Shahjahanpur Jail Asharam Satsang Case : जेल कर्मियों के जवाब से संतुष्ट नहीं डीआइजी जेल, चार कर्मियों पर होगी कार्रवाई

Asharam Satsang Case शाहजहांपुर की जिला जेल में दुष्कर्मी आसाराम के सत्संग प्रकरण में चार जेलकर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी है। नोटिस पर चारों ने जवाब दिया मगर डीआइजी जेल इससे संतुष्ट नहीं हैं। मामले में जेल अधीक्षक और जेलर की रिपोर्ट पहले ही शासन को जा चुकी है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 10:16 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 01:07 PM (IST)
Shahjahanpur Jail Asharam Satsang Case :  जेल कर्मियों के जवाब से संतुष्ट नहीं डीआइजी जेल, चार कर्मियों पर होगी कार्रवाई
Asharam Satsang Case : जेल कर्मियों के जवाब से संतुष्ट नहीं डीजी जेल, चार कर्मियों पर होगी कार्रवाई

बरेली, जेएनएन। Shahjahanpur Jail Asharam Satsang Case : शाहजहांपुर की जिला जेल में दुष्कर्मी आसाराम के सत्संग प्रकरण में चार जेलकर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी है। नोटिस पर चारों ने जवाब दिया, मगर डीआइजी जेल इससे संतुष्ट नहीं हैं। इस मामले में जेल अधीक्षक और जेलर को भी दोषी मानते हुए पहले ही शासन को रिपोर्ट जा चुकी है।

21 दिसंबर को लखनऊ से आए कुछ लोगों ने जेल प्रशासन से कंबल वितरण की अनुमित मांगी थी। इसके बाद उन लोगों ने आसाराम का चित्र लगाकर कार्यक्रम किया। सत्संग किया, ऋषि प्रसाद पत्रिका और कंबल बांटे। जागरण ने मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो शासन ने बरेली सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक व कार्यवाहक डीआइजी जेल आरएन पांडेय को जांच सौंप दी।

उन्होंने जांच में जेल अधीक्षक राकेश कुमार व जेलर राजेश कुमार को दोषी मानते हुए एक जनवरी को शासन को रिपोर्ट भेज दी। दो गेटकीपर, हेड वार्डर व सहायक वार्डर की भूमिका भी ठीक नहीं मिलने पर नोटिस जारी किए। बीते दिनों सभी से जवाब मिल गए। बाहर से आए लोगों के पास आसाराम की तस्वीर थी फिर भी इसे कैंपस में कैसे आने दिया, बंदियों को एकत्र क्यों होने दिया गया समेत कई बिंदुओंपर संतोषजनक जवाब नहीं मिले हैं।

इसलिए अधिकारी भी दोषी : शहर में रहने वाली छात्र से दुष्कर्म के आरोप में आसाराम को सजा हो चुकी, वह जोधपुर जेल में बंद है। प्रकरण के एक गवाह की हत्या के आरोप में अजरुन व नारायण पांडेय इसी जेल में बंद रहा था, इस वक्त जमानत पर है। इन दोनों ने ही फोन पर जेल प्रशासन से कंबल वितरण की अनुमति ली थी। हत्यारोपितों के कहने पर अनुमति देने के मामले को गंभीर माना गया। जिसमें जेल अधीक्षक व जेलर को दोषी माना गया है।

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