Ambulance News : बरेली में एंबुलेंस में सफर यानी खतरे में जान, जानिए किन हालातों में दौड़ रहे लाेगाें की जान बचाने वाले वाहन

Ambulance News जिले में कई ऐसी एंबुलेंस हैं जिनके दरवाजे बेहद खराब हो चुके हैं। कुछ में दरवाजों को तार के सहारे बांधा गया है। ऐसे में उनके अचानक खुलने से हादसे का डर बना रहता है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 10:27 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 10:27 AM (IST)
Ambulance News : बरेली में एंबुलेंस में सफर यानी खतरे में जान, जानिए किन हालातों में दौड़ रहे लाेगाें की जान बचाने वाले वाहन
Ambulance News : बरेली में एंबुलेंस में सफर यानी खतरे में जान

बरेली, जेएनएन। Ambulance News कोरोना काल के दौरान शहर में एंबुलेंस चालकों ने काफी मनमानी की। अस्पतालों की तरह एंबुलेंस चालकों ने भी मरीजों से जमकर वसूली की। नतीजतन अधिकारियों को एंबुलेंस का किराया तय करना पड़ा। अभी भी तमाम निजी एंबुलेंस फर्जी तरीके से शहर में दौड़ रही हैं। बिना वैध कागजों के शहर में दौड़ रही इन एंबुलेंस पर कोई अंकुश नहीं लगा रहा है।

सरकारी दर्जन भर एंबुलेंस की हालत खराब 

प्रदेश में जीवीकेईएमआरआइ संस्था की ओर से सरकारी 102 और 108 एंबुलेंस चलाई जा रही हैं। जिले में फिलहाल 88 एंबुलेंस चल रही हैं। इनमें 43 एंबुलेंस 102 और इतनी ही 108 एंबुलेंस हैं। दो एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस भी यहां हैं। इनमें से करीब एक दर्जन एंबुलेंस कंडम हो चुकी हैं। जिले के पडेरा में लगी 108, शीशगढ़ में लगी 102, रामनगर की 108 समेत अन्य एंबुलेंस बार-बार खराब हो जाती हैं। इनमें स्टेयरिंग जाम होने लगे हैं। एंबुलेंस कही भी खड़ी हो जाती है।

मरीजों, गर्भवतियों व चालक-ईएमटी के लिए खतरा

जिले में कई ऐसी एंबुलेंस हैं, जिनके दरवाजे बेहद खराब हो चुके हैं। कुछ में दरवाजों को तार के सहारे बांधा गया है। ऐसे में उनके अचानक खुलने से हादसे का डर बना रहता है। घायलों व अन्य मरीजों को लाने के लिए 108 और गर्भवती महिलाओं व प्रसूताओं को घर से लाने-छोड़ने के लिए 102 एंबुलेंस का इस्तेमाल होता है। गेट खराब होने से उनके गिरने की आशंका रहती है। वहीं चालक व ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) पर भी खतरा मंडराता रहता है। कंडम वाहन के हादसे में दो चालकों की मौत हो चुकी है।

शहर में 65 एंबुलेंस, दौड़ रहीं डेढ़ सौ से अधिक

मेडिकल हब कहलाने वाले अपने शहर में कई बड़े अस्पतालों में निजी एंबुलेंस की सुविधा है। शहर में चल रही इन एंबुलेंसों में सिर्फ 65 का ही रजिस्ट्रेशन एंबुलेंस के रूप में है। बाकी करीब डेढ़ सौ से अधिक एंबुलेंस बिना किसी दस्तावेज के चल रही हैं। किसी का रजिस्ट्रेशन नहीं है तो किसी की फिटनेस और इंश्योरेंश नहीं है। वैन पर भी लोगों ने एंबुलेंस लिखवा रखा है। करीब 20 फीसद एंबुलेंस में तो चालकों के पास भी लाइसेंस नहीं हैं। ऐसा एंबुलेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बातचीत में पता चला।

गैस सिलिंडर लगाकर दौड़ रही निजी एंबुलेंस

प्राइवेट एंबुलेंस चालक मरीजों की जान पर भी खेल रहे हैं। पेट्रोल-डीजल महंगा होने के कारण शहर में तमाम एंबुलेंस में एलपीजी किट लगा रखी है। यहां से दिल्ली या अन्य किसी जगह अस्पताल ले जाने में ऐसी ही एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। उस पर कंडम एंबुलेंस से हर वक्त हादसे का खतरा बना रहता है। एंबुलेंस में मरीज होने के कारण कोई उसे चेक करने की भी जहमत नहीं उठाता है। इतना ही नहीं कई बार एंबुलेंस मरीज नहीं होने पर भी स्पीड से निकलते हैं। इससे कई बार अन्य वाहन इनकी चपेट में आ जाते हैं।

सरकारी एंबुलेंस की मेंटीनेंस कंपनी कराती है। फिर भी अगर इन एंबुलेंस में कोई कमी है तो इनकी संचालन करने वाली कंपनी को लिखा जाएगा। निजी रूप से चल रही एंबुलेंस में भी गड़बड़ियां नहीं होने दी जाएंगी। उन पर भी शिकंजा कसा जाएगा। डा. बलवीर सिंह, सीएमओ 

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