में मौजूद तीमारदार ने मरीज की देखभाल में लापरवाही का आरोप लगाते हुए ड्यूटी पर मौजूद डा. आकांक्षा महाजन से मारपीट की थी। अन्य स्वजन ने अस्पताल में हंगामा किया किया था। मामले ने तूल पकड़ा और लगातार खराब बर्ताव होने पर आक्रोशित स्टाफ ने ड्यूटी का बहिष्कार कर दिया। काफी समझाने के बाद अस्पताल स्टाफ दोबारा ड्यूटी करने को राजी हुआ, लेकिन बेहतर कामकाज के लिए पहचान रखने वाली डा. आकांक्षा ने तीमारदारों पर कामकाज में हस्तक्षेप करने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। केस दो
इलाज में हस्तक्षेप करने पर बढ़े विवाद में गई मरीज की जान
गुरुवार रात भी 300 बेड अस्पताल स्टाफ के काम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए जनरल व आइसीयू वार्ड में स्वास्थकर्मी और तीमारदार आमने-सामने आए। एक के बाद एक, दो मामले सामने आए। एक मामले में हंगामा इतना बढ़ा कि तीमारदार और स्वास्थ्यकर्मी के बीच मारपीट भी हो गई। पुलिस ने स्वास्थ्यकर्मी को पीटा तो कर्मचारी लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए हड़ताल पर चले गए। पूरे घटनाक्रम में एक मरीज की जान भी चली गई। करीब चार घंटे बाद देर रात कर्मचारी काम पर लौटे। अस्पताल के लिए सुरक्षाकर्मी और एंट्री के लिए आवश्यक आइकार्ड की व्यवस्था की जा रही है, जिससे तीमारदारों का संक्रमित एरिया व वार्ड में प्रवेश सीमित हो सके।
- डॉ.एसके गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी 300 बेड अस्पताल की सूरत बदलने को तैयार स्वयंसेवी संस्थाएं
300 बेड अस्पताल में व्यवस्था सुधारने के लिए स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आने लगी हैं। उद्योगपति शकील कुरैशी ने शुक्रवार को डॉ.मुश्ताक के नेतृत्व में मारिया फ्रोजन क्लीनिक की 11 सदस्यीय टीम भेजी। टीम ने तीमारदारों की काउंसिलिग की। वहीं सफाई के लिए कर्मचारी भी लगाए। इसके अलावा स्टाफ के लिए मास्क, ग्लव्ज व पानी आदि की व्यवस्था भी कंपनी कर रही है।