Ambulance Drivers Strike : एंबुलेंस चालकों की हड़ताल से बिगड़े हालात, ई-रिक्शा-टेंपो से अस्पताल आए मरीज
Ambulance Drivers Strike एंबुलेंस चालकों व एमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) ने सोमवार से कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया। तीन दिन से चल रहे धरने के बाद भी कोई ध्यान न दिए जाने से आक्रोशित चालकों ने अपनी सेवाएं ठप कर दीं।
बरेली, जेएनएन। Ambulance Drivers Strike : एंबुलेंस चालकों व एमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) ने सोमवार से कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया। तीन दिन से चल रहे धरने के बाद भी कोई ध्यान न दिए जाने से आक्रोशित चालकों ने अपनी सेवाएं ठप कर दीं। हालांकि तहसील मुख्यालयों पर इमरजेंसी में एक-एक एंबुलेंस छोड़ी गई, लेकिन मरीजों को खासी परेशानी हुई। उन्हे ई-रिक्शा, टेंपो या निजी वाहनों से अस्पताल आना पड़ा।
जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108, 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ से जुड़े चालक व एमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) 23 जुलाई से पुराने कर्मचारियों को निकालकर नई भर्ती करने की चल रही प्रक्रिया का विरोध कर रहे है। हालांकि तीन दिन तक चले इस धरना प्रदर्शन के दौरान उन्होंने मरीजों को परेशानी नहीं होने दी। टोल फ्रि नंबर से काल आने पर चालक मरीजों को लेकर अस्पताल तक पहुंचे।
लेकिन मांगे पूरी न होने पर 26 जुलाई से कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी लेकिन उसके बाद भी न स्थानीय स्तर से किसी अधिकारी ने उनकी सुध ली और न ही प्रदेश स्तर पर मांगों पर गौर किया गया। ऐसे में सोमवार सुबह से संघ से जुड़े कर्मचारियों ने बरेली मोड़ स्थित मैदान में एंबुलेंस खड़ी कर दी। मोबाइल भी अपने-अपने बंद कर लिए। ऐसे में मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए उनके स्वजन परेशान होने लगी। कुछ निजी तो कुछ किराये के वाहन से अस्पताल पहुंचे।
तहसीलों पर रोक एक एंबुलेंस
कार्य बहिष्कार करने से पहले संघ के जिलाध्यक्ष सिकंदर खां ने सभी तहसील स्तर पर एक-एक एंबुलेंस रोक दी। ताकि गंभीर मरीजों की समय से अस्पताल पहुंचाकर जान बचाई जा सके। हालांकि अन्य चालकों के मोबाइल बंद करा दिए ताकि किसी तरह से उन्हें डराया या धमकाया न जा सके।
यह है मांगे
- एएलएस व एंबुलेंस पर तैनात कर्मचारियों को न बदला जाए
- कर्मचारी समायोजन के दौरान संचालन करता कंपनी द्वारा प्रशिक्षण के नाम पर डीडी न लिया जाए।
- कर्मचारियों को हरियाणा की तरह नेशनल हेल्थ मिशन के अधीन करना चाहिए।
- काेरोना संक्रमण से मरने वाले कर्मचारियों को सहायता राशि दी जाए।
- जब तक नेशन हेल्थ मिशन के अधीन नहीं किया जाता है तब तक 18 हजार न्यूनतम वेतन दिया जाए।
फैक्ट फाइल
- 400 लोगों को हर दिन एंबुलेंस सेवा का लाभ मिलता है
- 150 चालक है एंबुलेंस पर तैनात है जिले भर में
- 150 एमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) है जिले भर में
- 37 एंबुलेंस 108 सेवा की जिले में है।
- 34 एंबुलेंस 102 सेवा की जिले में है।
- 3 एंबुलेंस एएएलएस (एडवांस लाइल स्पोर्ट) है।
- 6 एंबुलेंस तहसील स्तर पर इमरजेंसी मरीजों के लिए रोकी गई।
एंबुलेंस चालकों की मांग शासन स्तर से संबंधित है। गंभीर मरीजों के लिए एंबुलेंस उपलब्ध करा दी गई थी। मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। उच्चाधिकारियों से भी इस संबंध में वार्ता चल रही है। डा. एसपी गौतम, सीएमओ