बरेली में एंबुलेंस चालकाे की मनमानी, तीन घंटे नहीं पहुंची तो 2500 रुपये देकर प्राइवेट एंबुलेंस से ले गए अस्पताल

कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अब संक्रमितों के गंभीर होने के भी प्रतिदिन 300 से 300 मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन पर उन्हें भर्ती कराने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए जिला सर्विलांस टीम बनाई गई है

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 02:53 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 05:26 PM (IST)
बरेली में एंबुलेंस चालकाे की मनमानी, तीन घंटे नहीं पहुंची तो 2500 रुपये देकर प्राइवेट एंबुलेंस से ले गए अस्पताल
बरेली में एंबुलेंस चालकाे की मनमानी, तीन घंटे नहीं पहुंची तो 2500 रुपये देकर प्राइवेट एंबुलेंस से ले गए अस्पताल

बरेली, जेएनएन। कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अब संक्रमितों के गंभीर होने के भी प्रतिदिन 300 से 300 मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन पर उन्हें भर्ती कराने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए जिला सर्विलांस टीम बनाई गई है जो संक्रमितोंं को अस्पताल में भर्ती कराती है। लेकिन सीमित एंबुलेंस होने पर संक्रमितों को भर्ती कराने में काफी समय लग रहा है। सोमवार को दैनिक जागरण ने इसकी पड़ताल की तो कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें संक्रमितों को भर्ती कराने में एक से तीन घंटे तक का समय लग गया। 

परेशान रहे स्वजन, डीएम को भी किया फोन 

श्यामगंज निवासी अहमद खान उम्र 65 साल। बीते आठ दस दिन से तबीयत खराब थी। खांसी जुकाम था तो चिकित्सक ने कोविड जांच कराई। जांच निगेटिव आई। सब ठीक चल रहा था लेकिन बुधवार की सुबह सांस लेने में दिक्कत होने लगी। चिकित्सक से बात करने पर उन्होंने तत्काल ऑक्सीजन की व्यवस्था और कोविड अस्पताल ले जाने को कहा। इस पर अहमद खान के बेटे ने सुबह 11 बजे 0581-2511021 पर कॉल कर मरीज के हालात के बारे में बताया।

उनसे जल्द ही एंबुलेंस भेजे जाने की बात कही गई। लेकिन 1.30 बजे तक एंबुलेंस नहीं आई। इसके बाद दोबारा इसी नंबर पर बात करने पर उन्हें रुहेलखंड के लिए एंबुलेंस भेजने के लिए कहा गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। बेटे शहरोज ने बताया कि डीएम नितीश कुमाार को भी सूचना दी, उन्होंने आश्वासन दिया, लेकिन मदद को कोई एंबुलेंस नहीं पहुंची। बाद में उनके बेटे ने 2500 रुपये में एक निजी एंबुलेंस की और अपने पिता को रुहेलखंड अस्पताल में भर्ती कराया।

94 से कम था एसपीओ-2, फिर भी नहीं लगाई ऑक्सीजन

जगतपुर की रहने वाली 45 वर्षीय महिला होमआइसोलेशन में थी। बुधवार को तबीयत बिगड़ने पर स्वजनों ने 108 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस बुलाई। लखनऊ से उन्हें एंबुलेंस को सूचना देकर भेजा गया। इस दौरान पूरा एक घंटा बीत गया। महिला का ऑक्सीजन सेचुरेशन 94 से कम था।

एंबुलेंस में तैनात ईएनटी से ऑक्सीजन लगाने को कहा गया तो उन्होंने बताया कि लखनऊ से ऑकसीजन लगाने की जानकारी नहीं मिली है। वह बिना ऑक्सीजन के लिए महिला को लेकर रुहेलखंड मेडिकल कालेज पहुंचा। यहां महिला को भर्ती किए जाने में 45 मिनट बीत गए, लेकिन महिला को ऑक्सीजन नहीं मिली। बाद में को अस्पताल स्टाफ ने भर्ती कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराई।

दस मिनट में पहुंच गई एंबुलेंस, 30 मिनट में करा दिया भर्ती

शहर के बिहारीपुर कासगरान निवासी महेंद्र नाथ उम्र 70 साल। कोविड संक्रमित होने के बाद से होम आइसोलेशन में थे। बुधवार को सांस लेने में दिक्कत होने के चलते तबीयत बिगड़ने लगी। बेटे योगेंद्र ने सर्विलांस टीम को सूचना दी। सर्विलांस टीम ने 108 एंबुलेंस के इएनटी नेत्रपाल और पायलट कमल सिंह को सूचना दी। सूचना मिलने के दस मिनट के भतर एंबुलेंस महेंद्र नाथ के घर पहुंच गई। वहां से उन्हें ऑक्सीजन पर लेकर आधे घंटे के भीतर महेंद्र नाथ को राजश्री अस्पतला में भर्ती करा दिया। महेंद्र नाथ के बेटे योगेंद्र ने बताया कि समय से एंबुलेंस पहुंचने के चलते पिता का इलाज जल्दी शुरू हो सका।

मरीज भर्ती करने में समय लगा रहे अस्पताल 

एंबुलेंस चालकों ने बताया कि वह कितनी भी जल्दी मरीज को लेकर अस्पताल पहुंच जाएं।लेकिन अस्पताल में मरीज को भर्ती करने में समय लग ही जाता है। बताया कि अस्पताल में फाइल बनाने, मरीज की हिस्ट्री जानने और बेड का इंतजाम करने आदि में एक से दो घंटे लग जाते हैँ। इतनी देर तक मरीज एंबुलेंस की ऑक्सीजन पर ही रहता है। उन्होंने जिला प्रशासन से इस व्यवस्था को सुधरवाने की मांग की है।

खुद करते सैनिटाइज्ड

शासन से निर्देश हैं कि कोविड संक्रमित व्यक्ति को उतारने के बाद अस्पताल में ही एंबुलेंस को सैनिटाइज्ड किया जाएगा। लेकिन जिले के अस्पतालों में एंबुलेंस को सैनिटाइज्ड करने की कोई सुविधा नहीं है। शुरुआत में कुछ दिन मदद मिली, लेकिन अब एंबुलेंस चालक खुद ही अपनी गाड़ी सैनिटाइज्ड कर रहे हैं।

संक्रमितों के स्वजनों की ओर से सूचना मिलते ही तत्काल एंबुलेंस और अस्पताल एलोकेट कर दिया जाता है। कई बार एलोकेट की गई एंबुलेंस पेशेंट को अस्पताल छोड़ने या शिफ्ट करने में लगी होती है तो ही देरी हो हो सकती है। अन्यथा की स्थिति में 20-30 मिनट के अंदर हर हाल में एंबुलेंस पहुंच जाती है। - डा. अनुराग गौतम, नोडल अधिकारी, जिला सर्विलांस टीम

आंकड़ों में हकीकत

108 एंबुलेंस से कोविड मरीजों को कराया जा रहा भर्ती

44 कुल 108 एंबुलेंस है जिले में

50 फीसद एंबुलेंस को कोविड कार्य में लगाने के निर्देश

22 108 एंबुलेंस कोविड ड्यूटी में लगीं

2500 से 5000 तक वसूल रहे प्राइवेट एंबुलेंस चालक

150-200 संक्रमितों को प्रतिदिन भर्ती करा रहे एंबुलेंस चालक

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